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नौकरी गुजारे भत्ते में बाधा नहीं

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घरेलू हिंसा एक ऐसी वजह है जिसे देखते हुए बहुत सी सहनशील महिलाओं को भी अपने पति से, ससुराल से अलग होना पड़ता है और पति या ससुराल द्वारा ख़र्चे के न मिलने के कारण या फिर खुद पढे लिखे होने या किसी और हुनर में पारंगत होने के कारण नारी अपने लिए व अपने बच्चों के लिए अपनी हिम्मत से बढ़कर कार्य करती है, कमाई करती है तो पति से गुजारा भत्ता मांगने पर पति द्वारा कोर्ट में यह कह दिया जाता है कि पत्नी खुद नौकरी कर रही है या अपने उद्यम से कमाई कर रही है इसलिए वह गुजारा भत्ता की अधिकारी नहीं है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कहा है कि पत्नी कमाई कर रही हो तो भी गुजारा भत्ता प्राप्त करने की अधिकारी है.  शैलजा एवं अन्य बनाम खोबन्ना ए. आई. आर. 2017 एस. सी. 1174 में उच्चतम न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ता है कि पत्नी कमाई कर रही है, इसलिए वह गुजारा भत्ता प्राप्त करने की अधिकारी नहीं है, क्योंकि जब भी गुजारा भत्ता देने की बात सामने आती है तो इस बात पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है कि जब वह पति पत्नी के रूप में साथ रहते थे, तब उनका जीवन स्तर क्या था, उसी के आधार पर गुजारा भत्ते क

गरिमा से जीने का अधिकार

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मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं की तो खत्म हो जाएगा संविधान का मह्त्व - सुप्रीम कोर्ट  साथ ही एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में शादी समारोहों में फिर से डीजे की धुन पर थिरकने का रास्ता साफ कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें प्रदेश के अंदर डीजे बजाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शादी या अन्य समारोहों में डिस्क जॉकी (डीजे) चलाकर आजीविका कमाने वाले पेशेवरों को भी राहत दी है। अदालत ने वैवाहिक सीजन की शुरुआत से ठीक पहले उत्तर प्रदेश सरकार को नियमों के तहत इन लोगों को डीजे चलाने की इजाजत देने का आदेश दिया है। एक तरफ सुप्रीम कोर्ट यह कहता है कि अगर मौलिक अधिकारों की रक्षा नहीं की तो खत्म हो जाएगा संविधान का महत्व और दूसरी तरफ शादियों में फिर से डी जे बजाने पर रोक के हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाता है, क्या इस फैसले द्वारा संविधान का मह्त्व बढ़ रहा है या कुछ और ही हो रहा है जबकि - अनुच्छेद 21 के तहत उल्लिखित जीवन ’केवल जीने या सांस लेने की शारीरिक क्रिया को नहीं दर्शाता है। भारतीय संविधान में

महिला आयोग - ध्यान दें मोदी व योगी

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भारत में महिलाओं की मदद हेतु केंद्र और राज्य दोनों में महिला आयोग का गठन किया गया है जिनसे संपर्क करने के लिए 1091 व 181 हेल्पलाइन की व्यवस्था भी की गयी है. साथ ही, उत्तर प्रदेश में इस आयोग से संपर्क के नंबर 1800-180-5220 है. दोनों ही आयोगों के बारे में मुख्य जानकारी निम्नलिखित है -  राष्ट्रीय महिला आयोग -  राष्ट्रीय महिला आयोग (अँग्रेजी: National Commission for Women, NCW) भारतीय संसद द्वारा 1990 में पारित अधिनियम के तहत जनवरी 1992 में गठित एक सांविधिक निकाय है।यह एक ऐसी इकाई है जो शिकायत या स्वतः संज्ञान के आधार पर महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू कराती है। आयोग की पहली प्रमुख सुश्री जयंती पटनायक थीं। 17 सितंबर, 2014 को ममता शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के पश्चात ललिता कुमारमंगलम को आयोग का प्रमुख बनाया गया था,मगर पिछले साल सितंबर में पद छोड़ने के बाद रेखा शर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर यह संभाल रही थी,और अब रेखा शर्मा को राष्ट्रीय महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य -  भारत में महिलाओं के अधिकारों का

राहुल गांधी - कानून आपके साथ है.

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संविधान का अनुच्छेद 21 भारतीय नागरिकों को प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण प्रदान करता है और इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को, उसके प्राण या दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जाएगा, अन्यथा नहीं।  और यह अधिकार एक सामान्य नागरिक को मिला है या नहीं इसकी बात करना तो दूर की बात है जब यह अधिकार देश की प्रमुख पार्टी काँग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में सांसद राहुल गांधी जी तक को नहीं मिला है और इसका सबूत यह है -  नई दिल्ली:  बीजेपी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बार-बार विदेश यात्राओं की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है. पार्टी के प्रवक्ता जीएवएल नरसिम्हा राव (G. V. L. Narasimha Rao) ने कहा है कि राहुल गांधी को संसद में इसकी जानकारी देनी चाहिए. बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा क्या महान रहस्य है कि राहुल गांधी लोकसभा सचिववालय को इसकी जानकारी नहीं दे सकते हैं. क्या वह विदेश में 'लग्जीरियस ट्रिप' (सैर-सपाटे) के लिए जाते हैं. राव ने पूछा, जनता का प्रतिनिधि और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के नाते उनसे उम्मीद क