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भारतीय न्याय संहिता 2023 - धारा 2 (1)-भाग - 3

      आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2 के सम्बन्ध में.         धारा 2 को 39 उपधाराओं में विभाजित किया गया है जिनमे भारतीय दंड संहिता 1860 की विभिन्न धाराओं को समाहित किया गया है तो सबसे पहले जानते हैं धारा 2 की उपधारा 1 में समाहित भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 33 और 32 के बारे में.         इसमे एक तथ्य विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि भारतीय न्याय संहिता 2023 के आरंभ में जो Comparative Table अर्थात तुलनात्मक सूची दी गई है उसमें 2(1) मे भारतीय दंड संहिता 1860 की 33 और 32 धारा को समाहित दिखाया गया है जबकि जब हम विस्तृत रूप से अध्ययन करते हैं कि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2 (1) भारतीय दंड संहिता 1860 की मात्र धारा 33 ही आंशिक रूप से ही समाहित है, धारा 33 का ही अंश रूप भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 2 (25) में समाहित है अतः धारा 2(1) मे भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 33 के आंशिक स्वरूप का ही अध्ययन किया जाएगा, जिसके बारे में जानने के लिए क्लिक करें  SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES      या फिर सम्बन्धित पोस्ट  भारतीय न्याय संहिता 2023 का मूल स्वरुप  भार

भारतीय न्याय संहिता 2023 - इस दिन लागू होगी-भाग 2

      भारतीय न्याय संहिता 2023 की समस्त जानकारियों के साथ साथ आपको पहले ये भी बता दिया जाए कि केंद्रीय सरकार भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 1 की उपधारा 2 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 1 जुलाई 2024 को उस तारिख के रूप में नियत करती है जिसको भारतीय न्याय संहिता 2023 के उपबन्ध धारा 106 की उपधारा (2) के उपबंधों के सिवाय प्रवृत्त होंगे.            धारा 106 और इसकी उपधारा (2)के सम्बन्ध में जानकारी के लिए देखें  ( SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES)  या  सम्बन्धित पोस्ट  इस दिन लागू होगी भारतीय न्याय संहिता 2023       अपनी अगली पोस्ट में हम लेकर आ रहे हैं भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा ( 2), जिसके लिए जुड़े रहिए आप मेरे ब्लॉग ( कानूनी ज्ञान) से और subscribe कीजिए मेरे चैनल SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES को और अपनी कानूनी समस्याओं को ब्लॉग या चैनल के comment section में लिखिए, सभी का जवाब दिया जाएगा. धन्यवाद 🙏🙏 शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली)       

भारतीय न्याय संहिता 2023 - भाग - 1

 आज से हम आरंभ कर रहे हैं उस परिवर्तन की बात जो भारतीय दंड संहिता 1860 मे विस्तार मे था और भारतीय न्याय संहिता 2023 में समेट दिया गया है. भारतीय दंड संहिता की धाराएं 1 से लेकर 5 तक अब भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 1 कहलाएंगी और जो विशेष परिवर्तन किया गया है उसके लिए पहले जानना होगा भारतीय दंड संहिता 1860 की 1 से लेकर 5 धाराओं को, साथ ही आपको बता दें कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में भारतीय दंड संहिता 1860 की 1 से लेकर 5 धाराओं को धारा 1 से 6 उपधाराओं मैं समायोजित किया गया है, इसके साथ ही, भारतीय दंड संहिता की धारा 4 के स्पष्टीकरण ख को भी भारतीय न्याय संहिता 2023 में हटा दिया गया है. धाराओं की वर्तमान स्थिति की पूर्ण जानकारी के लिए  SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES   चैनल को sabscribe करें और समस्त कानूनी पोस्ट देखें या फिर वर्तमान पोस्ट मात्र देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें,  भारतीय न्याय संहिता 2023 का पहला परिवर्तन    पोस्ट को पढ़ने के बाद लाइक और comment करना न भूलें. धन्यवाद 🙏🙏 शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली) 

भारतीय न्याय संहिता 2023

भारतीय न्याप संहिता 2023 भारतीय दंड संहिता 1860  के स्थान  पर लाई गई है जिसमें बड़े स्तर पर भारतीय दंड संहिता की धाराओ को नवीन रूप में संगठित और पुर:स्थपित किया गया है। महिलाओ और बालकों के विरुद्ध अपराध, हत्या और राज्य के विस अपराधों को अग्रताक्रम दिया गया है. विभिन्न अपराधों को लैंगिक रूप से तटस्थ बनाया गया है। संगठित अपराधो और आंतकवादी कार्यकलापों और संगठित अपराधों के नाम को विधेयक में कठोर दंड के साथ जोड़ा गया है जिस को लेकर भारतीय दंड संहिता लगभग परिवर्तित कर दी गई है और उभर कर सामने आई है भारतीय न्याप संहिता 2023 जिसकी पूर्ण जानकारी हम अपने you tube के चैनल " shalini kaushik law classes " पर ला रहे हैं, तो जुडिये हमारे चैनल से और भारतीय न्याय संहिता 2023 की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कीजिए, धन्यवाद 🙏🙏 भारतीय न्याय संहिता 2023   शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली) 

डी. जे. पर प्रतिबन्ध लगे

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  आजकल शादी विवाह समारोह चल रहे हैं, आज घर के पीछे स्थित एक धर्मशाला में विवाह समारोह थाऔर जैसा कि आजकल का प्रचलन है वहाँ डी.जे. बज रहा था और शायद उच्चतम ध्वनि में बज रहा था और जैसा कि डी.जे. का प्रभाव होता है वही हो रहा था ,उथल-पुथल मचा रहा था ,मानसिक शांति भंग कर रहा था और आश्चर्य की बात है कि हमारे कमरों के किवाड़ भी हिले जा रहे थे ,हमारे कमरों के किवाड़ जो कि ऐसी दीवारों में लगे हैं जो लगभग दो फुट मोटी हैं और जब हमारे घर की ये हालत थी तो आजकल के डेढ़ ईंट के दीवार वाले घरों की हालत समझी जा सकती है .बहुत मन किया कि जाकर डी.जे. बंद करा दूँ किन्तु किसी की ख़ुशी में भंग डालना न हमारी संस्कृति है न स्वभाव इसलिए तब किसी तरह बर्दाश्त किया किन्तु आगे से ऐसा न हो इसके लिए कानून में हमें मिले अधिकारों की तरफ ध्यान गया . भारतीय दंड सहिंता का अध्याय 14 लोक स्वास्थ्य ,क्षेम ,सुविधा ,शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में है और इस तरह से शोर मचाकर जो असुविधा जन सामान्य के लिए उत्पन्न की जाती है वह दंड सहिंता के इसी अध्याय के अंतर्गत अपराध मानी जायेगी और लोक न्यूसेंस के अंतर्गत

दहेज कुप्रथा से बेटी को बचाने में सरकार और कानून असफल

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  आजकल रोज समाचारपत्रों में महिलाओं की मौत के समाचार सुर्खियों में हैं जिनमे से 90 प्रतिशत समाचार दहेज हत्याओं के हैं. जहां एक ओर सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए गाँव और तहसील स्तर पर "मिशन शक्ति" कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं द्वारा मुफ्त में उपलब्ध करायी जा रही है, सरकारी आदेशों के मुताबिक परिवार न्यायालयों में महिला के पक्ष को ही ज्यादा मह्त्व दिया जाता है वहीं सामाजिक रूप से महिला अभी भी कमजोर ही कही जाएगी क्योंकि बेटी के विवाह में दिए जाने वाली "दहेज की कुरीति" पर नियंत्रण लगाने में सरकार और कानून दोनों ही अक्षम रहे हैं.           एक ऐसा जीवन जिसमे निरंतर कंटीले पथ पर चलना और वो भी नंगे पैर सोचिये कितना कठिन होगा पर बेटी ऐसे ही जीवन के साथ इस धरती पर आती है .बहुत कम ही माँ-बाप के मुख ऐसे होते होंगे जो ''बेटी पैदा हुई है ,या लक्ष्मी घर आई है ''सुनकर खिल उठते हों .                  'पैदा हुई है बेटी खबर माँ-बाप ने