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असंवैधानिक को अपराध बनाता कानून - तीन तलाक

 सायरा बानो केस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 2017 में तीन तलाक को गैर-कानूनी करार दिया था। अलग-अलग धर्मों वाले 5 जजों की बेंच ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए सरकार से तीन तलाक पर छह महीने के अंदर कानून लाने को कहा था। दो जजों ने इसे असंवैधानिक कहा था, एक जज ने पाप बताया था। इसके बाद दो जजों ने इस पर संसद को कानून बनाने को कहा था।         इसी क्रम में सरकार ने इसके लिए कानून तैयार किया और लोकसभा में इसे पास कराया. राज्यसभा में संख्या बल कम होने के चलते इसे पास कराने में दिक्कत थी किन्तु विपक्ष के एकजुट न होने व सदन से बहिर्गमन के चलते तीन तलाक विधेयक मंगलवार को राज्यसभा में भी पास हो गया राज्यसभा में तीन तलाक विधेयक पर करीब चार घंटे चली बहस के बाद यह पारित हुआ।  राष्ट्रपति की सहमति के बाद तीन तलाक का विधयेक कानून बन जाएगा। *क्या हैं तीन तलाक विधेयक के प्रावधान *तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक देना गैर कानूनी *तीन तलाक संज्ञेय अपराध मानने का प्रावधान, यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन तब जब महिला खुद शिकायत करेगी *खून या शादी के रिश्ते वा

विरोध दिवस - बार कौंसिल उत्तर प्रदेश सही राह पर

29 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश बार कौंसिल विरोध दिवस के रूप में मनाने जा रही है और इस कदम को बार कौंसिल के नव निर्वाचित अध्यक्ष हरि शंकर सिंह जी के सही कदम के रूप में लिया जा सकता है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लगातार अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं और प्रदेश सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है.            प्रतापगढ़ के अधिवक्ता ओम मिश्रा और इलाहाबाद के अधिवक्ता सुशील पटेल की नृशंस हत्या को लेकर पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार वकीलों के कठघरे में थी उस पर आगरा में कचहरी में ही बार कौंसिल की नव निर्वाचित अध्यक्ष कुमारी दरवेश यादव की हत्या होने पर अब उत्तर प्रदेश सरकार पूरी तरह वकीलों के निशाने पर है.           वकीलों की सुरक्षा को लेकर जिस तरह से खतरा बढ़ता जा रहा है उस तरह से बार बार सरकार से सुरक्षा की मांग किए जाने पर भी इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने पर उत्तर प्रदेश सरकार का वकीलों के प्रति उपेक्षित रवैय्या नज़र आ रहा है. जब कचहरी परिसर तक वकीलों के लिए सुरक्षित नहीं रहा है तब सार्वजनिक स्थलों पर तो सुरक्षा की दरकार ही नहीं की जा सकती. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देकर कम से