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बेटी अब खेती की भी मालिक होगी

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बेटियों के अधिकारों लिए आरम्भ से लेकर आज तक बहुत से संघर्ष किये गए और बहुत से फैसले लिए गए. उन सभी को देखते हुए 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में जो बदलाव का निर्णय देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया उसे मील का पत्थर, यदि कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.      माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। जिसके अंतर्गत बेटियों को पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा देने का प्रावधान किया गया। इससे पहले बेटियों को शादी के बाद पिता की सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त नहीं होता था. किन्तु अब बेटी को विवाह के बाद भी बेटे जितना हक सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान कर दिया गया है. ➡️ अब खेती पर भी बेटियों का अधिकार-  खेती की जमीन पर बेटियों का कोई अधिकार नहीं होता था. भारत के कई राज्यों में खेती की जमीन में बेटियों को अधिकार नहीं दिया जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2020 और फिर 2024 में बेटियों को खेती की जमीन में भी बेटों के बराबर हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को भी...

शिवभक्तों के काँवड व्रत की रक्षा के लिए सनातन धर्म है तैयार --हर हर महादेव 🚩

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( अब प्रपत्र देगा दुकान और दुकानदार की पूरी जानकारी-shalini kaushik law classes ) 11 जुलाई से श्रावण मास आरम्भ हो रहा है, हर साल की तरह शिव भक्त कांवड में गंगाजल भरकर लाने के लिए हरिद्वार पहुँचने आरम्भ हो गए हैं, हरियाणा, राजस्थान के कांवडिये और खुद उत्तर प्रदेश के निवासी लाखों की संख्या में हर साल काँवड लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से गुजरते हैं जिनमें मुजफ्फरनगर, शामली प्रमुख हैँ. कांवड लाने वाले शिवभक्तों की सेवा और स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशों पर प्रशासन ने सड़कों पर सफाई कार्य और राहत शिविरों की व्यवस्था करनी आरम्भ कर दी है.कुछ अराजक तत्वों के द्वारा कांवड यात्रा में विघ्न उपस्थित करने के प्रयासों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा वर्ष 2024 में भी काँवड मार्ग की दुकानों पर दुकानदारों का नाम लिखना अनिवार्य किया था और यही निर्देश इस वर्ष भी सरकार द्वारा जारी किये गए हैँ.  किन्तु अभी प्राप्त नई जानकारी के अनुसार खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नाम ल...

सीता-सूर्पनखा और रावण-राम का भेद समझना होगा न्यायालयों को

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  एक आईटी फर्म में काम करने वाले और अपनी पत्नी से तलाक के मुकदमे से गुजर रहे अतुल सुभाष ने दिसंबर में  आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और कथित तौर पर झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगाया। यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा। अतुल सुभाष द्वारा अपने 24 पेज के सुसाइड नोट और 81 मिनट के वीडियो में आरोप लगाया कि पत्नी निकिता सिंघानिया को 40 हजार रुपये महीना गुजारा भत्ता के तौर पर देने के बावजूद, पत्नी और उसके परिवार वाले सभी केस खत्म करने के लिए 3 करोड़ रुपये की रकम मांग रहे थे. साथ ही, बच्चे से मिलने के लिए 30 लाख रुपये की डिमांड की जा रही थी.    अतुल सुभाष के बाद और भी कुछ मामलों में पति पत्नी और उसके परिजनों द्वारा क़ानून के भेदभाव पूर्ण रवैयै और लगभग पत्नी के ही पक्ष को महत्व देने के कारण आत्महत्या के लिए विवश हो रहे हैं, ऐसे में, ये प्रश्न तो उठना स्वाभाविक ही है कि  🌑 महत्वपूर्ण प्रश्न:-     "क्या पति से तलाक ले लेने, पति के प्रति किसी भी दाम्पत्य कर्तव्य का निर्वहन न करने के बावजूद पत्नी क़ानून के इस उदार ...

ये नहीं किया तो मकान मालिक पर ₹5000 का जुर्माना तय

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1 जुलाई 2025 से भारत में मकान मालिकों के लिए अपनी सम्पत्ति किराये पर देने के संबंध में नया नियम लागू होने जा रहा है, जिसके तहत यदि मकान मालिक बिना ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट के मकान किराए पर देता है तो उस पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। इस नियम का उद्देश्य किराएदारों के हितों की रक्षा करना और रेंट एग्रीमेंट की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। ➡️ ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट के फायदे- ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट का उपयोग किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए फायदेमंद है। कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ यह विवादों को भी कम करता है।ई- स्टाम्प का महत्व यह भी है कि यह सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होता है, जिससे किसी भी विवाद की स्थिति में इसे सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है। ✒️ ई स्टाम्प से कानूनी सुरक्षा मिलती है. ✒️ ई स्टाम्प से विवादों का समाधान आसानी से हो जाता है. ✒️ ई स्टाम्प सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होता है. ✒️ ई स्टाम्प किराएदार के अधिकारों की रक्षाकरता है. ✒️ ई स्टाम्प मकान मालिक की जिम्मेदारियों का निर्धारण भी करता है. ➡️ बिना ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट जुर्माने का प्रावधान- बिना ई-स्टा...

एडवोकेट समझें वर्चुअल कोर्ट की अवधारणा

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 विधि और न्याय मंत्रालय की अवधारणा के अनुसार छोटे यातायात अपराध के मामलों से निपटने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत आभासी अदालतों की एक नई व्यवस्था की गई है । जिसमें कोर्ट रूम की आवश्यकता नहीं होती है । इसका लक्ष्य, अदालत में उल्लंघनकर्ता या अधिवक्ता की भौतिक उपस्थिति को समाप्त करके अदालतों में होने वाली भीड़ को कम करना है । वर्चुअल कोर्ट का प्रबंधन, वर्चुअल जज द्वारा किया जा सकता है, जिसके क्षेत्राधिकार में पूरा राज्य आता है और जिसमें पूरे सप्ताह चौबीसों घंटे (24X7) कार्य किया जा सकता है । इसमें न तो वादी को न्यायालय आने की आवश्यकता होगी और न ही न्यायाधीश को न्यायालय की भौतिक रूप से अध्यक्षता करने की आवश्यकता होगी । इस प्रकार, कीमती न्यायिक समय और जनशक्ति की बचत होगी । ➡️ भारत में कहाँ-कहाँ कितनी वर्चुअल कोर्ट- ✒️ 31.01.2025 की स्थिति के अनुसार, 21 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात दिल्ली (2), हरियाणा, चंडीगढ़, गुजरात (2), तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल (2), महाराष्ट्र (2), असम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर (2), उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (2), मध्य प्रदेश, त्रिपु...

सरकार के नये सख्त ट्रेफिक रूल्स 1 मार्च 2025 से प्रभावी

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  भारत सरकार द्वारा 1 मार्च, 2025 से नये यातायात नियम लागू किए हैं, जो पहले के यातायात नियमों से कहीं अधिक प्रभावी और सख्त हैं जिसमें सड़क सुरक्षा बढ़ाने और लापरवाह ड्राइविंग को रोकने के लिए भारी जुर्माने और दंड की व्यवस्था की गई है। सड़क दुर्घटनाओं में भारी वृद्धि को देखते हुए, ये संशोधन उल्लंघनों को हतोत्साहित करने और ज़िम्मेदार ड्राइविंग को प्रोत्साहित करने के लिए तुरंत अमल में लाये गए हैं. टू व्हीलर आज लगभग हर घर में नजर आ रहे हैं और दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण भी आज ये टू व्हीलर और इनके चालक हैं, जिन्हें कहीं भी भीड़ में आगे निकल जाने की जल्दी है. ऐसे में सरकार ने टू-व्हीलर वालों के लिए कुछ बड़े बदलाव लागू किए हैं, जो बेहद जरूरी है। इसके साथ ही, अभी पिछले दिनों वेस्ट यू पी में पेट्रोल पंपो पर ये सख़्ती भी विभिन्न जिलाधिकारी द्वारा की गई कि हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं -हालांकि यह सख़्ती अधिक चल नहीं पाई किन्तु ऐसा नहीं है कि आगे भी नहीं चलेगी, इसलिए अगर आपने अब भी हेलमेट पहनना शुरू नहीं किया है या लाइसेंस बनवाना टाल रखा है तो अब नये ट्रेफिक रूल्स पढ़ें और नियमों का पालन करें, अन्य...

मोदी सरकार ने 1 जुलाई से बदले रजिस्ट्री नियम

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  मोदी सरकार ने बदले रजिस्ट्री नियम-1 जुलाई से लागू Shalini kaushik law classes केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जमीन और फ्लैट की रजिस्ट्री प्रक्रिया में 1 जुलाई 2025 से बड़े बदलाव किये गए हैं ताकि रजिस्ट्री प्रक्रिया में धोखाधड़ी को रोका जा सके, इसके साथ ही भूमि और फ्लैट का रजिस्ट्रेशन पारदर्शी, तेज़ और डिजिटल स्वरुप में सफलता पूर्वक हो सके. 1 जुलाई 2025 से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में किये गए ये महत्वपूर्ण 4 बदलाव लागू होने जा रहे हैं जिनसे क्रेता और विक्रेता दोनों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने वाला है। इस तरह के बदलावों का सर्वप्रथम उद्देश्य धोखाधड़ी पर लगाम कसना है,इसके साथ ही पहले से चली आ रही लम्बी दस्तावेजी प्रक्रिया और उसके कारण आम जनता का इसमें लगने वाला लम्बा समय, इन दोनों में ही कटौती होने जा रही है. ➡️ रजिस्ट्रेशन के 4 बदलाव-  1️⃣ रजिस्ट्री के लिए सत्यापित आधार अनिवार्य-  जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री कराने के लिए अब हर व्यक्ति के आधार कार्ड का बायोमैट्रिक वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है। 🌑 बदलाव से ये सम्भव होगा- 1️⃣ फर्जी पहचान के ज़रिए रजिस्ट्री होना सम्भव नहीं. 2️⃣ म...