इलाहाबाद हाई कोर्ट - शादी करके पत्नी का संरक्षक बनें-मालिक नहीं

 


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक युवक द्वारा अपनी पत्नी के अंतरंग वीडियो सोशल मीडिया वेबसाइट पर वायरल करने के आरोपी युवक को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, 
शादी करके उसके संरक्षक बने हो. मालिक नहीं। उसके समर्पण और भरोसे का सम्मान करो। यदि वैवाहिक पवित्रता कायम नहीं रख सकते तो राहत के हकदार नहीं हो।
 यह कहते हुए जस्टिस विनोद दिवाकर की कोर्ट ने मिर्जापुर निवासी युवक की जिला अदालत में लंबित आपराधिक कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।

  उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के पडरी थाना क्षेत्र में धनही निवासी युवक की शादी चुनार के पिरल्ली गांव में हुई थी। आठ मई 2022 को पत्नी ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया कि दहेज उत्पीड़न को लेकर दर्ज मुकदमे की सुलह के लिए 13 सितंबर 2021 को वह ससुराल गई थी। उसी रंजिश में पति ने उसकी मर्जी के खिलाफ अंतरंग वीडियो बनाए। उसके बाद उसे रिश्तेदारों के मोबाइल व सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इससे उसकी प्रतिष्ठा को आघात पहुंचा है।विवेचना के बाद पुलिस ने पति के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आईटी एक्ट की धाराओं में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। कोर्ट ने समन जारी कर पति को तलब किया। इसके खिलाफ पति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वादी के अधिवक्ता ने दलील दी कि पीड़िता कानूनी तौर पर उसकी विवाहित पत्नी है। अंतरंगता उसका अधिकार है। वीडियो बनाने व उसे सोशल मीडिया पर अपलोड करने का साक्ष्य रिकॉर्ड में उपलब्ध नहीं है। लिहाजा, आईटी एक्ट के तहत दर्ज मुकदमा  रद्द किया जाना चाहिए।

     कोर्ट ने दलीलों को सिरे से खारिज कर कहा, 

"पत्नी का शरीर उसकी अपनी संपति है। उसके निजी जीवन से जुड़ी हर बात में उसकी सहमति जरूरी है। विवाह एक पवित्र रिश्ता है। विश्वास उसकी नींव है। खुद को पत्नी का मालिक मान कर सोशल मीडिया पर अंतरंग वीडियो अपलोड कर वैवाहिक रिश्ते की पवित्रता को भंग नहीं किया जा सकता। पत्नी , पति से अपेक्षा करती है कि वह उसके समर्पण और भरोसे का सम्मान करे।"

प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 


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