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लीज एंड लाइसेंस से सुरक्षित रहेगा घर

     आज तक मकान मालिक घर किराये पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट बनवाते आ रहे हैं जिसमें घर को किराएदारी पर देने का 11 महीने का अनुबन्ध रहता है. घर के कब्जे को सुरक्षित रखने के लिए मकान मालिक द्वारा यह एग्रीमेंट अमल में लाया जाता रहा है किन्तु अब रेंट एग्रीमेंट की तुलना में लीज एंड लाइसेंस बनवाने की पहल की गई है जिस में व्यक्ति का मालिकाना हक रेंट एग्रीमेंट से ज्यादा सुरक्षित रहता है. यह दस्तावेज रेंट एग्रीमेंट या किरायेनामे की तरह ही आसानी से बन जाता है.     घर किराये पर देने से पहले हर मकान मालिक के मन में यह डर हमेशा रहता है कि कहीं किरायेदार घर पर कब्जा कर ले. जिससे बचने के लिए मकान मालिक रेंट एग्रीमेंट बनवाते रहे है. फिर भी किराएदार के साथ कुछ न कुछ विवाद की संभावना बनी रहती है.      इसीलिए आज आप जानिए एक ऐसे दस्तावेज के बारे में जिसे तैयार कराने के बाद घर पर आपका मालिकाना हक और सुरक्षित हो जाएगा. अगर घर पर किरायेदार के कब्जे के डर से बेफ्रिक रहना है तो ‘लीज एंड लाइसेंस’ जरूर बनवाएं. क्योंकि, यह डॉक्‍यूमेंट मकान मालिक के हितों की रक्षा करता है. दरअसल यह कानूनी दस्तावेज इस तरह से तैय

अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 30 सितंबर से लागू

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       केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अधिवक्ता (संशोधन) अधिनियम, 2023, 30 सितंबर, 2024 को सक्रिय हो जाएगा। यह घोषणा अधिनियम की धारा 1 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के तहत की गई, जो पूरे भारत में कानूनी पेशेवरों के शासन में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करता है.       कानून और न्याय मंत्रालय के अनुसार इस संशोधन का उद्देश्य 1961 के अधिवक्ता अधिनियम को पुनर्जीवित करना है, जो कानूनी चिकित्सकों की ईमानदारी और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है। आगामी परिवर्तन अधिवक्ताओं के आचरण से लेकर कानूनी समुदाय के भीतर कदाचार की चिरकालिक समस्या तक के मुद्दों से निपटने के लिए अमल में लाए गए हैं।     केंद्र सरकार द्वारा किया गया उल्लेखनीय संशोधन  धारा 45 ए में किया गया है जो उच्च न्यायालयों और सत्र न्यायाधीशों जैसे न्यायपालिका निकायों को दलाली के लिए जाने जाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन्हें सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाएगा। कानूनी व्यवसाय में दलाल उन्हें कहते हैं जिन्हें अक्सर शुल्क के लिए, वकीलों के लिए व्यवसाय की मांग करते देखा जाता है, वे दलाल ही अब कड़ी जाँच और संभावित दंड का सामना करेंगे। इस धारा में सं

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के AIBE 19 को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश

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  बार काउंसिल ऑफ इंडिया AIBE 19 परीक्षा 2024, 24नवंबर, 2024 को आयोजित करने जा रही है। अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 की अधिसूचना 2024 के अनुसार, वे सभी उम्मीदवार जिनके पास नामांकन प्रमाणपत्र नहीं है, और जो 3-वर्षीय या 5-वर्षीय एकीकृत एलएलबी डिग्री पाठ्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 (XIX) 2024 के लिए उपस्थित हो सकते हैं। अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 2024: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है। जिसके अनुसार, वे सभी उम्मीदवार जिनके पास नामांकन प्रमाणपत्र नहीं है, और जो 3 वर्षीय या 5 वर्षीय एकीकृत एलएलबी डिग्री कोर्स के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे AIBE 19 (XIX) परीक्षा 2024 दे सकते हैं। AIBE 19 आवेदन प्रक्रिया 2024 वर्तमान में चल रही है और ऐसे छात्रों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 25 सितंबर, 2024 से शुरू होनी है जबकि अन्य छात्रों के लिए, जिनका बार काउंसिल में नामांकन हो चुका है  अखिल भारतीय बार परीक्षा के आवेदन की प्रक्रिया 3 सितंबर से आरम्भ हो चुकी है. AIBE 19 आवेदन 2024 भरने की अंतिम तिथि वही रहेगी। उम्मीदवार 25 अक्टूबर, 2024

एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट देगा वकीलों को सुरक्षा?

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  Link post - Shalini Kaushik Law Classes      अब एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट अगर लागू हो भी गया तो वकीलों को शायद ही कोई प्रोटेक्शन मिल पाएगा और यह स्थिति उभर रही है तब से जब से अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन के नए नियम आए हैं जिनमे अभ्यर्थी का पुलिस वेरीफिकेशन सम्बन्धित बार काउंसिल द्वारा अनिवार्य बना दिया गया है. एक साल पहले हापुड़ में महिला अधिवक्ता और उनके पिता के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में जाम लगा रहे वकीलों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया. इससे पहले महिला अधिवक्ता के साथ बीच सड़क पर सिपाही द्वारा अभद्रता और छेड़छाड़ की गई। जिसके बाद पूरे यू पी में दो सप्ताह से ज्यादा चली वकीलों की हड़ताल की यूपी बार कौंसिल अध्यक्ष श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी ने वापसी की घोषणा की। उनके द्वारा बताया गया कि अधिवक्ताओं की मांगें मान ली गई, दोषी पुलिस कर्मियों के निलंबन और तबादले करने, आंदोलन के दौरान वकीलों पर हुए मुकदमें वापस लेने, चोटिल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिलाने, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट यूपी में लागू करने और प्रदेश के प्रत्येक जिले में वकीलों के लिए शिकायत सेल बनाने संबंधी मांगे

सार्वजनिक खंबे की लाइट बंद करना - कानून

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  (link post - shalini kaushik law classes)  भारतीय विद्युत अधिनियम, 1948 के अंतर्गत जो कोई भी दुर्भावनापूर्ण रूप से सार्वजनिक लैंप बुझाता है उसे कारावास की सजा से दंडित करने का प्रावधान है, जिसका समय 6 महीनों का हो सकता है, या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है जिसकी राशि तीन सौ रुपए है, या दोनो से दंडित किया जा सकता है।       और ये कानून उन सभी असामाजिक तत्वों को जान लेना चाहिए जो प्रतिदिन शाम को अंधेरा होते ही श्री राम दरबार सीता चौक कांधला पर स्थित बिजली विभाग द्वारा लगाए गए खम्भों पर लगी हुई लाइट को अपनी इच्छा के अनुसार बंद कर सार्वजनिक आवागमन में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और आसपास के घरों की, महिलाओं की और बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं. शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को AIBE का अधिकार देना गैरजरूरी कदम

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            माननीय उच्चतम न्यायालय ने अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को 24 नवंबर को होने वाली अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी,        न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए रजिस्ट्रेशन से बाहर करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि बीसीआई का निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बोनी फोई लॉ कॉलेज एवं अन्य में संविधान पीठ के निर्णय के विपरीत है, जिसके अनुसार अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष निलय राय और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 577/2024 में सुनवाई के दौरान, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रस्तुत किया कि उन्हें फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट के संबंध में नियम बनाने के लिए समय चाहिए। पीठ ने कहा कि वे नियम बनाने में समय ले सकते हैं,

सड़कों पर रील बनाना स्टंट करना अपराध घोषित करे उत्तर प्रदेश सरकार

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 पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 34 में - सड़क आदि पर कुछ अपराधों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 34 कहती हैं कि -  कोई व्यक्ति जो किसी नगर की सीमाओं के भीतर किसी सड़क पर या किसी खुले स्थान या गली या मुख्य मार्ग पर, जिस पर राज्य सरकार द्वारा यह धारा विशेष रूप से लागू होगी, निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा जिससे निवासियों या यात्रियों को बाधा, असुविधा, कष्ट, जोखिम, खतरा या क्षति पहुंचे, वह मजिस्ट्रेट के समक्ष दोषसिद्धि पर पचास रुपए से अधिक का जुर्माना या आठ दिन से अधिक कठोर श्रम सहित या रहित कारावास से दण्डनीय होगा; और किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए यह वैध होगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को, जो उसकी दृष्टि में ऐसा कोई अपराध करता है, बिना वारंट के हिरासत में ले,     इसी धारा की उपधारा 7 में शरीर के अभद्र प्रदर्शन को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. आजकल रील बनाने के चलन में सड़कों पर लड़कों द्वारा मोटर साइकिल पर स्टंट कर और ल़डकियों द्वारा बीच सड़क पर नृत्य आदि कर यात्रियों और वाहनों के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा की जा रही है. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि सड़कों पर स्टंट औ