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नामांतरण शुल्क वसूलना गलत -बॉम्बे हाईकोर्ट

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      बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि  " किसी अधिवक्ता का नाम एक राज्य बार काउंसिल की सूची से दूसरे राज्य बार काउंसिल की सूची में स्थानांतरित करने पर कोई शुल्क वसूलना कानूनन गलत है।"  न्यायालय ने इसे अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 18 (1) के प्रावधानों के विपरीत ठहराया। ➡️ अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 18 (1)- ✒️ 18. एक राज्य की नामावली से दूसरे राज्य की नामावली में नाम का अन्तरण.  (1) धारा 17 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति, जिसका नाम किसी राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली में अधिवक्ता के रूप में दर्ज है, अपना नाम उस राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली से किसी अन्य राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली में अन्तरित कराने के लिए, विहित रूप में, भारतीय विधिज्ञ परिषद् को आवेदन कर सकेगा और ऐसे आवेदन की प्राप्ति पर भारतीय विधिज्ञ परिषद् यह निदेश देगी कि ऐसे व्यक्ति का नाम, किसी फीस के सन्दाय के बिना, प्रथम वर्णित राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली से हटा कर उस अन्य राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली में दर्ज किया जाए और सम्बद्ध राज्य विधिज्ञ परिषद् ऐसे निदेश का अनुपालन करेगी...

महिला आयोग गंभीर महिला सुरक्षा को लेकर

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  ( ई रिक्शाओं पर महिला आयोग गंभीर ) उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग महिलाओं के साथ ई-रिक्शा में हो रही छेड़छाड़ की घटनाओं को लेकर गंभीर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व में जारी किये गए निर्देशों को अमल में लाने की कार्यवाही करते हुए महिला आयोग ने भी निर्देश दिया है कि अब हर ई-रिक्शा पर चालक का नाम और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए. ➡️ उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष- उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्षा डॉ. बबीता सिंह चौहान हैं, जिनकी नियुक्ति सितंबर 2024 में की गई थी. उन्होंने इस पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से प्रदेश में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम किया है और कई जिलों का दौरा भी किया है, जिसमें उन्होंने जेलों का निरीक्षण किया और अस्पतालों में बेबी किट बांटी. ➡️ महिला आयोग की महत्वपूर्ण बैठक- महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ बबीता सिंह चौहान ने बाराबंकी में अफसरों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और यह निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं. बैठक में आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई अहम बिंद...

केवल रजिस्ट्रेशन से मान्य नहीं हिन्दू विवाह: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि  " हिंदू विवाह केवल रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता। इसलिए फैमिली कोर्ट आपसी तलाक याचिका में विवाह रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने पर ज़ोर नहीं दे सकती। " न्यायालय ने आगे कहा कि  "यद्यपि राज्य सरकारों को ऐसे विवाहों के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने का अधिकार है, उनका उद्देश्य केवल 'विवाह का सुविधाजनक साक्ष्य' प्रस्तुत करना है। इस आवश्यकता का उल्लंघन हिंदू विवाह की वैधता को प्रभावित नहीं करता है." जस्टिस मनीष कुमार निगम की पीठ ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता (सुनील दुबे) द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए की, जिसमें उन्होंने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के तहत तलाक की कार्यवाही में विवाह रजिस्ट्रेश सर्टिफिकेट दाखिल करने से छूट मांगने वाली उनकी याचिका फैमिली कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी।  संक्षेप में मामला  याचिकाकर्ता और उनकी पत्नी ने 23 अक्टूबर, 2024 को आपसी सहमति से तलाक के लिए संयुक्त रूप से याचिका दायर की। कार्यवाही के दौरान, फैमिली कोर्ट ने उन्हें अपना विवाह प्रमाणपत्र दाखिल करने क...

योगी सरकार अब दंड नहीं देगी......

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       उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आबकारी, वन समेत 11 से अधिक कानूनों में बदलाव करने की तैयारी कर ली है. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि  " सीएम ने एक उच्चस्तरीय बैठक में 'सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025' के प्राविधानों पर चर्चा की तथा आवश्यक निर्देश दिए."  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि " #EaseofDoingBusiness को और सशक्त बनाने के लिए नए कदम उठाना समय की मांग है. साथ ही, यह भी उतना ही आवश्यक है कि औद्योगिक विकास के साथ श्रमिकों की सुरक्षा और सुविधा की गारंटी सुनिश्चित हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'श्रमेव जयते' के भाव को आत्मसात करते हुए हमें ऐसे सुधार करने होंगे, जो श्रमिकों और उद्यमियों, दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हों." 🌑   क्या है सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 ' - ( shalini kaushik law classes ) मुख्यमंत्री कार्यालय के सोशल मीडिया साइट एक्स पर सीएमओ के आधिकारिक अकाउंट के जरिए बताया गया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार,  " यूपी सरकार...

उम्मीद पोर्टल निलंबन याचिका -तत्काल सुनवाई से इंकार

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    ( shalini kaushik law classes) सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा वक्फ, जिसमें वक्फ-बाय-यूजर भी शामिल हैं, के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए शुरू किए गए 'उमीद पोर्टल' के निलंबन की मांग वाली याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि - "वक्फ संशोधन अधिनियम चुनौती में विचार करेंगे. "     चीफ जस्टिस बीआर गवई ने मौखिक रूप से कहा कि-  "कोर्ट इस मुद्दे पर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संचालन को स्थगित करने की याचिका पर अपने लंबित फैसले में विचार करेगा।"  उन्होंने एडवोकेट शाहरुख आलम से कहा,  “आप पंजीकरण कराएं, कोई भी आपको पंजीकरण से मना नहीं कर रहा है... हम उस हिस्से पर विचार करेंगे।” आभार 🙏👇 प्रस्तुति  शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली )

1.25 करोड़ रूपये का स्थाई गुजारा भत्ता दें -सुप्रीम कोर्ट

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  ( shalini kaushik law classes ) सुप्रीम कोर्ट ने पति को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपरिवर्तनीय विच्छेद के आधार पर विवाह विच्छेद करते समय अपनी पत्नी को 1.25 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।  जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट का आदेश के विरुद्ध अपील पर सुनवाई की, जिसमें प्रतिवादी-पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर फैमिली कोर्ट द्वारा पति के पक्ष में दिए गए तलाक का आदेश रद्द कर दिया गया। हाईकोर्ट का निर्णय रद्द करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ द्वारा लिखित निर्णय में विवाह विच्छेद के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग किया गया, जिसमें कहा गया कि " फैमिली कोर्ट द्वारा उसके पक्ष में पारित तलाक के आदेश के आधार पर पति द्वारा किए गए पुनर्विवाह के कारण विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट गया।"  अदालत ने कहा,  "यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है। वे 2010 से यानी लगभग 15 वर्षों से अलग रह रहे हैं। उनके बीच वैवाहिक संबंध का कोई निशान नहीं है। किसी भी पक्ष ने अपन...

16साल की मुस्लिम लड़की को वैध विवाह का अधिकार-सुप्रीम कोर्ट

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(Shalini kaushik law classes) सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने मंगलवार (19 अगस्त) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को ख़ारिज कर दिया गया। याचिका द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 2022 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें कहा गया था कि 16 साल की मुस्लिम लड़की किसी मुस्लिम पुरुष से वैध विवाह कर सकती है और दंपति को धमकियों से सुरक्षा प्रदान की गई थी।       जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने निर्णय में कहा कि   "राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) इस मुकदमे से अनजान है और उसे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।" खंडपीठ ने पूछा कि- "राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को धमकियों का सामना कर रहे दंपति के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देनी चाहिए?"  खंडपीठ ने कहा,  "NCPCR के पास ऐसे आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है... अगर दो नाबालिग बच्चों को हाईकोर्ट द्वारा संरक्षण प...