इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवाह पंजीकरण नियमों में संशोधन के सुझाव


      इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जाली दस्तावेजों के जरिए शादी कराने वाले गिरोहों और घर से भागकर शादी के बाद मानव तस्करी, यौन शोषण और जबरन श्रम जैसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 2017 को संशोधित करने के निर्देश दिए हैं और इसके लिए छह महीने का समय निर्धारित किया है। कोर्ट ने कहा कि -

"विवाह की वैधता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए नियम में संशोधन करने की आवश्यकता है।" 

कोर्ट ने कहा कि -

"सत्यापन योग्य विवाह पंजीकरण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। "

      यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शनिदेव व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

 इलाहबाद हाई कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव को 2017 के विवाह पंजीकरण के नियम में संशोधन में कुछ सुझाव भी दिए हैं जो कि निम्नलिखित हैं

🌑  विवाह के लिए धार्मिक रीतिरिवाज, अनुष्ठान का खुलासा अनिवार्य किया जाए। 

🌑 विवाह अधिकारियों को आपत्तियां उठाने, संदेह के आधार पर आवेदन अस्वीकार करने और रिकॉर्ड बनाए रखने का अधिकार दिया जाए। 

🌑 फर्जी प्रमाण पत्रों को रोकने के लिए पुजारियों/संस्थाओं को विनियमित करने के लिए कानून बनाया जाए। 

🌑 विवाह कराने वाली संस्थाओं की जवाबदेही के लिए आयु और निवास प्रमाण की फोटोकॉपी रखना अनिवार्य किया जाए।

 🌑 आयु दस्तावेज को रोकने के लिए पंजीकरण के साथ ऑनलाइन आयु सत्यापन प्रणाली बनाई जाए। 

🌑 विवाह पंजीकरण के लिए वर वधु का आधार प्रमाणीकरण दोनों पक्षों और गवाहों का बायोमीट्रिक डाटा, फोटो, सीबीएसई, यूपी बोर्ड, पैन, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आधिकारिक पोर्टल से आयु सत्यापन किया जाए। 

🌑 ख़ासकर भागकर शादी करने वाले जोड़ो के वीडियो फोटो को भी विवाह पंजीकरण में शामिल किया जाए।

प्रस्तुति

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

कैराना (शामली)


टिप्पणियाँ

  1. विवाह में होने वाली धांधली को देखते हुए ये संशोधन समीचीन हैं

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    1. सहमत, टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏

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