नाबालिग की संपत्ति और कानून की दृष्टि

    

     आज तक आपने यह जाना है कि दादा लाई संपत्ति में बच्चे का जन्म से ही अधिकार पैदा हो जाता है. आज आप जान सकते हैं वह अधिकार जो बच्चे की संपत्ति की सुरक्षा के लिए जरूरी है. ये जानना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि जन्म लेते ही बच्चा अपनी संपत्ति की देखभाल नहीं कर सकता. बच्चे के जन्म लेने के बाद उसकी, उसकी संपत्ति की सुरक्षा उसके माता पिता करते हैं, दादा दादी करते हैं और बहुत सी स्थितियों में उसके अभिभावक या कानूनी संरक्षक करते हैं.

➡️ नाबालिग की संपत्ति बेचने का अधिकार - 

    दादा की ज़मीन पर नाबालिग बच्चों की संपत्ति हो जाती है. जिसे नाबालिग के बालिग होने तक उसके माता पिता, दादा दादी, अभिभावक या कानूनी संरक्षक की सुरक्षा में रखा जाता है,किन्तु बहुत सी विपरीत परिस्थितियों में उस सम्पति को बेचने की आवश्यकता आन पड़ती है तब कानूनन रूप से कोर्ट की अनुमति लेनी होती है. बिना कोर्ट की अनुमति बेची गई संपत्ति का सौदा अमान्य हो सकता है. 

➡️ नाबालिग की संपत्ति पर लागू कानून: 

🌑 कोई माता पिता, दादा दादी, अभिभावक या कानूनी संरक्षक न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना नाबालिग की अचल संपत्ति को बेच, उपहार या हस्तांतरित नहीं कर सकते। 

🌑 नाबालिग की संपत्ति की बिक्री के लिए न्यायालय की अनुमति केवल आवश्यकता या नाबालिग के लिए स्पष्ट लाभ के मामलों में दी जाती है.

🌑 नाबालिग और उसकी संपत्ति के कल्याण के लिए काम करने की ज़िम्मेदारी माता-पिता, दादा-दादी, अभिभावक या संरक्षक की होती है. संरक्षक और वार्ड अधिनियम, 1890 (GAWA) और हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 (HMGA) नाबालिग की संपत्ति की सुरक्षा से जुड़े कानून को नियंत्रित करते हैं.

🌑 भारतीय कानून के तहत नाबालिग की संपत्ति को बिना न्यायालय की अनुमति के बेचना अवैध है जिसे नाबालिग द्वारा बालिग होने के बाद भी न्यायालय की शरण में आकर निरस्त कराया जा सकता है. ऐसे में, अगर बिना न्यायालय की अनुमति के नाबालिग की संपत्ति बेची जाती है, तो नाबालिग या उसके कानूनी उत्तराधिकारी उस सौदे को अदालत में चुनौती देकर रद्द करा सकते हैं।

🌑 मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत भी बिना अदालत की मंजूरी के नाबालिग की संपत्ति बेचना वैध नहीं माना जाता।

➡️ प्राकृतिक अभिभावक के अधिकार नाबालिग की संपत्ति के सम्बन्ध में - 

🌑 पिता या माता नाबालिग बेटे की संपत्ति बेच सकते हैं, लेकिन उन्हें नाबालिग बेटे की संपत्ति बेचने से पहले अदालत से अनुमति लेनी होगी। वह नाबालिग के सर्वोत्तम हित में कार्य करने और उनकी संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए जिम्मेदार है। 

🌑 हिंदू अल्पसंख्यक और संरक्षकता अधिनियम, 1956 (HMGA)की धारा 8 के अनुसार -

   नाबालिग की अचल संपत्ति को बेचना, गिरवी रखना, उपहार में देना या किसी भी तरह से ट्रांसफर करना तभी वैध होगा, जब अदालत से पूर्व अनुमति ली गई हो।

🌑 सुप्रीम कोर्ट का फैसला नाबालिग की संपत्ति पर -            भारत के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि नाबालिग की संपत्ति कानून के तहत संरक्षित है और अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे बेचा नहीं जा सकता । ऐसा इसलिए किया गया है ताकि नाबालिग के हितों की रक्षा की जा सके और उनकी संपत्ति के किसी भी तरह के दुरुपयोग को रोका जा सके।

🌑क्या माँ-बाप नाबालिग की संपत्ति बेच सकते हैं - 

नहीं, मां-बाप नाबालिग बच्चे के संरक्षक माँ-बाप बिना अदालत की अनुमति के नाबालिग की ज़मीन नहीं बेच सकती. ऐसा करना अवैध है. 

🌑 कारण-

🌑नाबालिग की संपत्ति को बेचने के लिए कानूनी अभिभावक या संरक्षक को अदालत की अनुमति की ज़रूरत होती है. अदालत से अनुमति लेने के बाद ही नाबालिग की संपत्ति को बेचा जा सकता है. 

🌑अदालत द्वारा ऐसी अनुमति नाबालिग का हित देखकर ही दी जाती है, इस तरह अदालत से अनुमति लेने से यह सुनिश्चित होता है कि बिक्री नाबालिग के हित में ही है. 

🌑 नाबालिग के नाम से संपत्ति बेचना कानूनी रूप से मान्य नहीं होता. 

🌑 ऐसे लेन-देन को अदालत आमतौर पर खारिज कर देती है. 

🌑 अगर कोई व्यक्ति नाबालिग की संपत्ति बेचना चाहता है, तो इसके लिए पहले अदालत से अनुमति लेनी होगी. 

🌑 अगर अभिभावक द्वारा की गई बिक्री को चुनौती देनी हो, तो सीमा अवधि के भीतर मुकदमा दायर करना होगा. अभिभावक द्वारा नाबालिग की संपत्ति बेचने पर चुनौती देने की सीमा अवधि, नाबालिग के वयस्क होने की तारीख से तीन साल है. इस अवधि के बाद चुनौती देने का अधिकार खत्म हो जाता है. 

➡️ नाबालिग की संपत्ति बेचने के लिए कोर्ट की अनुमति लेने का तरीका:

🌑 अभिभावक को कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी. 

🌑 यह साबित करना होगा कि संपत्ति बेचना नाबालिग के हित में है. 

🌑 कोर्ट यह सुनिश्चित करेगा कि बिक्री नाबालिग बच्चे के सर्वोत्तम हित में हो. 

इसलिए अगर कोई संरक्षक नाबालिग की संपत्ति बेचना चाहता है, तो उसे पहले कोर्ट में याचिका दायर करनी होगी और यह साबित करना होगा कि यह प्रॉपर्टी बेचना नाबालिग के हित में है। बिना कोर्ट की अनुमति बेची गई संपत्ति का सौदा अमान्य (Void) हो सकता है।

➡️ नाबालिग की संपत्ति से जुड़े कुछ और नियम:

🌑 नाबालिग की संपत्ति की बिक्री के लिए अभिभावक को कोर्ट की मंज़ूरी लेनी होती है. 

🌑 अगर अभिभावक बिना कोर्ट की मंज़ूरी के नाबालिग की संपत्ति बेचता है, तो बिक्री शून्य होगी. 

🌑 नाबालिग की संपत्ति की बिक्री को चुनौती देने के लिए, नाबालिग को सीमा अवधि के अंदर मुकदमा दायर करना होता है. 

🌑 अगर नाबालिग बीच में चुनौती नहीं देता और ज़रूरी पक्षों को शामिल नहीं करता, तो मुकदमा खारिज हो सकता है. 

🌑 नाबालिग भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 के तहत अनुबंध नहीं कर सकता, इसलिए उसकी संपत्ति के अधिकार सुरक्षित हैं. 

🌑 नाबालिग की संपत्ति के हस्तांतरण की प्रकृति (शून्यकरणीय या शून्य) इस बात पर निर्भर करती है कि नाबालिग के अधिकारों को कैसे प्रभावित किया गया है.

         नाबालिग के संपत्ति हित भारतीय कानून के अंतर्गत सुरक्षित किए गए हैं और यह सब नाबालिगों के हित को देखते हुए किया गया है. 

प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 


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