घिबली - थोड़ा अलर्ट हो जाएं

 


       आज साइबर क्राइम का दौर है. साइबर क्राइम के दौर में एक नया ट्रेंड शुरू हो गया है जिसका नाम है - Ghibli राजनीति हो , शिक्षा हो , व्यापार हो, युवा हों , वृद्ध हों, लड़के हों, लड़कियाँ हों सब दीवाने हुए जा रहे हैं, नहीं देख रहे हैं कि ये अच्छे दिन आने वाले हैं का समय नहीं है बल्कि यह समय है - डिजिटल अरेस्ट का, ऑनलाइन फ्रॉड का. लोकप्रिय आर्टिफिशियल (AI) टूल चैटजीपीटी पर तस्वीरों को जापानी एनिमेशन शैली घिबली पर अपलोड कर एनिमेटेड सुविधा शुरू होने के साथ ही पूरी दुनिया में यह बहुत जल्द लोकप्रिय हो गया है. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों को इस मनोरंजक ट्रेंड से प्राइवेसी के लिए गंभीर खतरे पैदा होने की आशंका है . विशेषज्ञों का कहना है कि एआई टूल की सेवा शर्तें अक्सर अस्पष्ट होती हैं, जिन्हें पढ़ने के लिए न तो कोई यूजर्स उत्सुक रहते हैं और न ही इतनी लम्बी प्रक्रिया को पढ़ने का किसी के पास समय होता है. इस तरह यह अनिश्चित ही रहता है कि फोटोज प्रोसेस होने के बाद यूजर्स की तस्वीरों का क्या किया जाएगा.  घिबली का फैशन ट्रेंड जोरों पर है आजकल, जो घिबली पर फोटो अपलोड कर सफल हो रहा है उसके आगे पीछे चर्चाओं के कैमरे लग रहे हैं जबकि इसके खतरे का उन्हें अभी तक आभास भी नहीं है. साइबर विशेषज्ञों की मानें तो इस से साइबर अटैक का खतरा मंडरा रहा है भारत ही क्या विश्व के घर घर पर , क्योंकि घिबली ट्रेंड सभी के लिए खतरनाक हो सकता है. 

➡️ घिबली क्या है ?

घिबली एक एआई टूल है। चेट जीपीटी के जरिए लोग अपने द्वारा क्लिक किए गए साधारण फोटो घिबली स्टाइल (ए आई ) तकनीक में बदल रहे हैं। यह आजकल ट्रेंड में बना हुआ है। घिबली एक जापानी एनिमेशन स्टूडियो है, जिसके नाम पर यह ट्रेंड चल रहा है।

➡️ साइबर एक्सपर्ट्स की राय-

डिजिटल प्राइवेसी विशेषज्ञ और साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट्स घिबली को लेकर बढ़ते आकर्षण को देखते हुए चिंतित हैं. उनके अनुसार इस ट्रेंड का उपयोग लोगों की निजी तस्वीरें इकट्ठा करके अपने एआई मॉडल को बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए कर सकता है. ऐसे में, कई यूजर्स अनजाने में अपने मोबाइल का ताज़ा बायोमेट्रिक डेटा घिबली को सौंप रहे हैं .जिससे उनकी प्राइवेसी को गम्भीर खतरा उत्पन्न हो सकता है. 

🌑  साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा का कहना है कि एआई के पास हमारी ज्यादातर जानकारी होती है, लेकिन बची हुई कमी घिबली नाम के एआई टूल ने पूरी कर दी। लोग इस पर अपनी पर्सनल फोटो शेयर कर एनिमेशन फोटो बना रहे हैं। इससे हमारी फोटो का आने वाले समय में गलत उपयोग हो सकता है। क्योंकि हमारा डाटा सर्वर में सेव हो जाता है। जो डार्क वेब पर बेचा जाता है। सरकार को इसकी जांच करा कर लोगों को सुझाव जारी करने चाहिएं।

🌑 AI आई इंजीनियर ठाकुर हर्ष सिंह ने एआई इमेज जनरेशन की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा, "आप अपनी तस्वीरें अपलोड कर सकते हैं लेकिन व्यक्तिगत तस्वीरों को सुरक्षित रखना बेहद ज़रूरी है! गूगल, GPT और ग्रोक जैसे फेमस एआई टूल्स को इस्तेमाल करना कुछ हद तक सुरक्षित हो सकता है लेकिन पूरी तरह से इस पर भरोसा जताना ठीक नहीं है."

🌑 AI Ghibli Style Photo: डीपफेक का खतरा-

साइबर विशेषज्ञ ने डेटा उल्लंघन के जोखिम को भी रेखांकित कर रहे हैं और बता रहे हैं कि चोरी हुई तस्वीरों का उपयोग डीपफेक और पहचान धोखाधड़ी के लिए किया जा सकता है. 

🌑 कैस्परस्की के व्लादिस्लाव तुशकानोव ने कहा कि तस्वीरों से जुटाया गया डेटा लीक हो सकता है या उसे डार्क वेब पर बेचा जा सकता है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक बार कोई फोटो सार्वजनिक हो जाए तो उसे वापस लेना मुश्किल है. विशेषज्ञों ने यूजर्स को एआई ऐप के साथ पर्सनल फोटो शेयर करते समय सावधानी बरतने की सलाह दी है. 

🌑 विशाल साल्वी की चेतावनी- कंपनियां भले ही डेटा स्टोर न करने का दावा करें, लेकिन अपलोड की गई तस्वीरों का उपयोग निगरानी या विज्ञापन के लिए एआई मॉडल को ट्रेनिंग करने जैसे उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. 

🌑 मैकएफी के प्रतीम मुखर्जी ने कहा कि इन उपकरणों का डिजाइन यूजर्स को यह समझने से रोकता है कि वे वास्तव में किस बात से सहमत हो रहे हैं. उन्होंने चिंता जताई कि रचनात्मकता की आड़ में डेटा शेयरिंग का एक ऐसा तरीका बन रहा है जिसे यूजर्स पूरी तरह से समझते नहीं हैं.

🌑 घिबली के खतरे - 

     कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स कह रहे हैं कि हम यूजर्स की प्राइवेट फोटोज को स्टोर नहीं करेंगे जबकि अधिकांश मंच इस बारे में शांत हैं. साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक, प्राइवेट फोटोज में न केवल चेहरे का डेटा होता है, बल्कि जगह, टाइम और डिवाइस जैसी छिपी हुई जानकारी (मेटाडेटा) भी शामिल होती है. जिससे व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा हो सकता है. आप स्वयं देख सकते हैं कि जब आप को फोटो अपने मोबाइल से क्लिक करते हैं तो फोटो की डिटेल्स में जाने पर *फोटो कब लिया गया,*फाइल इंफो *प्लेस *लोकेशन आदि सभी उसमें आती हैं और जब आप फोटो घिबली पर अपलोड करते हैं तो ये सब प्राईवेट जानकारी घिबली के पास पहुंच जाती हैं. 

➡️ डेटा तक फोटो के साथ चोरी हो सकता है-

आप घिबली ट्रेंड के लिए जब भी कोई फोटो एआई टूल पर अपलोड करते हैं, तब आप सिर्फ अपने चेहरे की डिटेल शेयर नहीं करते, बल्कि लोकेशन, प्लेस, आदि कई तरह का डेटा के साथ डिवाइस का मेटाडेटा भी शेयर करते हैं. जिससे आपकी प्राइवेसी को गम्भीर खतरा पहुंच सकता है.

🌑 सुरक्षा के लिए क्या करें - 

   साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक घिबली पर फोटो अपलोड करने से पहले-

* एआई ऐप में सुरक्षा संबंधी उपायों में मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल किया जाए. 

*वेरिफिकेशन प्रक्रिया का पालन किया जाए. 

* फोटो अपलोड करने से पहले मेटाडेटा को हटाया जाए. 

        साइबर विशेषज्ञों द्वारा सरकारों से डेटा उपयोग के संबंध में स्पष्ट खुलासे को अनिवार्य किए जाने का भी आह्वान किया है.

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 


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