NALSA के 30 साल और 10 मई की लोक अदालत
आज की न्यायिक व्यवस्था में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाली संस्था , पूरे भारत में लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने वाले प्राधिकरण और न्याय को प्रत्येक पीड़ित के लिए सुलभ बनाने हेतु लोक अदालत आयोजित करने वाले राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की स्थापना के 3 दशक 26 अप्रैल 2025 को पूरे हो गए हैं.
भारत के होने वाले 52वें चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई वर्तमान में NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष हैं, NALSA के लिए अपनी सेवाएं दे रहे जस्टिस सूर्य कांत सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमिटी के अध्यक्ष हैं. NALSA के जन हितकारी कार्यों को ऊंचाइयों पर ले जाने वाले दोनों जज आम नागरिकों के हित में कई फैसले देते रहे हैं. जस्टिस गवई के नेतृत्व में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने वृद्ध और बीमार कैदियों की रिहाई में सहायता, हिंसा प्रभावित मणिपुर समेत भारत के दूरदराज के इलाकों में कानूनी जागरूकता फैलाने और बड़े स्तर पर लोक अदालतों का आयोजन कर आज तक करोड़ों विवादों के निपटारे जैसे कदम उठाए हैं.
26 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना के 30 वर्ष पूरे होने पर गुजरात में आयोजित कार्यक्रम में कई न्यायविद उपस्थित रहे जिनमे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के आगामी लक्ष्यों को लेकर वृहत्त स्तर पर न्यायिक वार्ता हुई.
➡️ कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस बी आर गवई ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि
" लोगों को संवैधानिक और कानूनी अधिकार देना पर्याप्त नहीं है. उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना ज़रूरी है ताकि वह लाभ उठा सकें. मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश जैसे सुदूर इलाकों में लोगों तक पहुंचने का भी यही कारण था . साथ ही, वृद्ध और गंभीर रूप से बीमार कैदियों की रिहाई के लिए NALSA ने अपनी तरफ से प्रयास करने के अलावा सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की है."
➡️ जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि
" देश में न्याय का पैमाना यही है कि लोगों को अपने साथ अन्याय होने का डर न रहे. इसलिए, बड़े-बड़े कानूनों और विशाल कोर्ट परिसर से बात पूरी नहीं होगी. न्याय की पहुंच समाज के निचले तबके तक होनी चाहिए."
➡️ NALSA का गठन -
विकिपीडिया से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority (NALSA)) का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत किया गया। इसका काम कानूनी सहायता कार्यक्रम लागू करना और उसका मूल्यांकन एवं निगरानी करना है। साथ ही, इस अधिनियम के अन्तर्गत कानूनी सेवाएं उपलब्ध कराना भी इसका काम है।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत प्रत्येक राज्य में एक राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण तथा प्रत्येक उच्च न्यायालय में एक उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति गठित की गई है। जिला कानूनी सहायता प्राधिकरण और तालुका कानूनी सेवा समितियां जिला और तालुका स्तर पर बनाई गई हैं। इनका काम नालसा की नीतियों और निर्देशों को कार्य रूप देना और लोगों को निशुल्क कानूनी सेवा प्रदान करना और लोक अदालतें चलाना है। राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरणों की अध्यक्षता संबंधित जिले के मुख्य न्यायाधीश और तालुका कानूनी सेवा समितियों की अध्यक्षता तालुका स्तर के न्यायिक अधिकारी करते हैं.
➡️ नालसा के कार्य-
नालसा देश भर में कानूनी सहायता कार्यक्रम और योजनाएँ लागू करने के लिए राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण पर दिशानिर्देश जारी करता है।
मुख्य रूप से राज्य कानूनी सहायता प्राधिकरण, जिला कानूनी सहायता प्राधिकरण, तालुका कानूनी सहायता समितियों आदि को निम्नलिखित कार्य नियमित आधार पर करते रहने की जिम्मेदारी सौंपी गई है—
🌒 सुपात्र (deserving) लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना।
🌒 विवादों को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए लोक अदालतों का संचालन करना।
🌒 मुफ्त कानूनी सेवाएं।
🌑 निशुल्क कानूनी सेवाओं में शामिल हैं—
🌒 किसी कानूनी कार्यवाही में कोर्ट फीस और देय अन्य सभी प्रभार अदा करना,
🌒 कानूनी कार्यवाही में निशुल्क वकील उपलब्ध कराना,
🌒 कानूनी कार्यवाही में आदेशों आदि की प्रमाणित प्रतियां निशुल्क प्राप्त कराना,
🌒 कानूनी कार्यवाही में अपील और दस्तावेज का अनुवाद और छपाई सहित पेपर बुक निशुल्क तैयार कराना।
🌒निशुल्क कानूनी सहायता पाने के पात्र-
🌒 महिलाएं और बच्चे
🌒 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्य
🌒 औद्योगिक श्रमिक
🌒 बड़ी आपदाओं, हिंसा, बाढ़, सूखे, भूकंप और औद्योगिक आपदाओं के शिकार लोग
🌒 विकलांग व्यक्ति
🌒 हिरासत में रखे गए लोग
🌒 ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपए से अधिक नहीं है
🌒 बेगार या अवैध मानव व्यापार के शिकार।
🌑 NALSA की नई योजनाएं -
26 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की स्थापना के 30 वर्ष पूर्ण होने पर कुछ नई योजनाओं पर कार्य करने की रणनीति भी तैयार की गई है, जिनमे अहम मुद्दे हैं -
🌒 जागृति - ग्रामीण स्तर तक न्याय के प्रति जागरूकता और सूचना पहुंचाने की योजना ।
🌒 DAWN - ड्रग्स मुक्त भारत के लिए जागरूकता फैलाने की योजना। नशीली दवाओं के खिलाफ सरकारी नीति के संदर्भ में DAWN का पूरा नाम ड्रग एब्यूज वार्निंग नेटवर्क है। 1970 के दशक में स्थापित यह नेटवर्क नशीली दवाओं के दुरुपयोग के पैटर्न पर नज़र रखने के लिए नशीली दवाओं से संबंधित आपातकालीन विभाग के दौरे और मौतों पर डेटा एकत्र करता है।
🌒 संवाद (SAMVAD) - सामाजिक रूप से कमज़ोर वर्ग, आदिवासी और बंजारा लोगों तक न्याय की पहुंच मज़बूत करने की योजना। SAMVAD जिसे हम (Support, Advocacy & Mental health interventions for children in Vulnerable circumstances And Distress).के रूप में जानते हैं यह संवाद कार्यक्रम मुख्य रूप से कमजोर परिस्थितियों में बच्चों द्वारा सामना की जाने वाली मानसिक स्वास्थ्य और मनोसामाजिक चुनौतियों के समाधान पर केंद्रित है, जैसे कि वे जो परित्यक्त, अनाथ, तस्करी किए गए हैं, या कानून के साथ संघर्ष में हैं। इसे ही अब राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों, आदिवासियों और बंजारा लोगों तक पहुंचाने की योजना है.
🌒 नई वेबसाइट - NALSA की नई वेबसाइट का उद्घाटन।
🌒LESA (लीगल सर्विस असिस्टेंट) - जानकारियों को सुगम तरीके से पहुंचाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से काम करने वाले चैटबोट LESA (लीगल सर्विस असिस्टेंट) का आरम्भ।
देश भर में NALSA राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का अभियान जोरों से चल रहा है और इसी के अंतर्गत थोड़े थोड़े अन्तराल पर लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है. देश भर में अभी पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च 2025 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया था और अब 10 मई 2025 को लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है.
➡️ आगामी लोक अदालत -
🌒 लोक अदालत आमतौर पर हर महीने के दूसरे शनिवार को आयोजित की जाती हैं इसका एक मुख्य कारण यह है कि इस दिन केंद्रीय कर्मचारियों का अवकाश रहता है. दिनांक 1 अप्रैल 1954 को, भारत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को सप्ताह की समाप्ति से पहले एक दिन का छुट्टी देने का फैसला किया, जो बाद में "दूसरे शनिवार" के रूप में जाना गया। ये फैसला लोगों को अपने परिवार के साथ समय बिताने की सुविधा प्रदान करने का एक कदम था और इस दिन अवकाश को देखते हुए ही राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA द्वारा इस दिन लोक अदालतों के आयोजन का निर्णय लिया गया ताकि अधिक से अधिक लोग इसमें भाग ले सकें और अपने मामलों का निपटारा कर सकें. यह लोगों के लिए एक त्वरित और किफायती समाधान प्रदान करती है.
🌒 पीड़ित के समय की बचत:-
शनिवार को अदालत लगाकर, लोग अपने काम के दिनों के दौरान अदालत में आने से बच सकते हैं और अपने मामलों का निपटारा जल्दी कर सकते हैं.
🌒 पीड़ित की सुलभता:-
शनिवार को अदालत लगाकर, यह सुनिश्चित किया जाता है कि अधिक से अधिक लोग, विशेष रूप से वे जो कामकाजी दिन के दौरान अदालत में नहीं जा सकते, भाग ले सकें.
🌒 न्याय का आर्थिक दृष्टिकोण -
लोक अदालत में मामलों का निपटारा जल्दी और कम खर्च में होता है, जिससे लोगों को कानूनी प्रक्रिया में शामिल होने की लागत कम हो जाती है.
🌒 मुकदमों के स्थान पर सुलह और समझौते पर जोर:-
लोक अदालत में, मामलों को सुलह और समझौते के आधार पर निपटाया जाता है, जिससे लोगों के बीच आपसी समझ और संबंध मजबूत होते हैं.
कुल मिलाकर, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA द्वारा महीने के दूसरे शनिवार को लोक अदालत आयोजित करना लोगों के लिए एक सुविधाजनक और प्रभावी तरीका है वादकारियों के कानूनी मामलों का निपटारा करने का. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA की न्याय के क्षेत्र में की जा रही पहल सराहनीय हैं और साथ ही, उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण भी जो अपने न्यायिक अधिकारों से अनभिज्ञ हैं और जो बहुत सी बार अनजाने में गलत हाथों में फंसकर अपनी संपत्ति से हाथ धो बैठते हैं. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA द्वारा जागृति और संवाद के जरिए लोगों से जुड़ना न्याय के इतिहास में कहा जा सकता है कि मील का पत्थर साबित होगा.
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
Nice
जवाब देंहटाएंThanks 🙏🙏
हटाएं