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यू पी परिवहन विभाग का बदल गया हेल्पलाइन नम्बर

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  उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने शिकायत और समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर बदल दिए हैं। अब 11 अंकों की जगह सिर्फ तीन अंकों का नंबर 149 जारी किया गया है। पुराने नंबर 18001800151 को बंद कर दिया गया है। शिकायत 149 पर और समाधान 151 पर मिलेगा। नए नंबरों की जानकारी के लिए विभाग जागरूकता अभियान चलाएगा। प्रस्तुति  शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली )

तीसरे पक्ष को पितृत्व पर प्रश्न उठाने का अधिकार नहीं-ओड़िशा हाईकोर्ट

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  संपत्ति बंटवारे के मामले में डीएनए टेस्ट की मांग को लेकर हुई सुनवाई के दौरान ओडिशा हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। इसके साथ ही ओडिशा हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.पी. राउत्रे ने मामले में कई और मार्गदर्शक सिद्धांत भी स्थापित किये जिनका पालन क़ानून के क्षेत्र में एक लम्बे समय तक किया जायेगा. उन सभी मार्गदर्शक सिद्धांतो को 1️⃣2️⃣3️⃣ 4️⃣5️⃣ से चिन्हित किया गया है. हाईकोर्ट ने कहा कि  1️⃣ " मां के बयान के बावजूद बच्चे का डीएनए परीक्षण कराना उसके मातृत्व का अपमान है। इतना ही नहीं यह कानून के भी विरुद्ध है। " ओडिशा हाई कोर्ट की एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.पी. राउत्रे ने यह टिप्पणी करते हुए निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा।   ➡️ मामला संक्षेप में - संपत्ति बंटवारे के एक मामले में विरोधी पक्ष के 58 साल के व्यक्ति के पिता का पता लगाने के लिए उसका डीएनए परीक्षण का निर्देश देने की मांग की गई थी। जिसे निचली अदालत ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए मामला हाईकोर्ट पहुंचा। वहीं अब हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के आदेश को ...

भरण-पोषण के लिए वयस्क बेटी का दावा CrPC की कार्यवाही में नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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  इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि- " परिवार न्यायालय, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 125 के तहत दायर एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए, हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (HAMA) की धारा 20(3) के तहत किसी बालिग, अविवाहित बेटी को भरण-पोषण का आदेश नहीं दे सकता। " न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की अध्यक्षता वाली अदालत ने स्पष्ट किया कि  " HAMA के तहत भरण-पोषण का दावा एक दीवानी अधिकार है, जिसका निर्णय एक उचित सिविल वाद के माध्यम से होना चाहिए, न कि किसी संक्षिप्त आपराधिक कार्यवाही के जरिए। " इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिवार न्यायालय के आदेश को रद्द कर मामले को वापस भेजते हुए यह निर्देश जारी किया कि  " आवेदन को कानून के अनुसार नए सिरे से निर्णय के लिए एक सिविल वाद में परिवर्तित किया जा सकता है. " निर्णित मामले में अनुराग पांडे द्वारा सुल्तानपुर के प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय के 30 जुलाई, 2024 के एक फैसले को चुनौती देते हुए दायर की गई. एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका से उत्पन्न हुआ। परिवार न्यायालय ने श्री पांडे को उनकी ब...

विवाहित बेटी भी अनुकम्पा नियुक्ति की हकदार-इलाहाबाद हाईकोर्ट

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अनुकम्पा नियुक्ति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया है। हाईकोर्ट ने कहा कि " विवाहित बेटी भी अनुकंपा पर नियुक्ति की हकदार है। बेटियों के विवाहित होने से अनुकंपा नियुक्ति देने से इनकार नहीं किया जा सकता ." इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) देवरिया को निर्देश जारी किया कि  "वह अपीलकर्ता की अनुकंपा नियुक्ति के दावे पर फिर से विचार करें और आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें।"  यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने चंदा देवी की विशेष अपील पर दिया है। ➡️ संक्षेप में मामला- देवरिया निवासी चंदा देवी के पिता संपूर्णानंद पांडेय पूर्व प्राथमिक विद्यालय गजहड़वा, ब्लॉक बनकटा, तहसील भाटपाररानी में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे। सेवा के दौरान 2014 में उनकी मृत्यु हो गई। चंदा देवी ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया। दिसंबर 2016 में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह विवाहित बेटी हैं, इसलिए वह शासनादेश चार सितंबर 2000 के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति के लि...

जिठानी-देवरानी अलग परिवार-इलाहाबाद हाई कोर्ट

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  इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा हाल ही में बरेली के जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की नियुक्ति को रद्द किये जाने को रद्द कर दिया गया, जिसमें कहा गया था कि  "एक भाभी (जेठानी) को सरकारी आदेश के तहत 'एक ही परिवार' का हिस्सा तब माना जाता है, ज़ब दोनों भाई एक ही घर और रसोई में साथ रहते हैं।" जस्टिस अजीत कुमार की पीठ ने कुमारी सोनम की याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया, जिनकी नियुक्ति 13 जून, 2025 को बरेली के जिला कार्यक्रम अधिकारी ने रद्द कर दी थी। रद्द करने का आधार यह था कि उसकी जेठानी पहले से ही उसी केंद्र में आंगनवाड़ी सहायक के रूप में सेवा कर रही थी। जबकि याचिकाकर्ता का तर्क यह था कि उसकी जेठानी (भाभी) एक अलग घर नंबर के साथ एक अलग घर में रहती है और इसलिए, वह उसके पति के परिवार की परिभाषा में नहीं आती है, भले ही वह उसके ससुर के परिवार से संबंधित हो। याचिकाकर्ता के वकील ने संबंधित परिवार रजिस्टर दस्तावेज को भी इंगित किया, जिससे पता चलता था कि उसकी जेठानी वास्तव में अलग रहती थी। संदर्भ के लिए, 21 मई, 2023 को सरकारी आदेश के तहत खंड 12 (iv) के तहत बनाए...

नामांतरण शुल्क वसूलना गलत -बॉम्बे हाईकोर्ट

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      बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि  " किसी अधिवक्ता का नाम एक राज्य बार काउंसिल की सूची से दूसरे राज्य बार काउंसिल की सूची में स्थानांतरित करने पर कोई शुल्क वसूलना कानूनन गलत है।"  न्यायालय ने इसे अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 18 (1) के प्रावधानों के विपरीत ठहराया। ➡️ अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 18 (1)- ✒️ 18. एक राज्य की नामावली से दूसरे राज्य की नामावली में नाम का अन्तरण.  (1) धारा 17 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति, जिसका नाम किसी राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली में अधिवक्ता के रूप में दर्ज है, अपना नाम उस राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली से किसी अन्य राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली में अन्तरित कराने के लिए, विहित रूप में, भारतीय विधिज्ञ परिषद् को आवेदन कर सकेगा और ऐसे आवेदन की प्राप्ति पर भारतीय विधिज्ञ परिषद् यह निदेश देगी कि ऐसे व्यक्ति का नाम, किसी फीस के सन्दाय के बिना, प्रथम वर्णित राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली से हटा कर उस अन्य राज्य विधिज्ञ परिषद् की नामावली में दर्ज किया जाए और सम्बद्ध राज्य विधिज्ञ परिषद् ऐसे निदेश का अनुपालन करेगी...

महिला आयोग गंभीर महिला सुरक्षा को लेकर

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  ( ई रिक्शाओं पर महिला आयोग गंभीर ) उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग महिलाओं के साथ ई-रिक्शा में हो रही छेड़छाड़ की घटनाओं को लेकर गंभीर है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्व में जारी किये गए निर्देशों को अमल में लाने की कार्यवाही करते हुए महिला आयोग ने भी निर्देश दिया है कि अब हर ई-रिक्शा पर चालक का नाम और मोबाइल नंबर स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए. ➡️ उत्तर प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष- उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की वर्तमान अध्यक्षा डॉ. बबीता सिंह चौहान हैं, जिनकी नियुक्ति सितंबर 2024 में की गई थी. उन्होंने इस पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद से प्रदेश में महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर काम किया है और कई जिलों का दौरा भी किया है, जिसमें उन्होंने जेलों का निरीक्षण किया और अस्पतालों में बेबी किट बांटी. ➡️ महिला आयोग की महत्वपूर्ण बैठक- महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ बबीता सिंह चौहान ने बाराबंकी में अफसरों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और यह निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं. बैठक में आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई अहम बिंद...

केवल रजिस्ट्रेशन से मान्य नहीं हिन्दू विवाह: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि  " हिंदू विवाह केवल रजिस्टर्ड न होने से अमान्य नहीं हो जाता। इसलिए फैमिली कोर्ट आपसी तलाक याचिका में विवाह रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने पर ज़ोर नहीं दे सकती। " न्यायालय ने आगे कहा कि  "यद्यपि राज्य सरकारों को ऐसे विवाहों के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने का अधिकार है, उनका उद्देश्य केवल 'विवाह का सुविधाजनक साक्ष्य' प्रस्तुत करना है। इस आवश्यकता का उल्लंघन हिंदू विवाह की वैधता को प्रभावित नहीं करता है." जस्टिस मनीष कुमार निगम की पीठ ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता (सुनील दुबे) द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए की, जिसमें उन्होंने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13बी के तहत तलाक की कार्यवाही में विवाह रजिस्ट्रेश सर्टिफिकेट दाखिल करने से छूट मांगने वाली उनकी याचिका फैमिली कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी।  संक्षेप में मामला  याचिकाकर्ता और उनकी पत्नी ने 23 अक्टूबर, 2024 को आपसी सहमति से तलाक के लिए संयुक्त रूप से याचिका दायर की। कार्यवाही के दौरान, फैमिली कोर्ट ने उन्हें अपना विवाह प्रमाणपत्र दाखिल करने क...

योगी सरकार अब दंड नहीं देगी......

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       उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने आबकारी, वन समेत 11 से अधिक कानूनों में बदलाव करने की तैयारी कर ली है. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि  " सीएम ने एक उच्चस्तरीय बैठक में 'सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025' के प्राविधानों पर चर्चा की तथा आवश्यक निर्देश दिए."  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि " #EaseofDoingBusiness को और सशक्त बनाने के लिए नए कदम उठाना समय की मांग है. साथ ही, यह भी उतना ही आवश्यक है कि औद्योगिक विकास के साथ श्रमिकों की सुरक्षा और सुविधा की गारंटी सुनिश्चित हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'श्रमेव जयते' के भाव को आत्मसात करते हुए हमें ऐसे सुधार करने होंगे, जो श्रमिकों और उद्यमियों, दोनों के लिए लाभकारी सिद्ध हों." 🌑   क्या है सुगम्य व्यापार (प्राविधानों का संशोधन) विधेयक, 2025 ' - ( shalini kaushik law classes ) मुख्यमंत्री कार्यालय के सोशल मीडिया साइट एक्स पर सीएमओ के आधिकारिक अकाउंट के जरिए बताया गया कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार,  " यूपी सरकार...

उम्मीद पोर्टल निलंबन याचिका -तत्काल सुनवाई से इंकार

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    ( shalini kaushik law classes) सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को केंद्र सरकार द्वारा वक्फ, जिसमें वक्फ-बाय-यूजर भी शामिल हैं, के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए शुरू किए गए 'उमीद पोर्टल' के निलंबन की मांग वाली याचिका की तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि - "वक्फ संशोधन अधिनियम चुनौती में विचार करेंगे. "     चीफ जस्टिस बीआर गवई ने मौखिक रूप से कहा कि-  "कोर्ट इस मुद्दे पर वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के संचालन को स्थगित करने की याचिका पर अपने लंबित फैसले में विचार करेगा।"  उन्होंने एडवोकेट शाहरुख आलम से कहा,  “आप पंजीकरण कराएं, कोई भी आपको पंजीकरण से मना नहीं कर रहा है... हम उस हिस्से पर विचार करेंगे।” आभार 🙏👇 प्रस्तुति  शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली )

1.25 करोड़ रूपये का स्थाई गुजारा भत्ता दें -सुप्रीम कोर्ट

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  ( shalini kaushik law classes ) सुप्रीम कोर्ट ने पति को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपरिवर्तनीय विच्छेद के आधार पर विवाह विच्छेद करते समय अपनी पत्नी को 1.25 करोड़ रुपये का स्थायी गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया।  जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने मद्रास हाईकोर्ट का आदेश के विरुद्ध अपील पर सुनवाई की, जिसमें प्रतिवादी-पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर फैमिली कोर्ट द्वारा पति के पक्ष में दिए गए तलाक का आदेश रद्द कर दिया गया। हाईकोर्ट का निर्णय रद्द करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ द्वारा लिखित निर्णय में विवाह विच्छेद के लिए संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग किया गया, जिसमें कहा गया कि " फैमिली कोर्ट द्वारा उसके पक्ष में पारित तलाक के आदेश के आधार पर पति द्वारा किए गए पुनर्विवाह के कारण विवाह अपरिवर्तनीय रूप से टूट गया।"  अदालत ने कहा,  "यह स्पष्ट है कि दोनों पक्षों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं है। वे 2010 से यानी लगभग 15 वर्षों से अलग रह रहे हैं। उनके बीच वैवाहिक संबंध का कोई निशान नहीं है। किसी भी पक्ष ने अपन...

16साल की मुस्लिम लड़की को वैध विवाह का अधिकार-सुप्रीम कोर्ट

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(Shalini kaushik law classes) सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने मंगलवार (19 अगस्त) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका को ख़ारिज कर दिया गया। याचिका द्वारा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के 2022 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें कहा गया था कि 16 साल की मुस्लिम लड़की किसी मुस्लिम पुरुष से वैध विवाह कर सकती है और दंपति को धमकियों से सुरक्षा प्रदान की गई थी।       जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने निर्णय में कहा कि   "राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) इस मुकदमे से अनजान है और उसे हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।" खंडपीठ ने पूछा कि- "राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को धमकियों का सामना कर रहे दंपति के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करने वाले हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती क्यों देनी चाहिए?"  खंडपीठ ने कहा,  "NCPCR के पास ऐसे आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है... अगर दो नाबालिग बच्चों को हाईकोर्ट द्वारा संरक्षण प...

आओ विवाह रजिस्टर्ड करें यू पी में

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 उत्तर प्रदेश में विवाह पंजीकरण कराने के लिए, आपको IGRSUP (एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली) वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आपको आवश्यक दस्तावेज, जैसे कि आधार कार्ड, पहचान प्रमाण, आयु प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, और विवाह प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) अपलोड करने होंगे। इसके बाद, आपको आवेदन शुल्क का भुगतान करना होगा और आवेदन पत्र जमा करना होगा। सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, आपको विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।  विस्तृत प्रक्रिया: 1️⃣ वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले, IGRSUP वेबसाइट पर जाएं।  2️⃣. आवेदन करें: "विवाह पंजीकरण" अनुभाग में, "आवेदन करें" विकल्प पर क्लिक करें।  3️⃣. पंजीकरण फॉर्म भरें: पति और पत्नी दोनों का विवरण, विवाह की तिथि और स्थान, और गवाहों का विवरण दर्ज करें।  4️⃣. दस्तावेज अपलोड करें: आवश्यक दस्तावेज, जैसे कि आधार कार्ड, पहचान प्रमाण, आयु प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, और विवाह प्रमाण पत्र (यदि लागू हो), अपलोड करें।  5️⃣. आवेदन शुल्क का भुगतान करें: ऑनलाइन भुगतान के माध्यम से आवेदन शुल्क का भुगतान करें।  6️⃣. आवेदन जमा करें: आवेदन ...

मुस्लिम पर्सनल लॉ- वसीयत को चुनौती

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 सुप्रीम कोर्ट ने आज एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है,जिसमें यह घोषणा करने की मांग की गई है कि " भारत में मुसलमानों को पवित्र कुरान के अनुसार न्यायसंगत तरीके से वसीयत ( वसीयत/Will) बनाने का अधिकार है, और उन पर यह प्रतिबंध नहीं होना चाहिए कि वे अपनी संपत्ति का केवल एक-तिहाई हिस्सा ही बिना कानूनी वारिसों की सहमति के वसीयत कर सकते हैं।"  जस्टिस पमिडिघंटम श्री नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया और इस याचिका को Tarsem v. Dharma & Anr. मामले के साथ टैग कर दिया। उस मामले में भी कोर्ट ने मोहम्मडन लॉ के तहत वसीयत करने की शक्ति की सीमा से जुड़े समान प्रश्न तय किए थे। याचिकाकर्ता, जो अबू धाबी में वकालत करते हैं, ने यह घोषणा करने का निर्देश मांगा है कि 1925 के भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम (Indian Succession Act) के तहत मुसलमानों को वसीयतनामा संबंधी उत्तराधिकार से बाहर रखना, और गैर-संहिताबद्ध मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत एक-तिहाई सीमा लगाना, संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 300A का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है —   “जब कुरान की आयतें...

🅾︎🅿︎🅴︎🆁︎🅰︎🆃︎🅸︎🅾︎🅽︎ 🆂︎🅰︎🆅︎🅴︎🆁︎🅰︎

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वेस्ट यू पी में नशे के अवैध कारोबार की तेजी से बढ़ती जा रही सक्रियता को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े निर्देश जारी किये जाने पर अब सहारनपुर मंडल में पुलिस प्रशासन नशे के कारोबार पर नकेल कसने जा रहा है. इसके लिए सहारनपुर पुलिस उप महानिरीक्षक अभिषेक सिंह के द्वारा ‘ऑपरेशन सवेरा’ अभियान की शुरुआत की गई है. जिसका मुख्य उद्देश्य नशे के अवैध व्यापार में लिप्त अपराधियों पर सख्त कार्यवाही करते हुए, समाज को नशामुक्त और सुरक्षित बनाना है. ऑपरेशन सवेरा को सफल बनाने के लिए सहारनपुर रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक अभिषेक सिंह ने मंडल के तीनों जिलों सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली के SSP को इस अभियान के तहत नशा कारोबारियों पर शिकंजा कसने के आदेश दिए हैं.  DIG अभिषेक सिंह के निर्देश पर सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली में पुलिस नशा कारोबारियों, सप्लायर्स और माफिया नकेल कसने जा रही है. साथ ही अवैध संपत्तियों को जब्त किया जाएगा और समाज को नशे के दुष्परिणामों से जागरूक किया जाएगा.पुलिस उप महानिरीक्षक अभिषेक सिंह का कहना है कि  ‘ ऑपरेशन सवेरा’ न केवल अपराधियों पर सख्त कार्रवाई का सं...

'उम्मीद पोर्टल पर लगाई जाए रोक-मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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( shalini kaushik law classes) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर उम्मीद पोर्टल को निलंबित किये जाने की मांग की गई है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा वक्फ एक्ट 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने तक सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल कर उम्मीद पोर्टल को निलंबित करने की मांग की है.बोर्ड ने याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि    " या तो पोर्टल पर रोक लगाई जाए या केंद्र सरकार को उसका अधिसूचना वापस लेने का निर्देश दिया जाए।"      बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. एस. क्यू. आर. इलियास ने कहा कि  " बार-बार अपील करने के बावजूद सरकार ने 6 जून को उम्मीद पोर्टल शुरू कर दिया और वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण को अनिवार्य बना दिया। बोर्ड इस कदम को “गैरक़ानूनी” और “अदालत की अवमानना” करार देता है. " ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए कहा है कि,   “यह मुतवल्लियों पर अवैध दबाव डालता है और सुप्रीम कोर्ट में मांगी गई राहतों को प्रभावित करता है।”   ऑल इ...

सुप्रीम कोर्ट में फंसा 🇪‌🇨‌🇮‌

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  @IndianlawSK28 सप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14 अगस्त) को भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को निर्देश दिया कि वह बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के बाद प्रकाशित वोटर लिस्ट से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं की जिलावार सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित करे। न्यायालय ने यह भी कहा कि नाम हटाने के कारण जैसे मृत्यु, प्रवास, दोहरा पंजीकरण आदि, स्पष्ट किए जाने चाहिए। यह जानकारी बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी प्रदर्शित की जानी चाहिए ताकि दस्तावेजों को EPIC नंबरों के आधार पर सर्च किया जा सके। इसके अलावा, न्यायालय ने चुनाव आयोग को सार्वजनिक नोटिस में यह भी निर्दिष्ट करने का निर्देश दिया कि छूटे हुए व्यक्ति फाइनल लिस्ट में शामिल होने के लिए अपना दावा प्रस्तुत करते समय अपना आधार कार्ड भी प्रस्तुत कर सकते हैं। समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए कि सूची वेबसाइट पर प्रकाशित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनाव आयोग को अगले मंगलवार तक ये कदम उठाने का निर्देश दिया गया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागच...

अब नहीं होगी बच्चों की ताड़ना यू पी के स्कूलों में

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@indianlawsk28    उत्तर प्रदेश के निजी व सरकारी विद्यालयों के शिक्षक अब बच्चों की ताड़ना नहीं कर सकेंगे.बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में शिक्षकों के लिए कड़े निर्देश जारी किये गए हैं.  बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से राष्ट्रीय बालक अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जारी इन दिशा निर्देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों को किसी प्रकार की शारीरिक व मानसिक दंड न दिए जाएँ. साथ ही सभी निजी व सरकारी विद्यालयों को कहा गया है कि इन दिशा निर्देशों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये, साथ ही, बच्चों को भी बताया जाये कि वे इसके विरोध में अपनी बात कह सकते हैं।  ➡️ स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा का आदेश-  स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा की ओर से सभी बीएसए को निर्देश दिया गया है कि  "हर स्कूल जिसमें छात्रावास हैं, जेजे होम्स, बाल संरक्ष्ज्ञण गृह भी शामिल हैं, में एक ऐसी व्यवस्था की जाए, जहां बच्चे अपनी बात रख सकें। ऐसे संस्थानों में किसी एनजीओ की सहायता ली जा सकती है। हर स्कूल में एक शिकायत पेटिका भी होनी चाहिए, जहां छात्र अपनी शिकायत दे सकें।...

Maintenance Case पत्नी को है अधिकार दिल्ली हाईकोर्ट

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( Shalini kaushik law classes ) दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा है कि पत्नी अपने पति की वास्तविक आय/संपत्ति का पता लगाने के लिए बैंक अधिकारियों को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग कर सकती है.          पतियों द्वारा अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए अपनी वास्तविक आय को छिपाना कोई नई बात नहीं है, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि  "पत्नी अपने पति की वास्तविक आय/संपत्ति के बारे में अपने दावों की पुष्टि के लिए बैंक अधिकारियों सहित गवाहों को बुलाने के लिए बैंक अधिकारियों को गवाह के तौर पर बुलाने की मांग कर सकती है।"       जस्टिस रविंदर डुडेजा ने याचिकाकर्ता-पत्नी की याचिका स्वीकार की, जबकि फैमिली कोर्ट ने प्रतिवादी-पति की वास्तविक आय के संबंध में अपने दावों की पुष्टि के लिए बैंक अधिकारियों सहित गवाहों को बुलाने के लिए CrPC की धारा 311 के तहत उसकी अर्जी खारिज कर दी थी।   Case title: NJ v. आज आभार 🙏👇 प्रस्तुति शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

पत्नी की परिभाषा दस्तावेज से बड़ी -इलाहाबाद हाईकोर्ट

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( shalini kaushik law classes ) इलाहाबाद हाई कोर्ट का मानना है कि जो पुरुष और महिला एक लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे हैं तो पत्नी का भरण-पोषण का हक बनता है। इसलिए भरण-पोषण के लिए विवाह को साबित करना जरूरी नहीं है। भरण पोषण के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि  " भरण-पोषण के मामले में पत्नी की परिभाषा दस्तावेज से बड़ी है। पुरुष और महिला लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहे हैं तो भरण-पोषण का हक बनता है। लिहाजा, भरण-पोषण के लिए विवाह को साबित करना जरूरी नहीं है। कानून का मकसद न्याय है न कि ऐसे रिश्तों को नकारना जो समाज में पति-पत्नी की तरह माने जाते है।" इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की अदालत ने देवरिया निवासी याची की पुनरीक्षण याचिका स्वीकार कर ली। कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय का आदेश रद्द कर नए सिरे से मामले की सुनवाई करने के लिए वापस भेज दिया। साथ ही कांस्टेबल पति को मामले के निस्तारण होने तक याची को 8,000 रुपये प्रति माह अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया है। मामले में याची ने 2017 में पति के निधन के बाद कांस्टेबल देवर संग शादी होने का दा...

14 साल बाद अनुकम्पा नियुक्ति रद्द करना गलत -इलाहाबाद हाई कोर्ट

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( Shalini kaushik law classes )  इलाहाबाद हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने शिव कुमार की याचिका पर आदेश देते हुए कहा कि  "अनुकंपा नियुक्ति में कोई धोखाधड़ी या महत्वपूर्ण तथ्य नहीं छुपाया गया है, तो वर्षों बाद उस नियुक्ति को निरस्त नहीं किया जा सकता। "    यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने मां के सरकारी स्कूल में शिक्षिका होने के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति के तहत क्लर्क के पद पर कार्यरत कर्मचारी को बर्खास्त किए जाने के आदेश को रद्द कर दिया हाथरस निवासी शिव कुमार के पिता हाथरस में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत थे । सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। याची को 2001 में अनुकंपा के आधार पर जूनियर क्लर्क पद पर नियुक्ति दी गई। बाद में वह पदोन्नत होकर सीनियर क्लर्क बने। इस बीच 31 मई 2023 में उनकी सेवा यह कहकर समाप्त कर दी गई कि नियुक्ति के समय उन्होंने यह तथ्य नहीं बताया था कि उनकी मां सरकारी नौकरी में थीं। याची ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची अधिवक्ता ने दलील दी कि नियुक्ति आवेदन के समय कोई निर्धारित फॉर्म नहीं था जिसमें परिवार के सदस्यों की नौकरी की जानकारी दे...