नाबालिग के खिलाफ किया जा सकता है भरण पोषण का दावा-इलाहाबाद हाईकोर्ट


 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 

दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 और 128 के तहत नाबालिग के खिलाफ भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है।"

 जस्टिस मदन पाल सिंह ने बाल विवाह और नाबालिग पति से भरण-पोषण की मांग के मामले में सुनवाई करते हुए कहा-

 “धारा 125 और 128 CrPC के तहत नाबालिग के खिलाफ दाखिल आवेदन पर सुनवाई करने में कोई रोक नहीं है।” 

➡️ मामले का विवरण संक्षेप में-

 पुनरीक्षणकर्ता/ नाबालिग पति के तर्क -

✒️उसकी शादी मात्र 13 साल की उम्र में विपक्षी संख्या-2 से हुई थी.

✒️ दो साल बाद एक बेटी (विपक्षी संख्या-3) का जन्म हुआ। जब पति लगभग 16 साल का था.

✒️ पत्नी बिना उचित कारण उसके साथ रहने से इंकार कर चुकी है, इसलिए धारा 125(4) के अनुसार वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है। 

✒️ वह नाबालिग था, इसलिए उसके खिलाफ धारा 125 के तहत दावा सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता था, बल्कि अभिभावक के माध्यम से ही किया जा सकता था। 

     पत्नी ने धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण का दावा दायर किया। कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय IX में यह प्रावधान नहीं है कि नाबालिगों के खिलाफ दावे अभिभावक के माध्यम से ही किए जाएं। धारा 125 CrPC कहती है कि कोई भी व्यक्ति, जिसके पास साधन हों और जो अपनी पत्नी या संतान का भरण-पोषण करने से इंकार करे, तो मजिस्ट्रेट तथ्यों पर विचार कर भरण-पोषण की राशि तय कर सकता है। इसके आधार पर परिवार न्यायालय, बरेली की अदालत ने पत्नी को ₹5000 और बच्ची को ₹4000 मासिक भरण-पोषण देने का आदेश दिया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यह भी माना कि-

"नाबालिग स्वयं अपने माता-पिता पर आश्रित होता है और यह मान लेना गलत होगा कि उसके पास इतना साधन है कि वह पत्नी और बच्ची का पालन-पोषण कर सके। लेकिन जैसे ही वह 18 साल का होकर बालिग हो जाएगा, उसे अपनी पत्नी और बेटी का भरण-पोषण करना होगा। ट्रायल कोर्ट द्वारा पत्नी के साथ क्रूरता और दहेज की मांग के आधार पर अलग रहने की बात को सही ठहराते हुए हाईकोर्ट ने माना कि बालिग होने पर अगर पति मजदूरी करता है तो उसकी आय लगभग ₹18,000 प्रति माह मानी जा सकती है।"

 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के राजनेश बनाम नेहा फैसले का हवाला देते हुए भरण-पोषण की राशि घटाकर पत्नी के लिए ₹2500 और बेटी के लिए ₹2000 (कुल ₹4500, यानी आय का 25%) तय की। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि-

"कोई भी बकाया राशि हाईकोर्ट द्वारा तय की गई संशोधित राशि के आधार पर ही गणना की जाएगी."

आभार 🙏👇


                       29 सितम्बर 2025 

प्रस्तुति

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

कैराना (शामली)


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