टोल टैक्स और एडवोकेट-क़ानून

 


भारत में अधिवक्ताओं (वकीलों) को राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल टैक्स के भुगतान से छूट नहीं है। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 में ऐसी कोई छूट का प्रावधान नहीं है। 

➡️अधिवक्ताओं के अधिकार और संबंधित तथ्य:

टोल छूट का कोई प्रावधान नहीं: भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने स्पष्ट किया है कि अधिवक्ताओं को टोल प्लाजा पर उपयोगकर्ता शुल्क (टोल) के भुगतान से छूट नहीं दी गई है। सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले किसी भी दावे या पत्र को फ़र्ज़ी (fake) माना जाना चाहिए।

➡️ प्रयास और मांग: 

विभिन्न बार काउंसिलों और अधिवक्ताओं के संगठनों ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्यों के लिए अक्सर यात्रा करनी पड़ती है, इस आधार पर टोल टैक्स से छूट देने की मांग की है, लेकिन ये मांगें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।

➡️ याचिकाएं खारिज:

 मद्रास उच्च न्यायालय सहित अन्य अदालतों में दायर जनहित याचिकाएं, जिनमें अधिवक्ताओं को "विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति" मानकर टोल छूट की मांग की गई थी, उन्हें भी खारिज कर दिया गया है।

➡️ छूट प्राप्त व्यक्तियों की सूची: 

टोल टैक्स से छूट प्राप्त व्यक्तियों की सूची में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, सांसद, विधायक, सेना और पुलिस जैसी आपातकालीन सेवाओं के वाहन और कुछ अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हैं, लेकिन इसमें अधिवक्ता शामिल नहीं हैं।

➡️ सामान्य नागरिक अधिकार: 

अधिवक्ताओं के पास एक सामान्य नागरिक के रूप में टोल प्लाजा से संबंधित कुछ अधिकार होते हैं, जैसे टोल प्लाजा के 20 किमी के दायरे में रहने पर मासिक पास बनवाने का अधिकार (जिसके लिए शुल्क देना होता है), और टोल प्लाजा द्वारा प्रदान की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं की अपेक्षा करना। 

संक्षेप में, एक अधिवक्ता के पास टोल टैक्स के संबंध में कोई विशेष अधिकार नहीं हैं जो उन्हें टोल भुगतान से छूट देते हों। उन्हें नियमानुसार टोल टैक्स का भुगतान करना होता है।

प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )

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