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फ़रवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तेजाबी मौत या हमला : केवल फांसी ही सही दंड

     अभी हाल ही में हुए दंड विधि [ संशोधन] अधिनियम ,२०१३ में तेजाब सम्बंधित मामलों के लिए धारा ३२६ -क व् धारा ३२६-ख  अन्तः स्थापित की गयी हैं जिसमे धारा ३२६-क '' स्वेच्छ्या तेजाब ,इत्यादि के प्रयोग से घोर उपहति कारित करना  ''को ही अपने घेरे में लेती है जिसमे कारावास ,जो दस वर्ष से कम नहीं किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकेगा और ज़ुर्माना जिसका भुगतान पीड़िता को किया जायेगा ......और धारा ३२६ -ख स्वेच्छ्या तेजाब फेंकने या फेंकने के प्रयत्न को ही अपने घेरे में लेती है जिसमे ५ वर्ष का कारावास ,किन्तु जो सात वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने का दंड मिलेगा .इन दोनों ही धाराओं की व्यवस्था करते समय हमारे कानून विदों ने इस तरह की घटना की कल्पना नहीं की कि अगर तेजाबी हमले में पीड़िता की मृत्यु हो जाती है तो जुर्माने का भुगतान किसे किया जायेगा क्योंकि आज तक हुई अधिकांश घटनाओं में तेजाब पीड़िताओं की ज़िंदगी झुलसी है मौत नहीं किन्तु अभी हाल में गुजरात में एक घटना ने  तेजाब पीड़िता की ज़िंदगी ही नहीं मौत को भी झुलसा दिया और उसे मौत का शिकार बना दिया किन्तु अब कानून उन्हें ज्यादा से ज

''उफ़ - डी.जे.''

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अभी पिछले दिनों की बात है घर के पीछे स्थित एक धर्मशाला में विवाह समारोह था और जैसा कि आजकल का प्रचलन है वहाँ डी.जे. बज रहा था और शायद full volume में बज रहा था और जैसा कि डी.जे. का प्रभाव होता है वही हो रहा था ,उथल-पुथल मचा रहा था ,मानसिक शांति भंग कर रहा था और आश्चर्य की बात है कि हमारे कमरों के किवाड़ भी हिले जा रहे थे ,हमारे कमरों के किवाड़ जो कि ऐसी दीवारों में लगे हैं जो लगभग दो फुट मोटी हैं और जब हमारे घर की ये हालत थी तो आजकल के डेढ़ ईंट के दीवार वाले घरों की हालत समझी जा सकती है .बहुत मन किया कि जाकर डी.जे. बंद करा दूँ किन्तु किसी की ख़ुशी में भंग डालना न हमारी संस्कृति है न स्वभाव इसलिए तब किसी तरह बर्दाश्त किया किन्तु आगे से ऐसा न हो इसके लिए कानून में हमें मिले अधिकारों की तरफ ध्यान गया . भारतीय दंड सहिंता का अध्याय १४ लोक स्वास्थ्य ,क्षेम ,सुविधा ,शिष्टता और सदाचार पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में है और इस तरह से शोर मचाकर जो असुविधा जन सामान्य के लिए उत्पन्न की जाती है वह दंड सहिंता के इसी अध्याय के अंतर्गत अपराध मानी जायेगी और लोक न्यूसेंस के अंतर्गत आएगी .भ

राज्यपाल को नितीश को बिहार सौंपने की पूरी शक्ति .

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पीएम से मिलकर बोले मांझी, 'मैं ही हूं बिहार का सीएम' कहा, 20 तारीख को साबित कर देंगे बहुमत  संविधान की अनुसूची ६ के अनुच्छेद ९ [२] तथा अनुच्छेद ३७१ अ [१] [बी] और [डी] और २ [बी] और [ऍफ़] अनुच्छेद २३९ के अधीन राज्यपाल को अपने स्वविवेक का प्रयोग करने का स्पष्ट उल्लेख है .सामान्यतया वह एक संविधानिक प्रधान की हैसियत से मंत्रिपरिषद के परामर्शनुसार कार्य करेगा किन्तु ऐसी परिस्थितियों में वह संविधानिक एवं प्रभावी रूप से अपने विवेक का प्रयोग कर सकता है जहाँ पर मंत्रिपरिषद तथा उसके बीच किसी मामले पर मतभेद उठ खड़ा हुआ हो .इसबात में उसका निर्णय अंतिम होना इस बात का द्द्योतक है कि राज्यपाल उन विषयों पर मंत्रिपरिषद की राय के बिना परिस्थितियों के अनुसार अपना विवेक से कार्य कर सकता है , भले ही उनका संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेख न किया गया हो .ऐसी परिस्थितियां जिनमे राज्यपाल अपनी वैवेकिक शक्ति का प्रयोग कर सकता है , निम्नलिखित हैं - [१] मुख्यमंत्री की नियुक्ति [२] मंत्री को अपदस्थ करना [३] विधान सभा को भंग करना [४] अनुच्छेद ३५६ के अंतर्गत राष्ट्रपति को संकटकालीन स्थिति की घोषणा

कानून साथ है नारी के

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मुंबई से भुवनेश्वर जाने वाली फ्लाईट में एक 60 वर्षीय उद्यमी ने एक युवती से छेड़छाड़ की। बुजुर्ग की ये हरकत कैमरे में कैद भी हो गई जो सोशल मीडिया में वायरल है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनसार, युवती ने शख्स की इस गंदी हरकत पर पुलिस से शिकायत करने की धमकी दी तो बुजुर्ग गिड़गिड़ाने लगा और कैमरे को देख अपन चेहरा छुपाने लगा। महिला ने शख्स का मोबाइल छीन कर उसी से वीडियो बनाया और इसके बाद फ्लाइट भुवनेश्वर पहुंचने पर पुलिस से शिकायत की जिसके बाद छेड़छाड़ करने वाले शख्स को गिरफ्तार किया गया।[अमर उजाला से साभार ] ये समाचार और ये वीडियो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि आदमी सुधरने वाले नहीं हैं .जिस तरह से आये दिन महिलाओं के साथ अभद्रता और बलात्कार की ख़बरें आ रही हैं और जिस तरह से कानून में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं को देखते हुए दंड की अवधि और दंड के तरीके में परिवर्तन कर उन्हें कठोर किया जा रहा है उसका अगर जरा सा भी असर माना जाये तो ऐसे अपराधों की संख्या में कमी आनी चाहिए किन्तु हो क्या रहा है ये घटनाएँ उतनी ही तेजी से बढ़ती जा रही हैं हाँ इतना अवश्य है कि महिलाओं में ज़रूर गुस्सा बढ़ रह