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संविधान पीठ के हवाले -सुप्रीम कोर्ट के सवाल-कानूनी स्थिति प्रश्न -7

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प्रश्न 7 -सीआर.पी.सी.की धारा ४३५ में केंद्र से परामर्श करने की बात का मतलब सहमति से है ? कानूनी स्थिति-धारा ४३५ कहती है - [1] किसी दंडादेश का परिहार करने या उसके लघुकरण के बारे में धारा ४३२ या ४३३ द्वारा राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों का राज्य सरकार द्वारा प्रयोग उस दशा में केंद्रीय सरकार से परामर्श के पश्चात ही किया जायेगा जब दंडादेश किसी ऐसे अपराध के लिए हो - [क] जिसका अन्वेषण दिल्ली पुलिस स्थापन अधिनियम १९४६ [अ९४६ का २५] के अधीन गठित दिल्ली पुलिस स्थापन अधिनियम द्वारा या इस संहिता से भिन्न किसी केंद्रीय अधिनियम के अधीन अपराध का अन्वेषण करने के लिए सशक्त किसी अन्य अभिकरण द्वारा किया गया हो ,अथवा [ख] जिसमे केंद्रीय सरकार की किसी संपत्ति का दुर्विनियोग या नाश या नुकसान अंतर्ग्रस्त हो ,अथवा [ग] जो केंद्रीय सरकार की सेवा में के किसी व्यक्ति द्वारा तब किया गया हो जब वह अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में कार्य कर रहा था या उसका ऐसे कार्य करना तात्पर्यित था . [२] जिस व्यक्ति को ऐसे अपराधों के लिए दोषसिद्ध किया गया हो जिसमे से कुछ उन विषयों से सम्बंधित हों जिन पर संघ की कार्यपालि

संविधान पीठ के हवाले -सुप्रीम कोर्ट के सवाल-कानूनी स्थिति प्रश्न -6

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                          प्रश्न -६ -क्या सरकार स्वयं से माफ़ी देने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है या इसके लिए कानून में तय प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है ? कानूनी स्थिति -सरकार स्वयं से माफ़ी देने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकती है .इस सम्बन्ध में धारा ४३२ [१] में कहा गया है कि- ''जब किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए दंडादेश दिया जाये तब समुचित सरकार किसी समय ,शर्तों के बिना या ऐसी शर्तों पर जिन्हें दण्डादिष्ट व्यक्ति स्वीकार करे ,उसके दंडादेश के निष्पादन का निलंबन या जो दंडादेश उसे दिया गया है उसका पूरे का या उसके किसी भाग का परिहार कर सकती है .''       किन्तु जहाँ उसके लिए आवेदन किया गया है वहां धारा ४३२ कहती है - [२] जब कभी समुचित सरकार के दंडादेश के निलंबन या परिहार के लिए आवेदन किया जाया तब समुचित सरकार उस न्यायालय के पीठासीन न्यायाधीश से ,जिसके समक्ष दोषसिद्धि हुई थी या जिसके द्वारा उसकी पुष्टि की गयी थी ,अपेक्षा कर सकेगी कि वह इस बारे में कि आवेदन मंजूर किया जाये या नामंजूर किया जाये ,अपनी राय ऐसी राय के लिए अपने कारणों सहित कथित करे और अपनी राय के कथन क

संविधान पीठ के हवाले -सुप्रीम कोर्ट के सवाल-कानूनी स्थिति प्रश्न -5

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प्रश्न -५ - क्या सीआर.पी.सी.की धारा ४३२ [७] में माफ़ी देने में दो सरकारों [केंद्र और राज्य ] को उचित सरकार माना जायेगा ? कानूनी स्थिति -धारा ४३२[७] कहती है - [७] -इस धारा में और धारा ४३३ में 'समुचित सरकार '' पद से - [क] उन दशाओं में जिनमे दंडादेश ऐसे विषय से सम्बद्ध किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है या उपधारा [६] में निर्दिष्ट आदेश ऐसे विषय से सम्बद्ध किसी विधि के अधीन पारित किया गया है ,जिस विषय पर संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है ,केंद्रीय सरकार अभिप्रेत है ; [२]-अन्य दशाओं में ,उस राज्य की सरकार अभिप्रेत है जिसमे अपराधी दण्डादिष्ट किया गया है या उक्त आदेश पारित किया गया है . और संविधान का  अनुच्छेद २५४ कहता है कि यदि राज्य विधानमंडल द्वारा किसी समवर्ती सूची के विषय पर कानून बनाया जाता है ,जो कि संसद द्वारा इससे पूर्व या बाद में बनाये गए नियम के विरोध में है ,तो अनुच्छेद २५४ के खंड [२] के उपबंधों के अधीन रहते हुए संसद द्वारा निर्मित विधि प्रभावी होगी तथा राज्य विधान मंडल द्वारा निर्मित विधि विरोध की मात्रा तक शून्य होगी . अनुच्छेद २५४ के खंड [२] के अनुसार

संविधान पीठ के हवाले -सुप्रीम कोर्ट के सवाल-कानूनी स्थिति प्रश्न -4

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प्रश्न -४ -संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची ३ में दिए गए विषय में माफ़ी देने की शक्ति में केंद्र सरकार को राज्य सरकार से ज्यादा प्राथमिकता है ? कानूनी स्थिति - अनुच्छेद २५४ कहता है कि यदि राज्य विधानमंडल द्वारा किसी समवर्ती सूची के विषय पर कानून बनाया जाता है ,जो कि संसद द्वारा इससे पूर्व या बाद में बनाये गए नियम के विरोध में है ,तो अनुच्छेद २५४ के खंड [२] के उपबंधों के अधीन रहते हुए संसद द्वारा निर्मित विधि प्रभावी होगी तथा राज्य विधान मंडल द्वारा निर्मित विधि विरोध की मात्रा तक शून्य होगी . अनुच्छेद २५४ के खंड [२] के अनुसार यदि राज्य विधान मंडल द्वारा समवर्ती सूची में वर्णित विषयों में से किसी विषय पर निर्मित विधि में कोई ऐसा उपबंध है जो संसद द्वारा उस विषय पर पूर्व में निर्मित विधि अथवा वर्तमान विधि के विरुद्ध है ,लेकिन यदि उसे राष्ट्रपति की सहमति मिल गयी है तो राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित विधि केवल उस राज्य में ,संसद के कानून के स्थान पर प्रभावी रहेगी . लेकिन संसद उसी विषय पर राष्ट्रपति की सहमति के पश्चात भी यदि चाहे तो विधि बना सकती है .इसके द्वारा राज्य द्वारा निर्मित विध

संविधान पीठ के हवाले -सुप्रीम कोर्ट के सवाल-कानूनी स्थिति प्रश्न -3

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प्रश्न -३ -जहाँ पर राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को कानून में माफ़ी देने का हक़ हो वहां क्या सी.आर.पी.सी.की धारा ४३२ [७] के तहत केंद्र सरकार को प्राथमिकता दी गयी है और राज्य को बाहर कर दिया गया है ? कानूनी स्थिति -धारा ४३२[७] कहती है - [७] -इस धारा में और धारा ४३३ में 'समुचित सरकार '' पद से - [क] उन दशाओं में जिनमे दंडादेश ऐसे विषय से सम्बद्ध किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है या उपधारा [६] में निर्दिष्ट आदेश ऐसे विषय से सम्बद्ध किसी विधि के अधीन पारित किया गया है ,जिस विषय पर संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है ,केंद्रीय सरकार अभिप्रेत है ; [२]-अन्य दशाओं में ,उस राज्य की सरकार अभिप्रेत है जिसमे अपराधी दण्डादिष्ट किया गया है या उक्त आदेश पारित किया गया है . हनुमंतदास बनाम विनय कुमार और अन्य तथा स्टेट ऑफ़ हिमाचल प्रदेश बनाम विनय कुमार और अन्य ए.आई.आर .१९८२ एस.सी.१०५२ में उच्चतम न्यायालय ने कहा -पद ''समुचित सरकार ''से अभिप्राय उस सरकार [राज्य ]से है जिसमे अभियुक्त को दोषसिद्ध किया गया है ,न कि उस सरकार [राज्य] से जिसमे अपराध कारित किया गया था