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अमर उजाला पर कार्यवाही हो

अमर उजाला हिंदी दैनिक समाचारपत्र का पृष्ठ -13 पर आज प्रकाशित एक समाचार भारतीय दंड संहिता -१८६० के अधीन उसे अर्थात अमर उजाला को कानून के उल्लंघन का दोषी बनाने हेतु पर्याप्त है जिस पर अमर उजाला ने बाँदा चित्रकूट में हारने वाली एक प्रत्याशी शीलू को गैंगरेप पीड़ित लिख प्रचारित किया है जो कि भारतीय दंड संहिता की धारा २२८-क के अधीन अपराध है और जिसका अवलोकन आप सभी कर अमर उजाला के इस अपराध को स्वीकार कर सकते हैं जिसके मुद्रण या प्रकाशन के सम्बन्ध में भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत कई पाबंदियां लगायी गयी हैं जो इस प्रकार हैं - भारतीय दंड संहिता की धारा २२८-क कहती है - [१] - जो कोई किसी नाम या अन्य बात को ,जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की [ जिसे इस धारा में इसके पश्चात पीड़ित व्यक्ति कहा गया है ] पहचान हो सकती है , जिसके विरुद्ध धारा ३७६ , धारा ३७६-क ,धारा ३७६-ख , या धारा ३७६-घ के अधीन किसी अपराध का किया जाना अभिकथित है या किया गया पाया गया है , मुद्रित या प्रकाशित करेगा वह दोनों में किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी , दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडन

सबूत का भार सुब्रमणियम स्वामी पर

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भारतीय राजनीति में ऐसे लोग कम नहीं जिनकी राजनीतिक रोटियां केवल और केवल गांधी परिवार की बुराई के चूल्हे पर ही सिंकती हैं और केवल इस परिवार की बुराई करकर ही वे स्वयं को बहुत बड़ा देशभक्त साबित करते हैं और इन्हीं नेताओं में से सर्वप्रमुख नेता हैं ''माननीय सुब्रमणियम स्वामी'' अभी हाल ही में वे एक बहुत बड़ा मुद्दा [केवल उनकी नज़रों में ] लेकर आये हैं और वह है राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का मुद्दा ,वे कहते हैं कि - ''राहुल ब्रिटिश नागरिक हैं '' Rahul Gandhi is a British citizen, Subramanian Swamy says; NEW DELHI:  BJP leader Subramanian Swamy on Monday alleged that Congress vice-president Rahul Gandhi has claimed himself to be a British national  before the authorities there and has demanded that he be stripped of Indian citizenship and Lok Sabha membership. और अब वे कह रहे हैं कि ''राहुल साबित करें , वह ब्रिटिश नागरिक नहीं ''और अपने इस दावे के समर्थन में वे ब्रिटिश सरकार की आधिकारिक वेबसाइट से उपलब्ध दस्तावेज का हवाला देते हुए कहत

तेजाबी हमले :सरकार सही रास्ते पर आये

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एक रुसी युवती पर तेजाबी हमला और वह भी प्रधानमंत्री जी के लोकसभा कार्यक्षेत्र में बहुत ही दुखद विषय है। समाचारों के अनुसार स्थिति ये है - The 23-year-old Russian woman who was attacked with acid in Varanasi and was undergoing treatment has been flown to Moscow with Indian government assuring her that all medical expenses will be borne by it.  और उससे भी दुखद ये कि देश की विदेश मंत्री इस सम्बन्ध में अपने कर्तव्य का निर्वहन अपनी सरकार की ही कार्यप्रणाली के अनुसार कर रही हैं अर्थात सोशल मीडिया पर और इसके लिए वे ट्विटर का लगातार इस्तेमाल कर रही हैं - External Affairs Minister Sushma Swaraj has sought a report from the Uttar Pradesh government about the attack on Russian national and tweeted about her leaving for Russia today.  Here's what Swaraj tweeted:  Sushma Swaraj   ✔ @SushmaSwaraj Acid attack on Russian girl - A senior officer of MEA met the victim in hospital today. He also spoke to the Doctors attending on her. 9:48 PM - 15 Nov 2015     236 236

गैंगरेप:मृत्युदंड पर बहस ज़रूरी

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मृत्युदंड एक ऐसा दंड जिसका समर्थन और विरोध हमेशा से होता रहा है पर जब जब इसके विरोध की आवाज़ तेज हुई है तब तब कोई न कोई ऐसा अपराध सामने आता रहा है जिसने इसकी अनिवार्यता पर बल दिया है हालाँकि इसका  समर्थन और विरोध न्यायपालिका में भी रहा है किन्तु अपराध की नृशंसता इस दंड की समाप्ति के विरोध में हमेशा से खड़ी रही है और इसे स्वयं माननीय न्यायमूर्ति ए.पी.सेन ने ''कुंजू कुंजू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य क्रिमिनल अपील ५११ [१९७८] में स्वीकार किया है .     ''कुंजू कुंजू बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के वाद में अभियुक्त एक विवाहित व्यक्ति था जिसके दो छोटे बच्चे भी थे .उसका किसी युवती से प्रेम हो गया और उससे विवाह करने की नीयत से उसने अपनी पत्नी और दोनों बच्चों की रात में सोते समय निर्मम हत्या कर दी .''      इस वाद में यद्यपि न्यायाधीशों ने 2:1 मत से इन तीन हत्याओं के अभियुक्त की मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया जाना उचित समझा परन्तु न्यायमूर्ति ए .पी. सेन ने अपना विसम्मत मत व्यक्त करते हुए अवलोकन किया -   '' अभियुक्त ने एक राक्षसी कृत्य किया है तथा अपनी पत्नी तथ

हिन्दू महिला का अधिकार -पति का धर्म परिवर्तन व् दूसरे विवाह पर

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मेरे एक आलेख पर जो कि जब मैं नारी ब्लॉग की सदस्या थी पर मेरे आलेख  विवाह विच्छेद /तलाक और महिला अधिकार पर टिप्पणी कर प्राची पाराशर पूछती हैं - [prachi parashar- after 16 yrs of my happy love merrige life my husband indulge with a muslim widow lady with her 3 own children.now i have stopped crying and put my application in mahila help line .please help me for the further steps .i dont want to live a compromising life .i have my 3 children ,out of which my eldest daughter has compleated her14th and the youngest one is going towards his5th .plz guide me about my rights which i can get if there is any condition of divorce.] और इनकी समस्या को देखते हुए हिन्दू विधि में निम्न उपचार प्रदान किये गए हैं - * विवाह विधि संशोधन अधिनियम १९७६ के पश्चात् यदि किसी हिन्दू महिला का पति धर्म परिवर्तन द्वारा हिन्दू नहीं रह गया है तो वह पत्नी तलाक की आज्ञप्ति प्राप्त कर सकती है अर्थात तलाक ले सकती है .धर्म परिवर्तन से तलाक खुद ही नहीं हो जाता इसके लिए उसे याचिका दायर करनी होगी और आज्ञप्ति प्राप्त करन