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संपत्ति का अधिकार -४

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संपत्ति का अधिकार -४   मूल अधिकार से अंतर - मूल अधिकार व् सामान्य विधिक अधिकार में अंतर यह है कि सामान्य विधिक अधिकार विधान पालिका की कृपा पर व्यक्तियों को सुलभ होते हैं ,मूल अधिकार स्वयं संविधान द्वारा उसी रूप में प्रदत्त होता है .सामान्य विधिक अधिकार विधायकों द्वारा किसी भी समय समाप्त अथवा न्यून किये जा सकते हैं परन्तु मूल अधिकार उनकी पहुँच से उस सीमा तक बाहर रहते हैं ,जिस सीमा तक अथवा जिस विधि से स्वयं संविधान उनकी पहुँच से दूर रहता है .सामान्य  विधिक अधिकारों के विपरीत सामान्य न्यायपालिका से ही उपचार प्राप्त हो सकता है परन्तु मूल अधिकार देश की सर्वोच्च विधि संविधान और सर्वोच्च न्यायलय द्वारा सुरक्षित होते हैं . संपत्ति क्या है  - संपत्ति शब्द की न्यायालयों ने बड़ी विशद व्याख्या की है .उनके मतानुसार संपत्ति शब्द में वे सभी मान्य हित शामिल हैं जिनमे स्वामित्व से सम्बंधित अधिकारों के चिन्ह या गुण पाए जाते हैं .सामान्य अर्थ में 'संपत्ति' शब्द के अंतर्गत वे सभी प्रकार के हित शामिल हैं जिनका अंतरण किया जा सकता है ;जैसे पट्टेदारी या बन्धकी [कमिश्नर हिन्दू रेलिजन्स इन्दौमेन्ट

सूरज पंचोली दंड के भागी .

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सूरज पंचोली दंड के भागी . समान कानून की बातें भारत में की जाती हैं .आज एक बार फिर उसी कानून की बाते की जानी चाहियें किन्तु देखिये तो एक चुप्पी ही दिखाई देती है .जिया के मरने का सबको दुःख है स्वयं उसको भी जो इसका कारण है किन्तु ये दुःख उसे या किसी को भी कानून की अवहेलना करने का अवसर नहीं देता .आज सूरज पंचोली के लिए सजा की मांग की जानी चाहिए किन्तु कहाँ हैं वे मानवाधिकार कार्यकर्ता जो अभी पिछले दिनों संजय दत्त के लिए बढ़-चढ़ कर सजा मांग रहे थे फिर सूरज को क्यों बख्श रहे हैं ? गीतिका के केस में गोपाल कांडा पर एक धारा  ३०६ भारतीय दंड सहिंता भी लगी है जो कि आत्महत्या के दुष्प्रेरण से सम्बंधित है और अभी आये समाचारों के मुताबिक जिया की मृत्यु का कारण भी कोई और नहीं सूरज ही थे जिनसे बेवफाई मिलने पर जिया ने आत्महत्या कर ली .   जिया और सूरज के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था और पिछले कुछ दिनों से सूरज और जिया के बीच किसी और लड़की के आने के  कारण तनाव बढ़ गया था और इधर जिया की माँ तनाव दूर करने की कोशिश में थी तो उधर आदित्य पंचोली ने अपने बेटे सूरज को जिया से दूर रहने की सलाह दी थी किन्