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काँवडियों के लिए शामली पुलिस आधार आदि के साथ नो ऑब्जेक्शन भी करें जरुरी

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  ( SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES ) शामली जिले में प्रशासन द्वारा काँवड़ियों के लिए सख्त निर्देश जारी किये गए हैँ. कांवड़ यात्रा के दौरान गलत लोगों और कांवड़ियों पर पुलिस और प्रशासन की पैनी नजर रहेगी. हरियाणा सीमा से आने वाले काँवड़ियों को अपने पहचान पत्र साथ रखने होंगे. बिना आधार, पैन, डीएल या आईडी के यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी. सुरक्षा एजेंसियो से प्राप्त सुरक्षा अलर्ट के चलते यह सख्ती बरती जा रही है. प्रशासन ने साफ कहा है कि कोई भी संदिग्ध व्यक्ति या नशेड़ी कांवड़ यात्रा में शामिल नहीं होना चाहिए. इसके लिए हर वह व्यक्ति जो काँवड लेने जा रहा है या लेकर आ रहा है तो उसे कांवड़ के साथ अपने पास निम्न से कोई दस्तावेज साथ रखने होंगे- ✒️ आधार कार्ड,  ✒️पैन कार्ड,  ✒️ड्राइविंग लाइसेंस या  ✒️कोई वैध पहचान पत्र .       जिनके पास ये पहचान पत्र नहीं होंगे, उन्हें यात्रा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा. ➡️ प्रशासन काँवड यात्रा और काँवड़ियों के सुरक्षा के लिए सतर्क-   गलत मंशा वाले व्यक्ति को कांवड़ यात्रा में शामिल होने से रोकने के लिए खासकर गलत लोगों को र...

कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों पर QR Code लगाने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

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  उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजन विक्रेताओं को अपने बैनरों पर QR Code स्टिकर प्रदर्शित करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया गया। इन निर्देशों में तीर्थयात्रियों को मालिकों की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।  आवेदन में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में कांवड़ यात्रा मार्गों पर भोजन विक्रेताओं के स्वामित्व/कर्मचारी की पहचान सार्वजनिक करने की आवश्यकता वाले या उसे सुविधाजनक बनाने वाले सभी निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की गई. यह तर्क दिया गया कि  "ये निर्देश पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के विपरीत हैं, जिसमें कहा गया कि विक्रेताओं को अपनी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। आवेदक प्रोफेसर अपूर्वानंद ने तर्क दिया कि न्यायालय का आदेश दरकिनार करने के लिए सरकारी अधिकारियों ने इस वर्ष नए निर्देश जारी किए हैं, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों पर QR Code प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया, जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है। आवेदक ने तर्क दिया कि इस निर्देश के पीछे...

डी एन ए टेस्ट -कोर्ट पिता के चरित्र और सम्मान को भी महत्व दें.

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     डी एन ए टेस्ट आज की फैमिली कोर्ट प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, एक तरफ जहाँ पितृत्व की अभिस्वीकृति के लिए डीएनए टेस्ट जरुरी हो जाता है वहीं कोर्ट द्वारा बच्चे का हित देखते हुए डीएनए टेस्ट का आदेश बहुत ही सीमित मामलों में दिया जाता है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व एन डी तिवारी के अवैध संबंधो से पैदा पुत्र रोहित शेखर ने जब कोर्ट में डीएनए टेस्ट के लिए याचिका लगाई तो कोर्ट ने बेटे की ही मांग को देखते हुए डीएनए टेस्ट का आदेश दिया और डीएनए टेस्ट के माध्यम से रोहित शेखर ने अपना अधिकार प्राप्त किया, किन्तु अधिकांश मामलों में जहाँ पिता डीएनए टेस्ट की मांग करते हैं वहां कोर्ट इस मांग को बच्चे का हित देखते हुए लगभग ठुकरा देती है. इसी मुद्दे पर अभी हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने SKP बनाम KSP (रिट याचिका 3499/2020) में कहा- " कि यदि किसी बच्चे की मां उसके पितृत्व की जांच के लिए डीएनए टेस्ट कराने के लिए सहमत भी हो तब भी कोर्ट को बच्चे के अधिकारों का संरक्षक (Custodian) बनकर उसके हितों पर विचार करना आवश्यक है। कोर्ट को टेस्ट के पक्ष और विपक्ष दोनों पहलुओं का मू...

बेटी अब खेती की भी मालिक होगी

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बेटियों के अधिकारों लिए आरम्भ से लेकर आज तक बहुत से संघर्ष किये गए और बहुत से फैसले लिए गए. उन सभी को देखते हुए 2005 में हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम में जो बदलाव का निर्णय देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया उसे मील का पत्थर, यदि कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.      माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया। जिसके अंतर्गत बेटियों को पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सा देने का प्रावधान किया गया। इससे पहले बेटियों को शादी के बाद पिता की सम्पत्ति में अधिकार प्राप्त नहीं होता था. किन्तु अब बेटी को विवाह के बाद भी बेटे जितना हक सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रदान कर दिया गया है. ➡️ अब खेती पर भी बेटियों का अधिकार-  खेती की जमीन पर बेटियों का कोई अधिकार नहीं होता था. भारत के कई राज्यों में खेती की जमीन में बेटियों को अधिकार नहीं दिया जाता था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2020 और फिर 2024 में बेटियों को खेती की जमीन में भी बेटों के बराबर हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को भी...

शिवभक्तों के काँवड व्रत की रक्षा के लिए सनातन धर्म है तैयार --हर हर महादेव 🚩

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( अब प्रपत्र देगा दुकान और दुकानदार की पूरी जानकारी-shalini kaushik law classes ) 11 जुलाई से श्रावण मास आरम्भ हो रहा है, हर साल की तरह शिव भक्त कांवड में गंगाजल भरकर लाने के लिए हरिद्वार पहुँचने आरम्भ हो गए हैं, हरियाणा, राजस्थान के कांवडिये और खुद उत्तर प्रदेश के निवासी लाखों की संख्या में हर साल काँवड लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से गुजरते हैं जिनमें मुजफ्फरनगर, शामली प्रमुख हैँ. कांवड लाने वाले शिवभक्तों की सेवा और स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के निर्देशों पर प्रशासन ने सड़कों पर सफाई कार्य और राहत शिविरों की व्यवस्था करनी आरम्भ कर दी है.कुछ अराजक तत्वों के द्वारा कांवड यात्रा में विघ्न उपस्थित करने के प्रयासों को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा वर्ष 2024 में भी काँवड मार्ग की दुकानों पर दुकानदारों का नाम लिखना अनिवार्य किया था और यही निर्देश इस वर्ष भी सरकार द्वारा जारी किये गए हैँ.  किन्तु अभी प्राप्त नई जानकारी के अनुसार खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नाम ल...

सीता-सूर्पनखा और रावण-राम का भेद समझना होगा न्यायालयों को

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  एक आईटी फर्म में काम करने वाले और अपनी पत्नी से तलाक के मुकदमे से गुजर रहे अतुल सुभाष ने दिसंबर में  आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और कथित तौर पर झूठे मामलों में फंसाने का आरोप लगाया। यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा। अतुल सुभाष द्वारा अपने 24 पेज के सुसाइड नोट और 81 मिनट के वीडियो में आरोप लगाया कि पत्नी निकिता सिंघानिया को 40 हजार रुपये महीना गुजारा भत्ता के तौर पर देने के बावजूद, पत्नी और उसके परिवार वाले सभी केस खत्म करने के लिए 3 करोड़ रुपये की रकम मांग रहे थे. साथ ही, बच्चे से मिलने के लिए 30 लाख रुपये की डिमांड की जा रही थी.    अतुल सुभाष के बाद और भी कुछ मामलों में पति पत्नी और उसके परिजनों द्वारा क़ानून के भेदभाव पूर्ण रवैयै और लगभग पत्नी के ही पक्ष को महत्व देने के कारण आत्महत्या के लिए विवश हो रहे हैं, ऐसे में, ये प्रश्न तो उठना स्वाभाविक ही है कि  🌑 महत्वपूर्ण प्रश्न:-     "क्या पति से तलाक ले लेने, पति के प्रति किसी भी दाम्पत्य कर्तव्य का निर्वहन न करने के बावजूद पत्नी क़ानून के इस उदार ...

ये नहीं किया तो मकान मालिक पर ₹5000 का जुर्माना तय

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1 जुलाई 2025 से भारत में मकान मालिकों के लिए अपनी सम्पत्ति किराये पर देने के संबंध में नया नियम लागू होने जा रहा है, जिसके तहत यदि मकान मालिक बिना ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट के मकान किराए पर देता है तो उस पर ₹5,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। इस नियम का उद्देश्य किराएदारों के हितों की रक्षा करना और रेंट एग्रीमेंट की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। ➡️ ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट के फायदे- ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट का उपयोग किराएदार और मकान मालिक दोनों के लिए फायदेमंद है। कानूनी सुरक्षा प्रदान करने के साथ साथ यह विवादों को भी कम करता है।ई- स्टाम्प का महत्व यह भी है कि यह सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होता है, जिससे किसी भी विवाद की स्थिति में इसे सबूत के रूप में पेश किया जा सकता है। ✒️ ई स्टाम्प से कानूनी सुरक्षा मिलती है. ✒️ ई स्टाम्प से विवादों का समाधान आसानी से हो जाता है. ✒️ ई स्टाम्प सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज होता है. ✒️ ई स्टाम्प किराएदार के अधिकारों की रक्षाकरता है. ✒️ ई स्टाम्प मकान मालिक की जिम्मेदारियों का निर्धारण भी करता है. ➡️ बिना ई-स्टाम्प रेंट एग्रीमेंट जुर्माने का प्रावधान- बिना ई-स्टा...