व्हाट्सएप चैटिंग व गूगल मैप ने दी ममता - की गवाही, कोर्ट बोला- मां जैसा कोई नहीं

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आईआरएस पति के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची प्रवक्ता पत्नी ने मांगी बेटी की हिरासत

क्या है मामला : दिल्ली के एक महाविद्यालय में प्रवक्ता के पद पर तैनात याची की शादी गोरखपुर निवासी भारतीय रेल सेवा (आईआरएस) के अधिकारी से 18 जनवरी 2012 को प्रयागराज में हुई थी। इसके बाद वह पति संग उनके तैनाती स्थल कटवा (पश्चिम बंगाल), महेंद्रू घाट (पटना),दानापुर व लखनऊ में रहीं। तीन नवंबर 2012 को दिल्ली में उन्होंने बेटी को जन्म दिया। इसके बाद दोनों में मनमुटाव हो गया। पति की ओर से बात तलाक तक पहुंच गई। दंपती के बीच लखनऊ व प्रयागराज की पारिवारिक अदालत में शुरू हुई कानूनी लड़ाई के बीच पत्नी ने घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया.

दादा-दादी व पिता संग रह रही बेटी की हिरासत की मांग करते हुए अर्जी दाखिल की। हालांकि, बेटी मौजूदा वक्त लखनऊ में पढ़ाई कर रही है। जिला अदालत ने बेटी के बयान पर पत्नी की अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दी कि वह पिता संग रहना चाहती है। इसके अलावा यह तर्क भी दिया कि बेटी की हिरासत के लिए घरेलू हिंसा कानून के बजाय हिंदू अवयस्कता और संरक्षकता अधिनियम के तहत अर्जी दाखिल की जा सकती है। 

निर्णय के खिलाफ अपील किये जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में व्हाट्सएप चैटिंग व गूगल मैप के सुबूतों ने मां की ममता की गवाही दी। कोर्ट ने कहा कि बेटियां चाची, दादी, नानी व पापा की लाडली हो सकती हैं, लेकिन उनकी तुलना मां से नहीं की जा सकती। युवावस्था की दहलीज पर खड़ी बेटी के लिए मां का साथ जरूरी है। क्योंकि, मां जैसा हितैषी दुनिया में कोई नहीं हो सकता।

इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की अदालत ने तीन साल पहले पिता संग गई बेटी को मां के हवाले करने का आदेश दिया है। साथ ही पिता को निर्देशित किया है कि तीन हफ्ते में दिल्ली में रह रही मां को बेटी सौंप दी जानी चाहिए। ऐसा नहीं करने पर मां को बाल कल्याण समिति में शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होगा। अर्जी पर महिला पुलिस अधिकारी व योग्य बाल परामर्शदाता बेटी को मां तक सुरक्षित पहुंचाने में मदद करेंगे। पुलिस आयुक्त लखनऊ यह व्यवस्था करेंगे कि याची के पति अपनी पदीय स्थिति से उसके हितों और अदालती आदेश के क्रियान्वयन को प्रभावित न कर सकें। साथ ही कोर्ट ने मां को यह भी स्वतंत्रता दी है कि वह भरण-पोषण का दावा उचित फोरम पर अलग से कर सकती है।

आभार 🙏🙏

            अमर उजाला



प्रस्तुति

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

कैराना (शामली)





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