सुप्रीम कोर्ट ने मृतक कमिश्नर क़े बेटे को अनुकम्पा नियुक्ति देने से किया इंकार

    


माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा राजस्थान हाई कोर्ट और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल क़े फैसले को बरकरार रखते हुए मृतक सेन्ट्रल एक्साइस कमिश्नर क़े बेरोजगार बेटे को अनुकम्पा नियुक्ति देने से इंकार कर दिया.
 
➡️ टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट 
      टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट  के अनुसार, अदालत ने याचिकाकर्ता रवि कुमार जेफ के पिता, जो सेंट्रल एक्साइज में प्रधान आयुक्त थे। उनका अगस्त 2015 में निधन हो गया था। पिता की मृत्यु क़े उपरांत रवि ने CGST और सेंट्रल एक्साइज (जयपुर जोन) राजस्थान में मुख्य आयुक्त के कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति की मांग की । जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन ने याचिका खारिज कर दी है।

➡️ याचिकाकर्ता रवि की पारिवारिक स्थिति -
    याचिकाकर्ता रवि के पिता दो घर, 33 एकड़ जमीन और 85 हजार रुपये पारिवारिक मासिक पेंशन छोड़ गए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल की तरफ से पुत्र रवि की अनुकंपा नियुक्ति की याचिका को डिपार्टमेंट के इस दावे को बरकरार रखते हुए कि परिवार के पास सुविधाओं के साथ रहने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं, ख़ारिज कर दिया गया था.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी क़े अनुसार विभागीय समिति ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए 19 आवेदकों के नाम पर विचार किया था, जिनमें से सिर्फ 3 को पात्र माना गया। विभाग का कहना था कि अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। ऐसे रोजगार के दावों पर सिर्फ वहां विचार किया जाता है, जहां परिवार मुश्किलों का सामना कर रहा हो।

➡️ विभागीय समिति की रिपोर्ट-
      'दिवंगत सरकारी कर्मचारी के परिवार में पत्नी और उनके बेटा-बेटी हैं। बेटा और बेटी दोनों ही बेरोजगार है और शादी नहीं हुई है। परिवार के पास गांव में एक घर है, 33 एकड़ कृषि भूमि है, जयपुर में HIG घर है...। परिवार को 85 हजार रुपये मासिक पेंशन मिल रही है। परिवार की मासिक आय उनकी आजीविका के साथ सामाजिक दायित्वों के लिए पर्याप्त नजर आ रही है।'

➡️ सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय-

विभागीय समिति की रिपोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट क़े फैसले को मद्देनजर रखते हुए अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। 17 जून 2025 दिन मंगलवार को शीर्ष न्यायालय ने एक से ज्यादा घर और कई एकड़ जमीन वाले एक युवक को पिता के बाद नौकरी देने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता रवि अपने पिता के निधन के बाद अनुकंपा नियुक्ति चाह रहा था। शीर्ष न्यायालय स्वयं भी पहले से यह कहता रहा है कि अनुकंपा नियुक्ति को अधिकार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही,ऐसी नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों का जरूरी मानदंडों को पूरा करना अनिवार्य है।

प्रस्तुति
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)





टिप्पणियाँ

  1. सराहनीय निर्णय लिया है माननीय उच्चतम न्यायालय ने

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