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AIBE तैयारी दूसरे महत्वपूर्ण कानून की 2️⃣

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                                   2️⃣     अखिल भारतीय बार परीक्षा 20 ( AIBE-XX ) 30 नवंबर 2025 को आयोजित होने जा रही है. परीक्षा के आवेदन आदि की सम्पूर्ण जानकारी हम आपको अपने ब्लॉग ( AIBE-XX पूरी जानकारी एक साथ ) में दे चुके हैँ. इसके साथ ही अपने पूर्व ब्लॉग में हम आपको -संवैधानिक विधि की तैयारी के बारे में भी बता चुके हैं, जिसके बारे में अगर आप हमारे ब्लॉग और यू ट्यूब व्लॉग से जुड़े हुए हैं तो जान ही गए होंगे, आज हम आपके लिए लेकर आये हैं परीक्षा में आने वाले दूसरे क़ानून दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) / भारतीय नागरिक  सुरक्षा संहिता (BNSS) की तैयारी-  ➡️ दंड प्रक्रिया सहिता (CrPC) / भारतीय नागरिक  सुरक्षा संहिता (BNSS)- 🌑 दंड  प्रक्रिया सहिता (CrPC) जो कि अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में परिवर्तित हो गई है उसमें से लगभग 10 अंक के MCQ अर्थात mutiple choice question मतलब बहुविकल्पीय प्रश्न आपसे पूछे जायेंगे. ➡️  दड प्रक्रिया सहिता (CrPC) / भारतीय ना...

BNS, BNSS और BSA में IPC, CrPC और IEA की धाराएं भी लिखना जरूरी-इलाहाबाद हाई कोर्ट

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  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि  "अब से जिन मामलों या याचिकाओं में नए आपराधिक कानूनों — जैसे भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) — का उल्लेख किया जाएगा, उनमें पुराने कानूनों — भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) — की संबंधित धाराएं भी साथ में लिखना जरूरी होगा।" जस्टिस श्री प्रकाश सिंह की पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि  "याचिकाओं और अपीलों में केवल नए कानूनों की धाराएं लिखने से अदालत और वकीलों को काफी असुविधा होती है, क्योंकि अभी कई मामलों में पुराने और नए प्रावधानों की तुलना आवश्यक होती है।" अदालत ने यह भी बताया कि  "अधिवक्ताओं ने स्वयं सुझाव दिया था कि पुराने कानूनों की समान धाराएं साथ में लिखने से मामलों के शीघ्र निपटारे में मदद मिलेगी। इसलिए अदालत ने रजिस्ट्री को सख्त निर्देश दिया है कि आगे से सभी याचिकाओं में दोनों कानूनों के प्रावधान शामिल किए जाएं। " ➡️ आदेश का कारण-  प्रस्तुत मामले में याचिकाकर्ताओं ने BNS की धारा 126(2), 194(2), 115...

AIBE -जानें परीक्षा की मूल बातें

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  कल हमारे ब्लॉग की एक पाठक ने हमसे अनुरोध किया था कि - " कृपया पेपर की समय सीमा और कुल कितने नंबर का पेपर आएगा ये भी बताने का कष्ट करें , "  तो आज हम आपकी अखिल भारतीय बार परीक्षा को लेकर आपकी इन समस्याओं का समाधान करने जा रहे हैँ. सबसे पहले आप जानिए AIBE की समय सीमा और नंबर पद्धति के बारे में- ➡️ AIBE की समय सीमा और नंबर पद्धति- ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) परीक्षा की अवधि 3 घंटे 30 मिनट (साढ़े तीन घंटे) होती है. यह एक ऑफ़लाइन, पेन-एंड-पेपर परीक्षा है जिसमें 100 बहुविकल्पीय प्रश्न होते हैं, जिसके लिए कोई नकारात्मक अंकन नहीं होता है.  AIBE परीक्षा का विवरण  अवधि: 3 घंटे 30 मिनट प्रारूप: ऑफ़लाइन, पेन-एंड-पेपर आधारित प्रश्नों का प्रकार: वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्न (बहुविकल्पीय) प्रश्नों की कुल संख्या: 100 कुल अंक: 100 नकारात्मक अंकन: नहीं      अब आते हैं प्रश्न पद्धति पर  ➡️ AIBE प्रश्न पद्धति- अखिल भारतीय बार परीक्षा में बहुविकल्पीय प्रश्न पूछे जाते हैँ. बहुविकल्पीय प्रश्न पद्धति को अंग्रेजी में MCQ कहा जाता है. MCQ का अर्थ मल्टीपल चॉइस क्वेश्च...

AIBE-XX सभी कानूनों की तैयारी कैसे करें?-1️⃣

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        अखिल भारतीय बार परीक्षा 20 ( AIBE-XX ) 30 नवंबर 2025 को आयोजित होने जा रही है. परीक्षा के आवेदन आदि की सम्पूर्ण जानकारी हम आपको अपने ब्लॉग ( AIBE-XX पूरी जानकारी एक साथ ) में दे चुके हैँ, जिसे आप पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं. अब आपके लिए लेकर आये हैं हम परीक्षा में आने वाले कानूनों की तैयारी का तरीका, जिसे हम क्रमवार ढंग से प्रस्तुत करने जा रहे हैँ. आज हम सबसे पहले आपके लिए लेकर आये हैँ देश के सर्वोच्च क़ानून " संवैधानिक विधि " की तैयारी-  1️⃣ संवैधानिक विधि (Constitutional Law)-       AIBE परीक्षा में क़ानून के 100 नम्बर के प्रश्नों में से संवैधानिक विधि से 10 नंबर के प्रश्न पूछे जाते हैं. जिस कारण परीक्षा पास करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण विधि हो जाती है. ➡️ संवैधानिक विधि का महत्व - संविधान विधि का महत्व इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि यह भारतीय कानून में सर्वोच्च कानून है और संविधान का संरक्षक हमारे देश का उच्चतम न्यायालय अर्थात सुप्रीम कोर्ट है. संवैधानिक विधि से पूछे जाने वाले प्रश्न सीधे तौर पर ऐतिहासिक सिद्धांतों और अनु...

रेपिस्ट से भरण पोषण नहीं मांग सकती लिव-इन-पार्टनर जम्मू कश्मीर एन्ड लद्दाख हाईकोर्ट

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 जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने अहम फैसले में स्पष्ट किया कि  "कोई महिला अपने लिव-इन पार्टनर से भरण-पोषण की मांग नहीं कर सकती यदि उसने उसी पर रेप का आरोप लगाया हो और उसे दोषी ठहराया गया हो।"  जस्टिस विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने प्रिंसिपल सेशन जज कठुआ का आदेश बरकरार रखा, जिसमें मजिस्ट्रेट द्वारा महिला को दी गई अंतरिम भरण-पोषण राशि को रद्द कर दिया गया था।   🌑 महिला की दलील-   वह 10 वर्षों तक प्रतिवादी के साथ रही एक बच्चा भी हुआ और विवाह का आश्वासन दिया गया लेकिन शादी नहीं हुई। उसने दलील दी कि लंबे समय तक साथ रहने के कारण वह पत्नी की तरह भरण-पोषण पाने की अधिकारी है। हाईकोर्ट ने कहा कि-  " महिला ने स्वयं ही प्रतिवादी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) का मुकदमा दायर किया और प्रतिवादी दोषी भी ठहराया गया। ऐसे में दोनों को पति-पत्नी के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती।" अदालत ने कहा कि - "CrPC की धारा 125 के तहत भरण-पोषण का दावा तभी किया जा सकता है, जब पति-पत्नी का वैधानिक या मान्य संबंध हो। " कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि  " नाबा...

मुफ्त वकील उत्तर प्रदेश में

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  उत्तर प्रदेश में मुफ़्त वकील प्राप्त करने के लिए, आपको अपने जिले के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) या राज्य के राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) से संपर्क करना होगा. आप राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की वेबसाइट (nalsa.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं, या सीधे ज़िला कोर्ट में जाकर प्रार्थना पत्र दे सकते हैं. इसके अतिरिक्त, आप मुफ़्त कानूनी सलाह के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 15100 पर भी कॉल कर सकते हैं. ➡️ मुफ़्त वकील कैसे प्राप्त करें- ✒️ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) से संपर्क करें:  हर जिले में DLSA होता है जो गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को मुफ़्त वकील दिलाता है. आप सीधे कोर्ट में स्थित DLSA में जाकर आवेदन कर सकते हैं.  ✒️ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) से संपर्क करें:  बड़े मामलों या हाई कोर्ट से जुड़े केस के लिए राज्य SLSA से संपर्क करें. आप इसके लिए ऑनलाइन या ऑफ़लाइन आवेदन कर सकते हैं. ✒️ NALSA की वेबसाइट का उपयोग करें:  आप राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की वेबसाइट (nalsa.gov.in) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन पत्र भर सकते हैं और आवश्यक दस्ता...

नाबालिग के खिलाफ किया जा सकता है भरण पोषण का दावा-इलाहाबाद हाईकोर्ट

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 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि  "  दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 और 128 के तहत नाबालिग के खिलाफ भरण-पोषण का दावा किया जा सकता है।"  जस्टिस मदन पाल सिंह ने बाल विवाह और नाबालिग पति से भरण-पोषण की मांग के मामले में सुनवाई करते हुए कहा-   “धारा 125 और 128 CrPC के तहत नाबालिग के खिलाफ दाखिल आवेदन पर सुनवाई करने में कोई रोक नहीं है।”  ➡️ मामले का विवरण संक्षेप में-  पुनरीक्षणकर्ता/ नाबालिग पति के तर्क - ✒️उसकी शादी मात्र 13 साल की उम्र में विपक्षी संख्या-2 से हुई थी. ✒️ दो साल बाद एक बेटी (विपक्षी संख्या-3) का जन्म हुआ। जब पति लगभग 16 साल का था. ✒️ पत्नी बिना उचित कारण उसके साथ रहने से इंकार कर चुकी है, इसलिए धारा 125(4) के अनुसार वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है।  ✒️ वह नाबालिग था, इसलिए उसके खिलाफ धारा 125 के तहत दावा सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता था, बल्कि अभिभावक के माध्यम से ही किया जा सकता था।       पत्नी ने धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण का दावा दायर किया। कोर्ट ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय IX में यह प्रावधा...