रजिस्टर्ड वसीयत प्रमाणिक: सुप्रीम कोर्ट


 सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (21 जुलाई) को दोहराया कि रजिस्टर्ड 'वसीयत' के उचित निष्पादन और प्रामाणिकता की धारणा होती है और सबूत का भार वसीयत को चुनौती देने वाले पक्ष पर होता है।

ऐसा मानते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें विवादित भूमि में अपीलकर्ता/लासुम बाई का हिस्सा कम कर दिया गया था और रजिस्टर्ड वसीयत और मौखिक पारिवारिक समझौते के आधार पर उनका पूर्ण स्वामित्व बरकरार रखा।

न्यायालय ने माना कि हाईकोर्ट ने अपने तर्क में गलती की और इस बात पर ज़ोर दिया कि रजिस्टर्ड वसीयत की प्रामाणिकता की प्रबल धारणा होती है। यह धारणा वर्तमान मामले में और भी पुष्ट हुई, क्योंकि प्रतिवादी ने यह स्वीकार किया था कि वसीयत पर उसके पिता के हस्ताक्षर थे, इसलिए उसने इसकी प्रामाणिकता पर कोई विवाद नहीं किया, खासकर तब जब वसीयत से न केवल अपीलकर्ता को बल्कि स्वयं प्रतिवादी और उसकी बहन को भी लाभ हुआ हो।

Case Title: METPALLI LASUM BAI (SINCE DEAD) AND OTHERS VERSUS METAPALLI MUTHAIH(D) BY LRS.

(https://hindi.livelaw.in/supreme-court/registered-will-carries-presumption-of-genuineness-burden-of-proof-on-party-disputing-its-validity-supreme-court-298367)

आभार 🙏👇


प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )

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