एडवोकेट समझें वर्चुअल कोर्ट की अवधारणा
विधि और न्याय मंत्रालय की अवधारणा के अनुसार छोटे यातायात अपराध के मामलों से निपटने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के तहत आभासी अदालतों की एक नई व्यवस्था की गई है । जिसमें कोर्ट रूम की आवश्यकता नहीं होती है । इसका लक्ष्य, अदालत में उल्लंघनकर्ता या अधिवक्ता की भौतिक उपस्थिति को समाप्त करके अदालतों में होने वाली भीड़ को कम करना है । वर्चुअल कोर्ट का प्रबंधन, वर्चुअल जज द्वारा किया जा सकता है, जिसके क्षेत्राधिकार में पूरा राज्य आता है और जिसमें पूरे सप्ताह चौबीसों घंटे (24X7) कार्य किया जा सकता है । इसमें न तो वादी को न्यायालय आने की आवश्यकता होगी और न ही न्यायाधीश को न्यायालय की भौतिक रूप से अध्यक्षता करने की आवश्यकता होगी । इस प्रकार, कीमती न्यायिक समय और जनशक्ति की बचत होगी ।
➡️ भारत में कहाँ-कहाँ कितनी वर्चुअल कोर्ट-
✒️ 31.01.2025 की स्थिति के अनुसार, 21 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात दिल्ली (2), हरियाणा, चंडीगढ़, गुजरात (2), तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल (2), महाराष्ट्र (2), असम, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर (2), उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड (2), मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और मणिपुर (2) में 28 ऐसी अदालतें हैं ।
➡️ शुल्क जमा करने व जुर्माने की ऑनलाइन व्यवस्था-
ई-फाइलिंग के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप से वाद दायर करने और न्यायालय शुल्क या जुर्माना का pay.ecourts.gov.in के माध्यम से वादी को ऑनलाइन भुगतान करने की सुविधा प्रदान की गयी है । वादीगण, वाद की स्थिति को सेवा वितरण के लिए बनाए गए विभिन्न चैनलों के माध्यम से ऑनलाइन भी देख सकते हैं, घर पर बैठे ही की गई इस व्यवस्था के जरिये 28 आभासी अदालतों द्वारा 6.66 करोड़ (6,66,66,437) से अधिक की सुनवाई की गई और 31.1.2025 तक 68 लाख (68,71,911) से अधिक मामलों में Rs. 714.99 करोड़ रुपए से अधिक का ऑनलाइन जुर्माने की वसूली की गई है ।
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इस प्रकार वर्चुअल कोर्ट (Virtual Court) एक ऐसा न्यायिक प्रक्रिया है जिसमें अदालत की कार्यवाही, जैसे सुनवाई और फैसले, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर की जाती है। इसमें वादी या वकील को भौतिक रूप से अदालत में उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या अन्य ऑनलाइन माध्यमों से कार्यवाही में भाग लेते हैं.
➡️ वर्चुअल कोर्ट के मुख्य पहलू:
✒️ ऑनलाइन कार्यवाही:
वर्चुअल कोर्ट में, सभी न्यायिक कार्यवाही, जैसे कि सुनवाई, बहस, और फैसले, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होते हैं.
✒️ भौतिक उपस्थिति की अनुपस्थिति:
इसमें वादी, वकील, और न्यायाधीश, सभी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होती है.
✒️ सुविधा और पहुंच:
वर्चुअल कोर्ट न्याय तक पहुंच को आसान बनाता है, खासकर उन लोगों के लिए जो दूरदराज के क्षेत्रों में रहते हैं या जिन्हें अदालत में उपस्थित होने में कठिनाई होती है.
✒️ पारदर्शिता:
वर्चुअल कोर्ट अदालती कार्यवाही में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, क्योंकि सभी पक्ष कार्यवाही की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं.
✒️ समय और लागत की बचत:
यह समय और यात्रा लागत को कम करता है, जिससे वादी और अदालत दोनों के लिए सुविधा होती है.
✒️ 24/7 उपलब्धता:
कुछ वर्चुअल कोर्ट 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध होते हैं, जिससे न्याय तक पहुंच और भी आसान हो जाती है.
✒️ उदाहरण:
ई-चालान, या ऑनलाइन ट्रैफिक चालान का भुगतान, एक ऐसा मामला है जिसे अक्सर वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से निपटाया जाता है.
✒️ वर्चुअल कोर्ट का उपयोग:
वर्चुअल कोर्ट का उपयोग विभिन्न प्रकार के मामलों के लिए किया जा सकता है, जैसे:
🌑 ट्रैफिक चालान का निपटान.
🌑 छोटे-मोटे दीवानी और आपराधिक मामलों का निपटान.
🌑 विभिन्न कानूनी दस्तावेजों का ऑनलाइन जमा करना.
🌑 अदालती कार्यवाही के बारे में जानकारी प्राप्त करना.
किन्तु जैसा कि हर कार्य के दो पहलू होते हैं एक अच्छा और एक बुरा, तो यहाँ भी वर्चुअल कोर्ट की व्यवस्था के भी दो रूप उभरकर सामने आ रहे हैं. जहाँ कोर्ट में भौतिक उपस्थिति के समय अधिवक्ता और दोनों पक्ष अनुशासन में रहते हुए कोर्ट की कार्यवाही में सम्मिलित होते हैं वहीं वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई के समय अधिवक्ता और दोनों पक्षों का गैर जिम्मेदाराना रवैया नजर आ रहा है जिसके कुछ प्रमुख उदाहरण निम्न हैं -
1️⃣- कोर्ट की कार्यवाही वर्चुअल अवधारणा में ऑनलाइन होती है, जो वीडियो में साफ दिखाई देती है. 20 जून 2025 के वीडियो में साफ दिखाई देता है कि संबंधित व्यक्ति ब्लूटूथ इयरफोन लगाए हुए वर्चुअल सुनवाई में भाग ले रहा था. लेकिन जैसे ही उसने कैमरा थोड़ा ठीक किया, यह स्पष्ट हो गया कि वह व्यक्ति शौचालय में बैठा हुआ है. कोर्ट रिकॉर्ड के अनुसार, यह व्यक्ति उस मामले में प्रतिवादी था जिसमें एफआईआर को रद्द करने की याचिका दायर की गई थी. दिलचस्प बात यह भी है कि वही व्यक्ति इस केस का मूल शिकायतकर्ता भी था. मामले की सुनवाई के अंत में कोर्ट ने इसे सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया और एफआईआर रद्द कर दी. लेकिन व्यक्ति का यह शर्मनाक आचरण चर्चा का विषय बन गया.
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2️⃣- यह पहली बार नहीं है जब वर्चुअल कोर्ट की कार्यवाही के दौरान इस तरह की अनुशासनहीनता सामने आई है. इससे पहले अप्रैल में गुजरात हाईकोर्ट ने एक अन्य व्यक्ति पर वर्चुअल सुनवाई के दौरान सिगरेट पीने के लिए ₹50,000 का जुर्माना लगाया था. वहीं मार्च में दिल्ली की एक अदालत में भी इसी प्रकार की एक और गैर-जिम्मेदार घटना दर्ज की गई थी.
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3️⃣-गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) में मंगलवार को सुनवाई चल रही थी और एडवोकेट भास्कर तन्ना वर्चुअली हियरिंग ज्वाइन किए हुए थे. इस दौरान उनका लाइव वीडियो चैट का ऑप्शन खुला हुआ था और उन्होंने इस दौरान बीयर पीने के साथ फोन पर बातचीत भी की. कोर्ट ने इसे 'अपमानजनक और भयावह' आचरण करार देते हुए स्वतः संज्ञान लिया और अवमानना कार्यवाही शुरू की.
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4️⃣-दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला वकील को पार्क से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने पर फटकार लगाते हुए एक बार फिर राजधानी के सभी बार संघों से आग्रह किया कि वे अपने सदस्यों को अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के शिष्टाचार के प्रति जागरूक करें। जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि COVID-19 महामारी के दौरान वकीलों की सुविधा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा शुरू की गई थी ताकि वे अपने कार्यालय से ही अदालत में पेश हो सकें लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वे पार्क में खड़े होकर पेश हों।
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वर्चुअल कोर्ट की मर्यादा को लेकर कोर्ट गंभीर हैं और कोर्ट का मानना है कि वर्चुअल कोर्ट में भी अधिवक्ताओं और वादी-प्रतिवादी गण का कोर्ट की मर्यादा के अनुरूप आचरण हो.गुजरात हाईकोर्ट ने अभी हाल ही में वकीलों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सुनवाई के लिए निर्धारित गाउन पहने बिना पेश होने पर कड़ी आपत्ति जताई है। गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस एम.के. ठक्कर की पीठ ने कहा-
" कि वकीलों के लिए कोर्टरूम की मर्यादा बनाए रखना और पेशेवर ड्रेस कोड का पालन करना अनिवार्य है भले ही वे वर्चुअल पेशी कर रहे हों। कोर्ट ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वर्चुअल उपस्थिति कोर्टरूम में शारीरिक उपस्थिति के बराबर है। इसे उसी स्तर की औपचारिकता के साथ माना जाना चाहिए।"
इसलिए अधिवक्ताओं और मामले के पक्षकारों को यह समझना होगा कि आपको भौतिक कोर्ट में उपस्थिति में माफ़ी दी जा रही है किन्तु आप कोर्ट के सामने हैं भले ही ऑनलाइन हैं, ऐसे में अपने चेम्बर या घर पर रहकर भी आपको मर्यादित आचरण करना होगा, अन्यथा कोर्ट अमर्यादित आचरण को कोर्ट की अवमानना मे ही लेकर क़ानून के अनुरूप कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र होगी.
धन्यवाद 🙏🙏
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )
वर्चुअल कोर्ट को कोर्ट ही समझना होगा, सार्थक कानूनी जानकारी के लिए आभार 🙏🙏
जवाब देंहटाएंपोस्ट के मर्म को समझने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
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