मूल अधिकार
मानव जीवन में अधिकारों का बहुत महत्व है ओर यदि वे देश के सर्वोच्च कानून ''संविधान ''द्वारा मिले हों तो उनका महत्व कई गुना बढ़ जाता है. संविधान के भाग ३ को भारत का अधिकार पत्र [megna carta ]कहा जाता है .[megna carta ] इसलिए कि ये इंग्लेंड के संविधान से ग्रहण किये गए हैं. [megna carta ]इंग्लेंड का अधिकार पत्र है.इस अधिकार पत्र द्वारा ही अंग्रेजों ने सन १२१५ में इंग्लेंड के सम्राट जान से नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा प्राप्त की थी.यह अधिकार पत्र मूल अधिकारों से सम्बंधित प्रथम लिखित दस्तावेज है.इस दस्तावेज को मूल अधिकारों का जन्मदाता कहा जाता है .इसके पश्चात् समय-समय पर सम्राट ने अनेक अधिकारों को स्वीकृति प्रदान की .अंत में १६८९ में [bill of rights ]नमक दस्तावेज लिखा गया जिसमे जनता को दिए गए सभी महत्वपूर्ण अधिकारों ओर स्वतंत्रताओं को समाविष्ट कर दिया गया.
भारतीय संविधान अपने में मूल अधिकारों की कोई परिभाषा समाविष्ट नहीं करता क्योंकि उसका उद्देश्य इन्हें समाविष्ट करने का ये था कि एक विधि शासित सरकार की स्थापना हो न कि मनुष्य द्वारा संचालित सरकार कि-''a government of law and not of men .'' अर्थात एक ऐसी सरकार जिसमे बहुसंख्यक अल्पसंख्यक का शोषण न कर सकें.संक्षेप में यदि कहूं तो इसका उद्देश्य प्रोफ़ेसर डायेसी के'' विधि के शासन'' की स्थापना करना है;ओर इस दिशा में भारतीय संविधान संसार के अन्य संविधानों से आगे है.न्यायाधीश सप्रू ने मूल अधिकारों के उद्देश्यों की व्याख्या करते हुए कहा किइन अधिकारों का उद्देश्य न केवल भारत में रहने वाले नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा ओर नागरिकता को समानता प्रदान करना है जिससे कि वे भारत के नवनिर्माण की प्रक्रिया में सहयोग दे सकें वरन यह उद्देश्य भी है कि व्यवहार ,नागरिकता ,न्याय और निष्पक्षता का एक निश्चित मापदंड भी निर्धारित किया जा सके .इनका उद्देश्य यही था कि प्रत्येक नागरिक को इस बात का पूर्ण बोध हो जाये कि संविधान ने विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया है.ओर यह उपबंधित किया है कि इन सभी अधिकारों के सम्बन्ध में समाज के प्रत्येक वर्ग को पूर्ण समानता प्रदान की गयी है.
मूल अधिकारों के विषय में और भी जानकारी लेकर जल्दी ही फिर आऊँगी.आपका सहयोग मेरे लिए सबसे बढ़कर है.बनाये रखियेगा..
भारतीय संविधान अपने में मूल अधिकारों की कोई परिभाषा समाविष्ट नहीं करता क्योंकि उसका उद्देश्य इन्हें समाविष्ट करने का ये था कि एक विधि शासित सरकार की स्थापना हो न कि मनुष्य द्वारा संचालित सरकार कि-''a government of law and not of men .'' अर्थात एक ऐसी सरकार जिसमे बहुसंख्यक अल्पसंख्यक का शोषण न कर सकें.संक्षेप में यदि कहूं तो इसका उद्देश्य प्रोफ़ेसर डायेसी के'' विधि के शासन'' की स्थापना करना है;ओर इस दिशा में भारतीय संविधान संसार के अन्य संविधानों से आगे है.न्यायाधीश सप्रू ने मूल अधिकारों के उद्देश्यों की व्याख्या करते हुए कहा किइन अधिकारों का उद्देश्य न केवल भारत में रहने वाले नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा ओर नागरिकता को समानता प्रदान करना है जिससे कि वे भारत के नवनिर्माण की प्रक्रिया में सहयोग दे सकें वरन यह उद्देश्य भी है कि व्यवहार ,नागरिकता ,न्याय और निष्पक्षता का एक निश्चित मापदंड भी निर्धारित किया जा सके .इनका उद्देश्य यही था कि प्रत्येक नागरिक को इस बात का पूर्ण बोध हो जाये कि संविधान ने विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया है.ओर यह उपबंधित किया है कि इन सभी अधिकारों के सम्बन्ध में समाज के प्रत्येक वर्ग को पूर्ण समानता प्रदान की गयी है.
मूल अधिकारों के विषय में और भी जानकारी लेकर जल्दी ही फिर आऊँगी.आपका सहयोग मेरे लिए सबसे बढ़कर है.बनाये रखियेगा..
bahut jankari bhari post.agli post jald hi lekar aaiyega..
जवाब देंहटाएंलेकिन घर्म के नाम पर कुछ विसेस अधिकार तो है कुछ लोगो के पास हा वो बाद में राजनीती के कारण बदले गए थे | लेकिन आज भी एक आम आदमी को क्या अधिकार मिलेंगे ये तो बहुत कुछ उसके आर्थिक स्थिति और पहुँच पर ही निर्भर होता है | जानकारी भरा लेख आगे भी इंतजार रहेगा |
जवाब देंहटाएंआपके इस ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा.बी.कॉम के बाद मैं भी Law करना चाहता था पर पी जी शायद अपनी किस्मत में ही नहीं है.
जवाब देंहटाएंचलिए अब आपके ब्लॉग से ही कुछ नया जानने को मिलेगा.
सादर
अगर आपको समय मिले तो मेरे ब्लॉग http://www.sirfiraa.blogspot.com और http://www.rksirfiraa.blogspot.comपर अपने ब्लॉग का "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" और "मेरे मित्रों के ब्लॉग" कालम में अवलोकन करें. सभी ब्लोग्गर लेखकों से विन्रम अनुरोध/सुझाव: अगर आप सभी भी अपने पंसदीदा ब्लोगों को अपने ब्लॉग पर एक कालम "सहयोगियों की ब्लॉग सूची" या "मेरे मित्रों के ब्लॉग" आदि के नाम से बनाकर दूसरों के ब्लोगों को प्रदर्शित करें तब अन्य ब्लॉग लेखक/पाठकों को इसकी जानकारी प्राप्त हो जाएगी कि-किस ब्लॉग लेखक ने अपने ब्लॉग पर क्या महत्वपूर्ण सामग्री प्रकाशित की है. इससे पाठकों की संख्या अधिक होगी और सभी ब्लॉग लेखक एक ब्लॉग परिवार के रूप में जुड़ सकेंगे. आप इस सन्दर्भ में अपने विचारों से अवगत कराने की कृपया करें. निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com
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