संपत्ति का अधिकार -४
संपत्ति का अधिकार -४ मूल अधिकार से अंतर - मूल अधिकार व् सामान्य विधिक अधिकार में अंतर यह है कि सामान्य विधिक अधिकार विधान पालिका की कृपा पर व्यक्तियों को सुलभ होते हैं ,मूल अधिकार स्वयं संविधान द्वारा उसी रूप में प्रदत्त होता है .सामान्य विधिक अधिकार विधायकों द्वारा किसी भी समय समाप्त अथवा न्यून किये जा सकते हैं परन्तु मूल अधिकार उनकी पहुँच से उस सीमा तक बाहर रहते हैं ,जिस सीमा तक अथवा जिस विधि से स्वयं संविधान उनकी पहुँच से दूर रहता है .सामान्य विधिक अधिकारों के विपरीत सामान्य न्यायपालिका से ही उपचार प्राप्त हो सकता है परन्तु मूल अधिकार देश की सर्वोच्च विधि संविधान और सर्वोच्च न्यायलय द्वारा सुरक्षित होते हैं . संपत्ति क्या है - संपत्ति शब्द की न्यायालयों ने बड़ी विशद व्याख्या की है .उनके मतानुसार संपत्ति शब्द में वे सभी मान्य हित शामिल हैं जिनमे स्वामित्व से सम्बंधित अधिकारों के चिन्ह या गुण पाए जाते हैं .सामान्य अर्थ में 'संपत्ति' शब्द के अंतर्गत वे सभी प्रकार के हित शामिल हैं जिनका अंतरण किया जा सकता है ;जैसे पट्टेदारी या बन्धकी [कमिश्नर हिन्दू रेल...