कैराना स्थित जनपद न्यायालय ही हो शामली जनपद का मुख्य न्यायालय

 


        2011 में 28 सितंबर को शामली जिले का सृजन किया गया. तब उसमें केवल शामली और कैराना तहसील शामिल थी. इससे पहले शामली और कैराना तहसील मुजफ्फरनगर जनपद के अंतर्गत आती थी. कुछ समय बाद शामली जिले में ऊन तहसील बनने के बाद अब शामली जिले के अंतर्गत तीन तहसील कार्यरत हैं. 2018 के अगस्त तक शामली जिले का कानूनी कार्य मुजफ्फरनगर जिले के अंतर्गत ही कार्यान्वित रहा किन्तु अगस्त 2018 में शामली जिले की कोर्ट शामली जिले में जगह का चयन न हो पाने के कारण कैराना में आ गई और इसे नाम दिया गया -" जिला एवं सत्र न्यायालय शामली स्थित कैराना. "

        2018 से अब तक मतलब मार्च 2022 तक शामली जिले के मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर जिला जज की कोर्ट के लिए जगह का चयन हो जाने के बाद केवल बाउंड्रीवाल का ही निर्माण हो पाया है और शामली जिले में केवल तहसील स्तर का ही कार्य सम्पन्न हो रहा है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि वहां कानूनी विभाग लगभग शून्यता की स्थिति में है और वहां जिला जज की कोर्ट की स्थापना के साथ साथ मुंसिफ कोर्ट से लेकर जिला जज की कोर्ट की स्थापना करने के लिए बहुत बड़े स्तर का कार्य सम्पन्न करना होगा, जबकि शामली जिले की तहसील कैराना में जिला जज की कोर्ट से एक नंबर कम की कही जाने वाली कोर्ट ए डी जे कोर्ट की स्थापना ही 2011 में हो चुकी है और कैराना तहसील में स्थापित न्यायालय परिसर शामली जिले के मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.


      ऐसे में, माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन है कि वे कैराना की सुदृढ़ न्यायिक व्यवस्था, कैराना में फैली अपराधियों की जड़ें और शामली जिले की बदहाल कर देने वाली जाम की समस्या को देखते हुए कैराना में ही जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय को शामली जिले का मुख्य न्यायालय घोषित करें और यदि इसके लिए उन्हें कैराना में न्यायालय परिसर तक के क्षेत्र को शामली जिले के अंतर्गत ही घोषित करना पड़े तो करें क्योंकि शामली जिले में जिस जगह का चयन जिला कोर्ट के लिए किया गया है वहां तक क्षेत्र के निवासियों का पहुंचना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है क्योंकि शामली जिला इतना सघन रूप से बसा हुआ है कि मात्र एक किलोमीटर पार करने में भी 1-2 घण्टे से ऊपर का समय लग रहा है. ऐसे में न्याय पाने के लिए पीड़ितों को या तो रात में ही घर से निकलना पड़ेगा या फिर न्याय पाने की आशा को ही खो देना पड़ेगा. साथ ही, यदि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कैराना स्थित जनपद न्यायालय को मुख्य न्यायालय का दर्जा दिया जाता है तो सरकार का बहुत सारा धन भी बचेगा और कैराना तहसील में लगभग खंडहर पड़े बहुत सारे क्षेत्र का न्यायालय और अधिवक्ताओं के चेम्बर के रूप में इस्तेमाल भी हो सकेगा. 


     अतः माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी कम से कम एक बार जांच कमेटी बिठाकर कैराना स्थित जनपद न्यायालय को ही शामली जिले के मुख्य न्यायालय का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करें. 


           🙏🙏धन्यवाद 🙏🙏


शालिनी कौशिक एडवोकेट


कैराना (शामली) 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मृतक का आश्रित :अनुकम्पा नियुक्ति

वसीयत और मरणोपरांत वसीयत

हिन्दू विधवा पुनर्विवाह बाद भी उत्ताधिकारी