डिजिटल अरेस्ट


 

     जिस तरह से रोज कानूनी ढांचे में सुधार कर अपराध पर नकेल कसने के कार्य किए जा रहे हैं उसी तरह अपराध की दुनिया में नित नए कीर्तिमान रचे जा रहे हैं. अब अपराध की दुनिया भी हाई फाई डिजिटल दुनिया से जुड़ चुकी है और कानून व्यवस्था के छिन्न भिन्न करने में कानून के रखवालों से दो हाथ आगे ही जा रही है. 

      इसी कड़ी में अपराध की दुनिया में एक नए अपराध का आगाज पिछले कुछ समय से हो चुका है जिसका नाम है "डिजिटल अरेस्ट" और आज ही प्राप्त समाचार के अनुसार साइबर जालसाजों ने ग्रेटर नोएडा में तैनात असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर श्री रमेश चंद्र पांडे के बेटे शुभम पांडे को डिजिटल अरेस्ट कर 24 घण्टे में दो बार में 1.07 लाख रुपये ठग लिए। शुभम पांडे के फोन पर सीमा शुल्क विभाग का अधिकारी बताते हुए आरोपियों ने उसे बताया कि तुम्हारे नाम से मलयेशिया कोई पार्सल जा रहा है जिसमें संदिग्ध वस्तु मिलने की बात कहकर शुभम को डरा दिया गया । जिससे डर कर शुभम खुद को निर्दोष बताते हुए बचाव के लिए कहा तो उससे खाते में पैसे ट्रांसफर करा लिए । पीड़ित शुभम की ओर से बुधवार 26 जून रात सूरजपुर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई । 

     एसीपी रमेश चंद्र पांडे ग्रेटर नोएडा में सेक्टर-108 स्थित पुलिस कमिश्नर कार्यालय में तैनात हैं। शिकायत में शुभम पांडे ने बताया कि 16 जून की दोपहर में उसके पास फोन आया। फोन करने वाले ने मुंबई हवाई अड्डे के सीमा शुल्क विभाग से कॉल करने की बात कही। साथ ही कहा कि शुभम पांडे के नाम से एक पार्सल मलयेशिया भेजा जा रहा है। जांच में पार्सल में एटीएम कार्ड, लैपटॉप के साथ ही कुछ संदेह जनक वस्तुएँ भी मिली हैं। साथ ही बताया कि इस तरह का सामान मिलने पर लंबी सजा का प्रावधान है। पार्सल पर शुभम पांडे और फोन नंबर लिखा है। जिसे सुनकर शुभम पांडे डर गया. पार्सल न भेजने की बात पर कॉल करने वाले ने उन्हें पेनल्टी चुकाने को कहा और ऐसा नहीं करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी। इसके बाद शुभम ने बताए गए खाते में दो बार में 1.07 लाख ट्रांसफर कर दिए.

     शुभम पांडे इस समय जिस मानसिक प्रताड़ना के अधीन है उसे ही कानून की भाषा में शब्द दिया गया है - "डिजिटल अरेस्ट" डिजिटल गिरफ्तारी आज एक ऐसी रणनीति के रूप में है जो आधुनिक दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही है, क्योंकि समाज प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग में अधिक शामिल हो रहा है, आज कम्प्यूटर प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन को लगभग सभी क्षेत्रों में इंटरनेट से जोड़ दिया है, जिससे साइबर अपराध में वृद्धि हुई है, साइबर अपराध एक ऐसी तकनीक है जिसने वास्तव में दुनिया भर में पुलिस बल को विशेष चुनौती पेश की है। 

डिजिटल गिरफ़्तारी: वास्तविक व्याख्या में यह शब्द साइबर अपराध या डिजिटल अपराध के किसी भी रूप में संलिप्त व्यक्तियों द्वारा गिरफ़्तार करने के कार्य को व्यक्त करता है। सामान्य गिरफ़्तारी प्रक्रिया जो पुलिस द्वारा इमारतों या सड़कों जैसे भौतिक स्थानों पर, भौतिक रूप से की जाती है, यहां वही गिरफ्तारी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर होती है जिसमें अपराधी अपराध को अंजाम देने और अपनी पहचान को छिपाने के लिए तकनीकी अवसंरचना का उपयोग करते हैं।


डिजिटल गिरफ्तारी से खुद को बचाने के लिए यह करना चाहिए 

1-प्रमाण-पत्र सत्यापित करें: 

 पुलिस की वर्दी पहने या पुलिस अधिकारी की तरह काम करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति की स्वीकार्यता और वैधता की जांच की जानी चाहिए । यह पता लगाने के लिए कि हमें किसी एजेंसी के बारे में सच बताया गया है या नहीं, रिकॉर्ड से एकत्र किए गए सभी अन्य संबंधित संपर्क विवरणों का उपयोग करके और संबंधित विशेष एजेंसी के साथ संचार स्थापित करने का प्रयास करें। 

2-जानकारी रखें:

 सबसे उन्नत पुलिस कवर का पता लगाने के लिए जागरूक रहें. जिसे ज़्यादातर हैकर्स पुलिस बल के रूप में काम करते समय इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। इसलिए यह महसूस किया जाता है कि जागरूकता हमेशा पहला कदम होता है जिससे व्यक्ति या समूह अपनी नींद से बाहर आकर यह महसूस करते हैं कि बदलाव और जानकारी की ज़रूरत है।

3-संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें: 

जब भी किसी को ई-मेल या किसी अन्य प्रकार के संदेश के माध्यम से कोई संदेश प्राप्त हो या किसी ने किसी भी तरह से उसे भेजा हो, जिसके बारे में ऐसा लगता हो कि वह सही नहीं है या किसी घोटाले या उससे मिलते-जुलते किसी अन्य रूप जैसा लगता हो, तो उसे स्थानीय पुलिस या किसी अन्य प्राधिकरण को इसकी रिपोर्ट करनी चाहिए जो साइबर अपराधियों के खिलाफ लड़ सकता हो, अगर और कुछ न भी कर सकें तो स्थानीय थाने से जरूर सम्पर्क करें.

    डिजिटल अरेस्ट से बचने का सबसे जरूरी कदम जागरूकता है. यह ध्यान रखिए कि जब कोई काम आपने किया ही नहीं और कोई भी आपसे कह रहा हैं कि वह काम आपके नाम से हो रहा है तो घबरायें नहीं, धैर्य से मुकाबला करें और कानून और स्थानीय पुलिस की सहायता लें.

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Digital arrest 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

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