मृतक का आश्रित :अनुकम्पा नियुक्ति
अभी लगभग १ वर्ष पूर्व हमारे क्षेत्र के एक व्यक्ति का देहांत हो गया .मृतक सरकारी कर्मचारी था और मरते वक्त उसकी नौकरी की अवधि शेष थी इसलिए मृतक आश्रित का प्रश्न उठा .यूँ तो ,निश्चित रूप से उसकी पत्नी आश्रित की अनुकम्पा पाने की हक़दार थी लेकिन क्योंकि मृतक ने पहले ही वह नौकरी अपने पिता के मृतक आश्रित के रूप में प्राप्त की थी इसलिए मृतक की बहन भी मृतक आश्रित के रूप में आगे आ गयी .मृतक की बहन के मृतक आश्रित के रूप में आगे आने का एक कारण और भी था और वह था इलाहाबाद हाईकोर्ट का ११ फरवरी २०१५ को दिया गया फैसला जिसमे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना था ''परिवार की परिभाषा में भाई-बहन-विधवा माँ भी ". इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित अनुकम्पा नियुक्ति 1974 की व्याख्या करते हुए स्पष्ट किया कि वर्ष २००१ में हुए संशोधन के बाद ''परिवार'' का दायरा बढ़ा दिया गया है .इसके अनुसार यदि मृत कर्मचारी अविवाहित था और भाई-बहन व् विधवा माँ उस पर आश्रित थे तो वह परिवार की परिभाषा में आते हैं .वह अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति पाने के हक़दार हैं . मुख्य न्यायाधीश डॉ.डी.वाई .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (15-09-2013) मातृभाषा का करें सम्मान : चर्चामंच 1369 में "मयंक का कोना" पर भी है!
हिन्दी पखवाड़े की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपनें भारतीय साक्ष्य अधिनियम १८७२ की धारा १२६ का जिक्र किया है जो यह दर्शाती है कि आज भी देश में अंग्रेजी कानूनों के आधार पर ही व्यवस्था चल रही है ! आज वकील न्याय दिलानें के लिए वकालत नहीं करते बल्कि पैसों के लिए सच और झूठ बोलते रहते हैं !
जवाब देंहटाएंmain blog ke ashay aur is pratkriya ka samrthan karata hoon. A.P. Singh ne aur bhee wivadspad byan diye hain isase unkee mansik sthiti ka bhee pata chalata hai ... vibinn chanal par we bahas karte dekhe gaye hain. doosre wakeelon ko jaroor ise sngyan me lena chahaiye.
हटाएंsahmat!
हटाएंकल 16/09/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!