हथकड़ी लगाने पर अब कानून
एक जुलाई से तीन नए कानून लागू किए गए हैं जिन्हें लाने पर हर ओर यह चर्चा है कि अंग्रेजों के जमाने के कानून खत्म हो गए हैं जबकि वास्तविकता बस इतनी भर है कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे आउटडेटेड नियम कायदे हटाए गए हैं और उनकी जगह आज की जरूरत के मुताबिक कानून लाए गए हैं । इसके अलावा पुलिस को कुछ आरोपियों को हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार करने का अधिकार भी प्रदान किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली सरकार मामले में 1980 में फैसला सुनाते हुए हथकड़ी के इस्तेमाल को अनुच्छेद 21 के तहत असंवैधानिक करार दिया था। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि यदि किसी कैदी को हथकड़ी लगाने की जरूरत महसूस होती है तो उसका कारण दर्ज करना होगा और मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी। अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 43 (3) में गिरफ्तारी या अदालत में पेश करते समय कैदी को हथकड़ी लगाने का प्रावधान किया गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 43(3) कहती है कि - "पुलिस अधिकारी अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, किसी ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी करते समय या न्यायालय के समक्ष ऐसे व्यक्ति को पेश करते समय हथकड़ी का प्रयोग कर सकता है, जो अभ्यासिक या आदतन अपराधी है या अभिरक्षा से निकल भागा है या जिसने संगठित अपराध, आतंकवादी कृत्य, औषध सम्बन्धी अपराध, अस्त्र और शस्त्र पर अवैध कब्जे, हत्या, बलात्संग, अम्ल हमला, सिक्कों और करेंसी नोट का कूटकरण, मानव दुर्व्यापार, बच्चों के विरुद्ध अपराध या राज्य के विरुद्ध अपराध कारित किया है. "
इस तरह से नए कानून लागू होने के बाद पुलिस अब कैदियों को हथकड़ी लगा सकेगी और हथकड़ी में ही कोर्ट में पेश कर सकेगी लेकिन यह सब कुछ विशेष मामलों में ही निर्धारित किया गया है. नए कानून लागू होने के बाद यह सब संभव हो सकेगा।
*कब हथकड़ी लगा सकती है पुलिस
*आदतन अपराधी को
*हिरासत से भाग चुके अपराधी को
*संगठित अपराध में शमिल अपराधी को
*आतंकवादी गतिविधि में शामिल अपराधी को
*मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े अपराधी को
*हथियार या गोला बारूद सप्लाई करने वाले अपराधी को
*हत्या, दुष्कर्म, एसिड अटैक के अपराधी को
*नकली करेंसी की सप्लाई में शामिल अपराधी को
*मानव तस्करी में शामिल अपराधी को
*बच्चों के खिलाफ यौन अपराध या फिर राज्य के खिलाफ अपराध में शामिल अपराधी को.
Shalini Kaushik Law Classes
प्रस्तुति
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली)
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