कचहरी को बाजार न बनाया जाए
22 अप्रैल 2022 को सोनीपत कोर्ट परिसर में दिनदहाड़े गवाह वेद प्रकाश की हत्या हो जाती है और कहा जाता है कि हत्यारे पेशेवर नहीं थे, सतर्क होता तो बच सकती थी वेद प्रकाश की जान. ऐसा नहीं है कि न्यायालय परिसर में यह कोई पहली घटना हो. उत्तर प्रदेश में तो ये घटनाएं आम हैं. कभी शाहजहांपुर में अधिवक्ता की हत्या हो जाती है तो कभी गोरखपुर में दुष्कर्म आरोपी की, गाजियाबाद में कचहरी में कड़ी सुरक्षा के बावजूद वाहनों की चोरी हो जाती हैं किन्तु दो चार दिन महीने सुरक्षा मजबूत कर कचहरी फिर वापस लौट आती है लापरवाही की तरफ, किसी अगली घटना के इंतजार में. देखा जाए तो कचहरी न्याय पाने का एक केंद्र है और वहां न्यायाधीशों, वकीलों, मुन्शी, न्यायालयों के कर्मचारियों, स्टाम्प वेंडर्स, बैनामा लेखकों आदि न्यायालय कार्य करने वाले और वकीलों के कार्य करने वालों का और कचहरी में आने जाने वालों के चाय नाश्ते आदि का प्रबंध करने वालों का होना एक अनिवार्य आवश्यकता है किन्तु कचहरी में भीख मांगने वालों का आना, मेवे आदि बेचने वालों का आना, कान साफ करने वालों का आना कचहरी को सामान्...