होटलों को रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस दिखाना होगा -सुप्रीम कोर्ट

खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर नाम लिखने के मामले में नई रणनीति अपनाते हुए दुकानों पर दुकानदारों के नाम लिखने के बजाय दुकान का नाम लिखे जाने के आदेश पारित किये गए। जिस संबंध में व्यक्तिगत तौर पर जानने के लिए एप से जानकारी प्राप्त करने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) ने प्रपत्र जारी किया.

 पहले प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग की दुकानों पर दुकानदार के नाम लिखने की बात कही गई किन्तु एफएसडीए के एक्ट में इसका कोई प्रावधान न मिलने पर विभाग ने नई रणनीति अपनाते हुए ग्राहक संतुष्टि फीडबैक प्रपत्र तैयार किया और तैयार प्रपत्र को हर दुकानदार को अपनी दुकान पर लगाना अनिवार्य कर दिया .इस प्रपत्र में टोल फ्री नंबर और फूड सेफ्टी कनेक्ट एप के तहत क्यूआर कोड लगा था। क्यू आर कोड को स्कैन करते ही ग्राहक इस पर पूरा विवरण देख सकते हैँ। QR कोड को स्कैन करते ही दुकानदार के नाम से ही अन्य सभी विवरण भी सामने आ जाने थे.

    उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजन विक्रेताओं को अपने बैनरों पर QR Code स्टिकर प्रदर्शित करने के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दायर किया गया। जिसमें आवेदक प्रोफेसर अपूर्वानंद और एक्टिविस्ट आकार पटेल का तर्क था कि न्यायालय के आदेश को दरकिनार करने के लिए सरकारी अधिकारियों द्वारा नए निर्देश जारी कर एक प्रपत्र जारी किया गया जिसमें कांवड़ मार्ग पर सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य कर दिया गया, जिसे स्कैन करके काँवड़िये मालिकों के नाम जान सकते हैं। आवेदकों द्वारा इन निर्देशों को धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए माना गया। ये आवेदन 2024 में दायर रिट याचिकाओं में दायर किए गए थे, जिनमें मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के पिछले साल के निर्देशों को चुनौती दी गई थी। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और एनजीओ एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स अन्य याचिकाकर्ता थे। 

याचिका में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में कांवड़ यात्रा मार्गों पर खाद्य विक्रेताओं /रेस्टोरेंट, ढाबा आदि के स्वामित्व/कर्मचारी की पहचान सार्वजनिक करने संबंधी सभी निर्देशों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। जिसमें तर्क दिया गया था कि ये निर्देश पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के विपरीत हैं, जिसमें कहा गया कि विक्रेताओं को अपनी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

  याचिका में सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 जुलाई की तिथि नियत की गई, महाशिवरात्रि पर्व 23 जुलाई को है ऐसे में अब वर्ष 2025 में कांवड़ यात्रा पूरी होने जा रही है, जिसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (22 जुलाई) को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकारियों द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को QR Code दिखाने के लिए जारी किए गए निर्देशों की वैधता पर विचार करने से इनकार कर दिया। QR Code प्रदर्शित करने से काँवड़ियों /तीर्थयात्रियों को मालिकों का विवरण पता चल सकेगा। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ ने अधिकारियों द्वारा जारी आदेश को चुनौती देने वाली अंतरिम याचिकाओं का निपटारा किया। साथ ही,खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि

" विक्रेताओं को कानून के अनुसार अपने लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदर्शित करने होंगे।"

खंडपीठ ने आदेश में कहा, 

"हमें बताया गया कि आज यात्रा का अंतिम दिन है। किसी भी स्थिति में निकट भविष्य में इसके समाप्त होने की संभावना है। इसलिए इस समय हम केवल यह आदेश पारित करेंगे कि सभी संबंधित होटल मालिक वैधानिक आवश्यकताओं के अनुसार लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिखाने के आदेश का पालन करें। हम स्पष्ट करते हैं कि हम अन्य मुद्दों पर विचार नहीं कर रहे हैं। आवेदन बंद किया जाता है।" 

Cases : APOORVANAND JHA AND ANR. v. UNION OF INDIA W.P.(Crl.) No. 328/2024 | ASSOCIATION FOR PROTECTION OF CIVIL RIGHTS (APCR) v. STATE OF UTTAR PRADESH & ORS.W.P.(C) No. 463/2024 | MAHUA MOITRA v. UNION OF INDIA & ORS W.P.(C) No. 488/2024 and connected matters.

आभार 🙏👇



प्रस्तुति 

शालिनी कौशिक 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )

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