समता का अधिकार -२
अब आगे मैं आपको बता रही हूँ कि ये अधिकार भारत के नागरिकों व् अनागरिकों दोनों को प्राप्त है. इस प्रकार भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह भारत का नागरिक हो या नहीं ,समान विधि के अधीन होगा और उसे विधि का समान संरक्षण प्रदान किया जायेगा.इसके विपरीत अनु.१५,१६,१७,१८ आदि के उपबंधों का लाभ केवल''नागरिकों ''को प्राप्त है.साथ ही इसके अंतर्गत विधिक व्यक्ति भी सम्मिलित हैं.चिरंजीत लाल बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अनु.१४ में प्रयुक्त ''व्यक्ति ''शब्द के अंतर्गत विधिक व्यक्ति भी सम्मिलित है.अतः एक निगम जो कि ''विधिक व्यक्ति''है को भी विधि के समक्ष समता का अधिकार उपलब्ध है.
नैसर्गिक न्याय का सिद्धांत अनु.१४ में निहित है-
अपने एतिहासिक महत्व के निर्णय ''सेंट्रल इनलैंड वाटर ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन बनाम ब्रजोनाथ गांगुली में उच्चतम न्यायलय ने कहा-''कोई सेवा नियम जो स्थाई कर्मचारियों को बिना कारण बताये ३ माह की नोटिस या उसके बदले में ३ माह का वेतन देकर सेवा समाप्ति की शक्ति प्रदान करता है वह संविदा अधिनियम की धारा २३ के अधीन लोकनीति[PUBLIC POLICY ]के विरुद्ध होने के कारण तथा विवेक शून्य और मनमानी शक्ति प्रदान करने के कारण अनु.१४ का उल्लंघन करता है अतः अवैध है.
मनमाने कार्य से नागरिक की क्षति -राज्य नुकसानी के लिए दाई
लखनऊ विकास प्राधिकारी बनाम ए.के.गुप्ता के महत्वपूर्ण मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि राज्य द्वारा या उसके सेवकों द्वारा मनमाने ढंग से कार्य करने से किसी नागरिक को कोई हानि पहुँचती है तो राज्य उसे नुकसानी देने के लिए दायी होगा.
बंद का आयोजन अवैध और असंवैधानिक है-
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी [मार्क्सवादी]बनाम भारत कुमार और अन्य के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा बंद का आयोजन करना असंवैधानिक और अवैध है .
समान कार्य के लिए समान वेतन
रंधीर सिंह बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा ''यद्धयपि समान कार्य के लिए समान वेतन एक मूल अधिकार नहीं है किन्तु अनु.१४,१६,और ३९ग़ के अधीन निश्चित यह एक संवैधानिक लक्ष्य है और यदि दो व्यक्तियों के बीच इस मामले में विभेद किया जाता है जिसका कोई ठोस आधार नहीं है तो इससे अनु.१४ का अतिक्रमण होता है .
अनु.में बहुत कुछ है सभी कुछ मेरे जैसे अल्पज्ञानी आपको नहीं बता सकते हैं आप का यदि कोई प्रश्न है तो अवश्य पूछें मैं जहाँ तक संभव होगा आपके प्रश्न का उत्तर दूँगी.
UPYOGI JANKARI .AABHAR
जवाब देंहटाएंआपने बताया है की बंद का आहवान करना असवैधानिक है , तो क्या बंद का एलन करने वाली पार्टी के खिलाफ ,चुनोती दी जा सकती है |
जवाब देंहटाएंtarun ji maine jo case isme bataya hai usme s.c. ne keral uchchnyayalaya ke nirnay kee pushti kee thi jisme keral uchchnyayalayane kaha tha''yaddhyapi isko rokne ke liye koi kanon nahi banaya gaya hai kintu anu.226 ke adheen nyayalaya ko nagrikon ke mool adhikaron kee sanraksha karne kee shakti prapt hai .anu.19[1]a me pradatt bhashan v abhivyakti keeswatantrta ke antargat kisi bhi rajneetik dal ko band ka aahwan karne ka adhikar prapt nahi hai.''kyonki band se nagrikon me manovaigyanik bhay vyapt ho jata hai jiske karan ve apne mool adhikaron ka prayog karne se vanchit ho jate hain isliye aisa aahvan karne vali party ke khilaf chaunti dee ja sakti hai.
जवाब देंहटाएंthanks to coming my blog.
आनने अपने बारे में जो जानकारी दी है, उससे मैं अभिभूत हूं
जवाब देंहटाएंदोस्तों, क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना.........
जवाब देंहटाएंभारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से (http://sach-ka-saamana.blogspot.com/2011/04/blog-post_29.html )
काफी उपयोगी जानकारी। शालिनी जी मैने आपसे एक बार विनती की थी, कि अगर आप ट्रान्सपोर्ट से संबंधित कोइ भी कानूनी जानकारी, शिप इंस्योरेंस आदि की जानकरी मेरे इस ब्लाग http://logtpt.blogsopt.com
जवाब देंहटाएंपर शेयर करेंगी तो बेहतर रहेगा।
aasheesh ji main itni badi nahi hoon ki aap mujhse vinti karen main yatha shakti gyan ke anusar in kanoon ke bare me jankari aapke blog se zaroor sheyar karoongi .it will be my pleasure.
जवाब देंहटाएंजी मैनें अपने ब्लाग पर आपको लेखक के रुप मे आमंत्रित किया हैं।
जवाब देंहटाएंthanks aasheesh ji
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.
जवाब देंहटाएंप्रिय दोस्तों! क्षमा करें.कुछ निजी कारणों से आपकी पोस्ट/सारी पोस्टों का पढने का फ़िलहाल समय नहीं हैं,क्योंकि 20 मई से मेरी तपस्या शुरू हो रही है.तब कुछ समय मिला तो आपकी पोस्ट जरुर पढूंगा.फ़िलहाल आपके पास समय हो तो नीचे भेजे लिंकों को पढ़कर मेरी विचारधारा समझने की कोशिश करें.
जवाब देंहटाएंदोस्तों,क्या सबसे बकवास पोस्ट पर टिप्पणी करोंगे. मत करना,वरना......... भारत देश के किसी थाने में आपके खिलाफ फर्जी देशद्रोह या किसी अन्य धारा के तहत केस दर्ज हो जायेगा. क्या कहा आपको डर नहीं लगता? फिर दिखाओ सब अपनी-अपनी हिम्मत का नमूना और यह रहा उसका लिंक प्यार करने वाले जीते हैं शान से, मरते हैं शान से
श्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी लगाये है.इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है.मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
क्या ब्लॉगर मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं अगर मुझे थोडा-सा साथ(धर्म और जाति से ऊपर उठकर"इंसानियत" के फर्ज के चलते ब्लॉगर भाइयों का ही)और तकनीकी जानकारी मिल जाए तो मैं इन भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति देने को भी तैयार हूँ.
अगर आप चाहे तो मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना सहयोग कर सकते हैं. आप द्वारा दी दो आँखों से दो व्यक्तियों को रोशनी मिलती हैं. क्या आप किन्ही दो व्यक्तियों को रोशनी देना चाहेंगे? नेत्रदान आप करें और दूसरों को भी प्रेरित करें क्या है आपकी नेत्रदान पर विचारधारा?
यह टी.आर.पी जो संस्थाएं तय करती हैं, वे उन्हीं व्यावसायिक घरानों के दिमाग की उपज हैं. जो प्रत्यक्ष तौर पर मनुष्य का शोषण करती हैं. इस लिहाज से टी.वी. चैनल भी परोक्ष रूप से जनता के शोषण के हथियार हैं, वैसे ही जैसे ज्यादातर बड़े अखबार. ये प्रसार माध्यम हैं जो विकृत होकर कंपनियों और रसूखवाले लोगों की गतिविधियों को समाचार बनाकर परोस रहे हैं.? कोशिश करें-तब ब्लाग भी "मीडिया" बन सकता है क्या है आपकी विचारधारा?
समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत को एक प्रकार से मूल अधिकार मान लिया गया है,संविधान के अनुच्छेद 14 ,16 ,एवं 39 को मिला कर पढ़ने पर इसको मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है, एवं अनुच्छेद 32 के तहत उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय राज्य के विरूद्ध समूचित रिट जारी कर सकता है। निम्न बिन्दू के समान होने से समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत लागू होगा 1. भर्ती के स्रोत/ विज्ञापन 2 न्यूनतम शैक्षणकि योग्यता 3 कार्य की प्रकृति 4 उत्तरदायित्व 4 विश्वसनीयता 5 गोपनीयता 6 कार्य के घंटे 7 मूल्यांकन क्षमता इत्यादि के एक जैसे होने से समान कार्य के लिए समान वेतन की पात्रता होगी ?
जवाब देंहटाएंसमान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत को एक प्रकार से मूल अधिकार मान लिया गया है,संविधान के अनुच्छेद 14 ,16 ,एवं 39 को मिला कर पढ़ने पर इसको मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है, एवं अनुच्छेद 32 के तहत उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय राज्य के विरूद्ध समूचित रिट जारी कर सकता है। निम्न बिन्दू के समान होने से समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत लागू होगा 1. भर्ती के स्रोत/ विज्ञापन 2 न्यूनतम शैक्षणकि योग्यता 3 कार्य की प्रकृति 4 उत्तरदायित्व 4 विश्वसनीयता 5 गोपनीयता 6 कार्य के घंटे 7 मूल्यांकन क्षमता इत्यादि के एक जैसे होने से समान कार्य के लिए समान वेतन की पात्रता होगी ?
जवाब देंहटाएंसमान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत को एक प्रकार से मूल अधिकार मान लिया गया है,संविधान के अनुच्छेद 14 ,16 ,एवं 39 को मिला कर पढ़ने पर इसको मूल अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है, एवं अनुच्छेद 32 के तहत उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय राज्य के विरूद्ध समूचित रिट जारी कर सकता है। निम्न बिन्दू के समान होने से समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत लागू होगा 1. भर्ती के स्रोत/ विज्ञापन 2 न्यूनतम शैक्षणकि योग्यता 3 कार्य की प्रकृति 4 उत्तरदायित्व 4 विश्वसनीयता 5 गोपनीयता 6 कार्य के घंटे 7 मूल्यांकन क्षमता इत्यादि के एक जैसे होने से समान कार्य के लिए समान वेतन की पात्रता होगी ?
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