एक सामान्य सोच है कि यदि हिन्दू विधवा ने पुनर्विवाह कर लिया है तो वह अपने पूर्व पति की संपत्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं कर सकती है किन्तु हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम कहता है कि यदि विधवा ने पुनर्विवाह कर लिया है तब भी वह उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति से निर्निहित नहीं हो सकती है .इन द मैटर ऑफ़ गुड्स ऑफ़ लेट घनश्याम दास सोनी ,2007 वी.एन.एस. 113 [इलाहाबाद] में कहा गया है कि विधवा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की प्रथम अनुसूची में प्रथम श्रेणी के वारिस के रूप में अपने पति की परिसम्पत्तियों और प्रत्ययों के प्रशासन-पत्र की हक़दार है और विधवा के इसी अधिकार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने उपरोक्त मामले में निर्णीत किया है . मोटर वेहिकल एक्ट 1988 की धारा 166 कहती है - केंद्र सरकार अधिनियम मोटर वाहन अधिनियम, 1 9 88 में धारा 166 166. मुआवजे के लिए आवेदन.- (1) धारा 165 की उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकृति के दुर्घटना से उत्पन्न होने वाली मुआवजे के लिए आवेदन किया जा सकता है- (ए) उस व्यक्ति द्वारा जिसने चोट कायम रखी ...
very well written
जवाब देंहटाएंShalini ji ka prayas bahut hie sarahniya hai. andhe ko kya chahiye matra dou ankhen,vo chahe Ser ho ya hiran, jan-jan ko ye gyan tou hona hie chahiye,ki vakiel ko jeet haar se matlab nahi use tou sirf fee chahiye,parantu shalini ji ko fee se matlab nahi.unko matr gyan va gyan ka Daan chahiye.jo birlon men ek hai.
जवाब देंहटाएंShalini ji ka prayas bahut hie sarahniya hai. andhe ko kya chahiye matra dou ankhen,vo chahe Ser ho ya hiran, jan-jan ko ye gyan tou hona hie chahiye,ki vakiel ko jeet haar se matlab nahi use tou sirf fee chahiye,parantu shalini ji ko fee se matlab nahi.unko matr gyan va gyan ka Daan chahiye.jo birlon men ek hai.
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