ये भी बलात्कार है -धारा ३७५ [४]

सहमत‌ि से संबंध रेप नहीं

शादी के नाम पर सहमत‌ि से बने शारीरिक संबंध रेप नहीं

 भारतीय दंड संहिता की धारा ३७५ की ६ भांति की परिस्थितियों में से चौथी में कहा गया है कि वह पुरुष बलात्संग करता है -
*जो उस स्त्री की सम्मति से ,जबकि वह पुरुष यह जानता है कि वह उस स्त्री का पति नहीं है और उस स्त्री ने सम्मति इसलिए दी है कि वह यह विश्वास करती है कि वह ऐसा पुरुष है जिससे वह विधि पूर्वक विवाहित है या विवाहित होने का विश्वास करती है ;
और यहाँ अदालत ने लगभग ऐसे ही मामले में शादी के नाम पर सहमति से बने शारीरिक संबंधों को रेप नहीं माना .आखिर क्यूँ अदालत हर बार लिखी लिखाई परिभाषा में ही उलझकर रह जाती है और उसका परिणाम यह होता है कि अपराधी उसका लाभ उठाकर आसानी से छूट जाता है .सब जानते हैं कि लड़कियां भोली होती हैं और उन्हें बहकाना या बहलाना आसान होता है ऐसे में इस परिभाषा में यह भी यदि यह भी सम्मिलित माना जाये कि विवाह का झांसा देकर सहमति से बनाये गए सम्बन्ध रेप हैं तो यह कानूनी रूप से न्याय के अंतर्गत ही आएगा क्योंकि एक हद तक ये सच्चाई भी है और न्याय के लिए आवश्यक भी .वैसे भी पुरुष सत्तात्मक समाज में पुरुष के लिए विवाह किये जाने का नाटक करना कोई मुश्किल नहीं है और लड़कियों का उसके भुलावे में आकर ऐसे सम्बन्ध के लिए सहमति देना .ऐसे में ये न्याय की मांग है कि न्यायालय अपने निर्णय का पुनर्विलोकन करे .

शालिनी कौशिक
[कानूनी ज्ञान ]

टिप्पणियाँ

  1. प्रासंगिक एवं सार्वकालिक मुद्दा उठाया है आपने झांसा आखिर झांसा ही समझा जाना चाहिए जबतक की उसे अन्यथा न सिद्ध कर दिया जाए।

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  2. ..........ऐसे में इस परिभाषा में यह भी यदि यह भी सम्मिलित माना जाये कि विवाह का झांसा देकर सहमति से बनाये गए सम्बन्ध रेप होगा यदि वह उस लड़की से शादी न करे ........होना चाहिए ...
    नौ रसों की जिंदगी !

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