अनुच्छेद ३७० पर कब तक बेवकूफ बनाएगी भाजपा
भाजपा एक बार फिर ३७० को हटाने की बात कह रही है .बार बार इस मुद्दे को उठाकर वह भोली-भाली जनता का बेवकूफ तो बना सकती है किन्तु जो इस सम्बन्ध में जानकारी रखते हैं उनका बेवकूफ व् कैसे बना रही है यह समझ में नहीं आता .जम्मू कश्मीर को हमारे संविधान में अनुच्छेद ३७० द्वारा विशेष दर्जा दिया गया है और यह दर्जा भाजपा चाहकर भी ख़त्म नहीं कर सकती क्योंकि वास्तविकता यह है -
जिसके बारे में विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार स्थिति ये है -
Amendment of Article 370[edit]
Under Article 370(3), consent of state legislature and the constituent assembly of the state are also required to amend Article 370. Now the question arises, how can we amend Article 370 when the Constituent Assembly of the state no longer exists? Or whether it can be amended at all? Some jurists say it can be amended by an amendment Act under Article 368 of the Constitution and the amendment extended under Article 370(1). But it is still a mooted question .
अर्थात अनु .370 [3] के अनुसार -
-इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी ,राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा घोषणा कर सकेगा कि यह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपानतरनो सहित ही और ऐसी तारीख से ,जो विनिर्दिष्ट करें ,प्रवर्तन में रहेगा .
परन्तु राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना जारी किये जाने से पहले खंड[२] में निर्दिष्ट उस राज्य की संविधान सभा की सिफारिश आवश्यक होगी .
.और खंड [२] कहता है -
*[२] यदि खंड [१] के उपखंड [ख] के पैरा [२] में या उस खंड के उपखंड [घ] के दूसरे परन्तुक में निर्दिष्ट उस राज्य की सरकार की सहमति ,उस राज्य का संविधान बनाने के प्रयोजन के लिए संविधान सभा के बुलाये जाने से पहले दी जाये तो उसे ऐसी संविधान सभा के समक्ष ऐसे विनिश्चय के लिए रखा जायेगा जो वह उस पर करे .
और जहाँ तक वहां की संविधान सभा की बात है तो १ मई १९५१ को जम्मू कश्मीर के लिए पृथक संविधान सभा बनाने की उद्घोषणा युवराज कर्ण सिंह ने की जो ३१ अक्टूबर १९५१ को अस्तित्व में आई और 21 अगस्त 1952 को उसने युवराज कर्ण सिंह को सदर-ए- रियासत के रूप में निर्वाचित किया .इस प्रकार जम्मू-कश्मीर राज्य में राजाओं का शासन समाप्त हो गया और राज्य का प्रधान निर्वाचित व्यक्ति होने लगा .संविधान सभा के गठन के उपरांत ४० हज़ार की आबादी पर एक चुनाव क्षेत्र बना .७५ चुनाव क्षेत्रों से ७५ प्रतिनिधि आये इनमे ७३ पर शेख की नॅशनल कॉन्फ्रेंस निर्विरोध जीती तथा दो पर उसने चुनाव जीते २४ सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित छोड़ी गयी जो अभी तक नहीं भरी जा सकी हैं .
और जहाँ तक वहां की संविधान सभा की बात है तो १ मई १९५१ को जम्मू कश्मीर के लिए पृथक संविधान सभा बनाने की उद्घोषणा युवराज कर्ण सिंह ने की जो ३१ अक्टूबर १९५१ को अस्तित्व में आई और 21 अगस्त 1952 को उसने युवराज कर्ण सिंह को सदर-ए- रियासत के रूप में निर्वाचित किया .इस प्रकार जम्मू-कश्मीर राज्य में राजाओं का शासन समाप्त हो गया और राज्य का प्रधान निर्वाचित व्यक्ति होने लगा .संविधान सभा के गठन के उपरांत ४० हज़ार की आबादी पर एक चुनाव क्षेत्र बना .७५ चुनाव क्षेत्रों से ७५ प्रतिनिधि आये इनमे ७३ पर शेख की नॅशनल कॉन्फ्रेंस निर्विरोध जीती तथा दो पर उसने चुनाव जीते २४ सीटें पाक अधिकृत कश्मीर के लिए सुरक्षित छोड़ी गयी जो अभी तक नहीं भरी जा सकी हैं .
वहां की तत्कालीन संविधान सभा के सदस्यों की सूची निम्नलिखित है -
Members of J&K Constituent Assembly
Members of J&K Constituent Assembly
S.No. | Members | Constituency |
1. | Maulana Mohammad Sayeed | Masudi Amira Kadal |
2. | Sheikh Mohammed Abdullah | Hazratbal |
3. | Bakshi Ghulam Mohammed | Safa Kadal |
4 | Mirza Mohammed Afzal Beg | Anantnag |
5 | Girdhari Lal Dogra | Jasmergarh |
6 | Sham Lal Saraf Habba | Kadal |
7 | Abdul Aziz Shawl | Rajouri |
8 | Abdul Gani Trali | Rajpora |
9 | Abdul Gani Goni | Bhalesa |
10 | Syed Abdul Qadus | Biruwa |
11 | Bakshi Abdul Rashid | Charar-i-Sharief |
12 | Abdul Kabir Khan | Bandipora (Gurez) |
13 | Abdul Khaliq | Saniwara |
14 | Syed Allaudin Gilani | Handwara |
15 | Assad Ullah | Mir Ramban |
16 | Bhagat Ram Lander | Tikri |
17 | Bhagat Chhajju Ram | Ranbirsinghpora |
18 | Sardar Chela Singh | Chhamb |
19 | Chuni Lal Kotwal | Bhaderwah |
20 | Durga Prashad Dhar | Kulgam |
21 | Ghulam Ahmad Mir | Dachinpara |
22 | Master Ghulam Ahmed | Haveli |
23 | Ghulam Ahmad Dev | Doda |
24 | Pirzada Ghulam Gilani | Pampore |
25 | Ghulam Hassan Khan | Narwah |
26 | Ghulam Hassan Bhat | Nandi |
27 | Ghulam Hassan Malik | Devasar |
28 | Pir Ghulam Mohammad Masoodi | Tral |
29 | Ghulam Mohammad Sadiq | Tankipora |
30 | Mirza Ghulam Mohammad Beg | Naubag Brang Valley |
31 | Ghulam Mohammad Butt | Pattan |
32 | Ghulam Mohi-ud-Din Khan | Khansahib |
33 | Ghulam Mohi-ud-Din Hamdani | Khanyar |
34 | Mirwaiz Ghulam Nabi Hamdani | Zaddibal |
35 | Ghulam Nabi Wani | Darihgam |
36 | Ghulam Nabi Wani | Lolab |
37 | Ghulam Qadir Bhat | Kangan |
38 | Ghulam Qadir Masala | Drugmulla |
39 | Ghulam Rasool Sheikh | Shopian |
40 | Ghulam Rasool Kar | Hamal |
41 | Ghulam Rasool Kraipak | Kishtwar |
42 | Hakim Habibullah Khan | Sopore |
43 | Hem Raj Jandial | Ramnagar |
44 | Sardar Harbans Singh Azad | Baramulla |
45 | Syed Ibrahim Shah | Kargil |
46 | Ishar Devi Maini | Jammu city (Northern) |
47 | Janki Nath Kakroo | Kothar |
48 | Jamal-ud-Din | Drahal |
49 | Maulvi Jamaitali Shah | Mendhar |
50 | Kushak Bakula | Leh |
51 | Kishen Dev Sethi | Nowshera |
52 | Sardar Kulbir Singh | Poonch city |
53 | Mohammad Afzal Khan | Uri |
54 | Sheikh Mohammad Akbar | Tangmarg |
55 | Mohammad Anwar Shah | Karnah |
56 | Mohammad Ayub Khan | Arnas |
57 | Syed Mohammad Jalali | Badgam |
58 | Pir Mohd Maqbool Shah | Ramhal |
59 | Syed Mir Qasim Doru | Shahabad |
60 | Mubarik Shah | Magam |
61 | Mansukh Rai | Reasi |
62 | Mahant Ram | Basohli |
63 | Moti Ram Baigra | Udhampur |
64 | Mahasha Nahar Singh | Bishnah |
65 | Noor Dar | Kowapora |
66 | Noor-ud-Din Sufi | Ganderbal |
67 | Major Piara Singh | Kathua |
68 | Ram Chand Khajuria | Billawar |
69 | Lala Ram Piara Saraf | Samba |
70 | Ram Devi | Jammu city (Southern) |
71 | Ram Rakha Mal | Kahanachak |
72 | Wazir Ram Saran Jandrah | Garota |
73 | Ram Lal | Akhnoor |
74 | Sagar Singh | Parmandal |
75 | Sona Ullah Sheikh | Pulwama |
एक देश में दो संविधान दो प्रधानमंत्री व् दो ध्वज को लेकर इसका विरोध भी किया गया किन्तु अनुच्छेद ३७० के अंतर्गत यह व्यवस्था थी और संविधान सभा चुनी हुई संस्था थी जो राज्य के लोगों की इच्छा को दर्शा रही थी परन्तु शेख अब्दुल्लाह ने अपने लोगों को ये बताया कि संविधान सभा सर्वोच्च संस्था है जो कि भारतीय संवैधानिक बाध्यताओं से स्वतंत्र है .शेख अब्दुल्लाह की ऐसी ही बयानबाजी व् अन्य गतिविधियों के कारण मई १९७१ में उन्हें राज्य से निष्कासित किया गया उसके बाद वे कभी विपक्ष में बोलते थे कभी पक्ष में .भारत और प्लैय्बिसित फ्रंट के प्रतिनिधियों के बीच बहुत सी वार्ताएं हुई और अंत में २४ फरवरी १९७५ को एक करार की घोषणा की गयी इस समझौते का शुद्ध राजनितिक परिणाम यह हुआ कि जनमत संग्रह की मांग को शेख अब्दुल्लाह और उनके अनुयायिओं ने त्याग दिया और यह तय किया गया कि जम्मू कश्मीर राज्य की भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३७० के उपबंधों के अधीन विशेष स्थिति बनी रहेगी
और अब रही इसके लिए अनुच्छेद ३६८ के संशोधन की बात तो ये भी सहज नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसके लिए विशेष बहुमत व् आधे से अधिक राज्यों का अनुसमर्थन आवश्यक है जो कि वर्तमान राजनीतिक विचारधारा के इन अनुयायिओं द्वारा जुटाया जाना नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य कहा जा सकता है.
और अब रही इसके लिए अनुच्छेद ३६८ के संशोधन की बात तो ये भी सहज नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसके लिए विशेष बहुमत व् आधे से अधिक राज्यों का अनुसमर्थन आवश्यक है जो कि वर्तमान राजनीतिक विचारधारा के इन अनुयायिओं द्वारा जुटाया जाना नामुमकिन नहीं तो कठिन अवश्य कहा जा सकता है.
PDP blinks on AFSPA, Article 370 to reach 'consensus' with BJP, forms govt in Jammu and Kashmir
Ahead of alliance formation, the PDP had demanded that the BJP, which won 25 seats from the Hindu-majority Jammu region, should work towards restoring the original status of Article 370, which gives special status to the region.
और फिर जनता को यह दिखाना कि हम ऐसी चाहत रखते हैं यह भाजपा स्वयं ही झूठ के घेरे में ले जा चुकी है क्योंकि उसने जम्मू कश्मीर में सत्ता पाने के लिए पी.डी.पी.से गठबंधन किया जिसकी प्रमुखता ही अनुच्छेद ३७० है और यह मंशा पी.डी.पी. गठबंधन के समय ही दिखा चुकी है फिर बार बार संवैधानिक स्थिति और गठबंधन की सच्चाई को छिपाकर भाजपा जनता को बेवकूफ बनाने का अपना धर्म कब तक निभाती रहेगी ये समझ के परे हैं।
शालिनी कौशिक
[कानूनी ज्ञान ]
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