दुष्कर्म व् प्रकृति विरुद्ध अपराध-भारत रूस से आगे



11  महीने पहले रूस ने महिलाओं को दुष्कर्म करने वाले को निजी प्रतिरक्षा में मारने की अनुमति दी और जिससे वहां यह आशा की गयी कि यह कानून वहां पुरुषों और लड़कों को भी निजी प्रतिरक्षा में उनके साथ ऐसा करने वालों को मृत्यु दंड देने की अनुमति देगा .-
''New Law in Russia Allows Women to Kill Rapist in Self-Defense: Hopefully the law will also recognize the rights of men and boys who are being raped or sexually assaulted to self defense too (naturalhealingmagazine.net)
submitted  by DougDante''

       जबकि भारत में पहले से ही इन अपराधों के लिए निजी प्रतिरक्षा में मृत्यु कारित करने का अधिकार दिया गया है .
          भारतीय दंड संहिता की धारा 100 कहती है -
      ''शरीर की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार ,पूर्ववर्ती अंतिम धारा में वर्णित निबंधनों के अधीन रहते हुए ,हमलावर की स्वेच्छया मृत्यु कारित करने या कोई अन्य अपहानि कारित  करने तक है ,यदि वह अपराध ,जिसके कारण उस अधिकार के प्रयोग का अवसर आता है ,एतस्मिनपश्चात प्रगणित भाँतियों में से किसी भी भांति का है ,अर्थात -
      [और इस धारा की तीसरी व् चौथी उपधारा कहती है ]-
      *तीसरी-बलात्संग करने के आशय से हमला ,
      *चौथी-प्रकृति विरुद्ध काम तृष्णा की तृप्ति के आशय से किया गया हमला ;और इसके पीछे एक मुख्य वजह यह भी कही जा सकती है कि भारत में ये अपराध अन्य देशों के मुकाबले बहुतायत में है जिस कारण भारत को अपना मस्तिष्क इस अपराध के निवारण में ज्यादा ही लगाना पड़ता है .
        फिर भी यह तो मानना ही पड़ेगा कि विश्व की एक महाशक्ति भारत से कहीं न कहीं पीछे है और भारत अपने बुद्धि विवेक में उससे कहीं आगे ,तभी तो जिस क्षेत्र में कानून रूस ने अब 11 महीने पहले बनाया उस क्षेत्र में भारत ने बहुत पहले ही कानून बना लिया .इसलिए महाशक्ति भले ही रूस हो महाबुद्धि तो अपना भारत ही है .

    शालिनी कौशिक 
       [कानूनी ज्ञान ]

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