वकील चुप हैं.
आईएनएक्स मीडिया केस में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के करीब 30 घंटे बाद कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को बुधवार रात 10.25बजे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले याचिका खारिज होनेके बाद चिदंबरम पहले कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे। यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस मेंचिदंबरम ने कहा कि आईएनएक्स मामले में उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं है, सीबीआई और ईडी ने उनके खिलाफ कोई चार्जशीट भी दाखिल नहीं की। इसके बाद चिदंबरम कांग्रेस मुख्यालय से रवाना हो गए। सीबीआई, ईडी और दिल्ली पुलिस की टीमजोरबाग स्थित घर पर पहुंची। सीबीआई की टीम दीवार फांदकर घर में दाखिल हुई और चिदंबरम को हिरासत में लिया। यह हाई वोल्टेज ड्रामा करीब 95 मिनट तक चला और उन चिदंबरम की गिरफ्तारी के लिए जो कि एक प्रतिष्ठित वकील हैं,. जाँच में तरह सहयोग कर रहे हैं, जिनका ऍफ़ आई आर में नाम नहीं है ईडी ने चार्जशीट तक जमा कर दी है मतलब जांच पूरी हो चुकी है.
एक सम्मानित अधिवक्ता के साथ कानूनी कार्रवाई के आधार पर जुल्म किया जा रहा है और ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हो रहा है अभी हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह व उनके पति आनंद ग्रोवर के साथ भी ऐसी ही आधारहीन कार्यवाही की गई.
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के दिल्ली और मुंबई में घरों और ऑफिसों पर छापा मारा.एनडीटीवी के मुताबिक सीबीआई ने ये कार्रवाई की. पिछले महीने सीबीआई ने विदेशी मदद हासिल करने में नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर जाने माने वकील आनंद ग्रोवर और मुंबई स्थित उनके स्वयंसेवी संगठन ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के खिलाफ मामला दर्ज किया था.एजेंसी ने गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है. मंत्रालय ने समूह को मिली विदेशी मदद के इस्तेमाल में कई विसंगतियां होने का आरोप लगाया है.एफआईआर में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह का नाम तो नहीं है लेकिन मंत्रालय ने अपनी शिकायत में उनकी कथित भूमिका का जिक्र किया है.
हालांकि लॉयर्स कलेक्टिव ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया था. उन्होंने कहा था, ‘हमारे खिलाफ एफसीआरए कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि एनजीओ के पदाधिकारियों ने बीजेपी और भारत सरकार के प्रमुख लोगों के खिलाफ संवेदनशील मामले उठाए थे, जिसमें वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य लोग शामिल हैं.’आनंद ग्रोवर इंदिरा जयसिंह के पति हैं. सीबीआई ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के अध्यक्ष ग्रोवर और संगठन के अज्ञात पदाधिकारियों के अलावा अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.मंत्रालय की शिकायत के अनुसार समूह को 2006-07 और 2014-15 के बीच 32.39 करोड़ रुपए की विदेशी सहायता मिली थी जिसमें अनियमितताएं की गईं, जो कि विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन है. मंत्रालय की शिकायत अब प्राथमिकी का हिस्सा है.मंत्रालय ने दावा किया कि जांच के दौरान पाए गए उल्लंघनों के आधार पर एनजीओ से जवाब मांगा गया था लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया. इसके बाद उसका एफसीआरए पंजीकरण निलंबित कर दिया गया और कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
वकीलों पर लगातार हमले जारी हैं और ऐसा कानूनी कारणों से नहीं बल्कि पुरानी रंजिश के आधार पर किया जा रहा है. यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान जब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे, उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला चरम पर था और इसी मामले में अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार भी किया था और जेल में डाल दिया था. चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे. अब समय का चक्कर घूमा है और अमित शाह देश के गृह मंत्री और सीबीआई-ईडी पी. चिदंबरम को जेल में डालने के लिए तैयार हैं.25 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया, वो तीन महीने तक सलाखों के पीछे रहे. इसके बाद उन्हें 2 साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया. इसके बाद 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात की हाईकोर्ट ने अमित शाह को बेल दी. अमित शाह की गिरफ्तारी के बाद भाजपा भड़की हुई थी और उन्होंने यूपीए सरकार पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाया था.
2012 तक अमित शाह गुजरात के बाहर ही रहे, 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दे दी. हालांकि, सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को गुजरात से बाहर शिफ्ट कर दिया और मुंबई भेज दिया.बाद में इस मामले की सुनवाई मुंबई की अदालत में ही हुई. लंबी सुनवाई के बाद साल 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
अब उसी गिरफ्तारी का बदला लिया जा रहा है और एक ऐसे व्यक्ति के साथ जो कि सीबीआई के सभी सवालों का जवाब दे रहे थे, कानूनी प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग कर रहे थे, यही नहीं देश के एक सम्मानित नागरिक हैं, गृह मंत्री व वित्त मंत्री के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं उनसे कुत्सित राजनीतिक कारणों से बदले की कारवाई की जा रही है.
न केवल पी चिदंबरम, इंदिरा जय सिंह व आनंद ग्रोवर बल्कि वकीलों के समूह लायर्स कलेक्टिव का पंजीकरण निरस्त किया गया है और इतने पर भी वकील चुप हैं वे वकील जो किसी एक वकील को किसी के द्वारा अपशब्द कहने तक पर देशव्यापी हड़ताल पर उतर आते हैं, सारे देश में वकील एकता के नारे लगाते हैं आज चुप बैठ गए हैं और अगर यही चुप्पी वकीलों की नियति बन जाएगी तो यही कहा जा सकता है कि देश से न्याय की उम्मीद ही खत्म हो जाएगी.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)
एक सम्मानित अधिवक्ता के साथ कानूनी कार्रवाई के आधार पर जुल्म किया जा रहा है और ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हो रहा है अभी हाल ही में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जय सिंह व उनके पति आनंद ग्रोवर के साथ भी ऐसी ही आधारहीन कार्यवाही की गई.
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर के दिल्ली और मुंबई में घरों और ऑफिसों पर छापा मारा.एनडीटीवी के मुताबिक सीबीआई ने ये कार्रवाई की. पिछले महीने सीबीआई ने विदेशी मदद हासिल करने में नियमों के कथित उल्लंघन को लेकर जाने माने वकील आनंद ग्रोवर और मुंबई स्थित उनके स्वयंसेवी संगठन ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के खिलाफ मामला दर्ज किया था.एजेंसी ने गृह मंत्रालय की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की है. मंत्रालय ने समूह को मिली विदेशी मदद के इस्तेमाल में कई विसंगतियां होने का आरोप लगाया है.एफआईआर में पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह का नाम तो नहीं है लेकिन मंत्रालय ने अपनी शिकायत में उनकी कथित भूमिका का जिक्र किया है.
हालांकि लॉयर्स कलेक्टिव ने इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला बताया था. उन्होंने कहा था, ‘हमारे खिलाफ एफसीआरए कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि एनजीओ के पदाधिकारियों ने बीजेपी और भारत सरकार के प्रमुख लोगों के खिलाफ संवेदनशील मामले उठाए थे, जिसमें वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य लोग शामिल हैं.’आनंद ग्रोवर इंदिरा जयसिंह के पति हैं. सीबीआई ने ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के अध्यक्ष ग्रोवर और संगठन के अज्ञात पदाधिकारियों के अलावा अन्य अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.मंत्रालय की शिकायत के अनुसार समूह को 2006-07 और 2014-15 के बीच 32.39 करोड़ रुपए की विदेशी सहायता मिली थी जिसमें अनियमितताएं की गईं, जो कि विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन है. मंत्रालय की शिकायत अब प्राथमिकी का हिस्सा है.मंत्रालय ने दावा किया कि जांच के दौरान पाए गए उल्लंघनों के आधार पर एनजीओ से जवाब मांगा गया था लेकिन उसे संतोषजनक नहीं पाया गया. इसके बाद उसका एफसीआरए पंजीकरण निलंबित कर दिया गया और कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.
वकीलों पर लगातार हमले जारी हैं और ऐसा कानूनी कारणों से नहीं बल्कि पुरानी रंजिश के आधार पर किया जा रहा है. यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान जब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे, उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला चरम पर था और इसी मामले में अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार भी किया था और जेल में डाल दिया था. चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे. अब समय का चक्कर घूमा है और अमित शाह देश के गृह मंत्री और सीबीआई-ईडी पी. चिदंबरम को जेल में डालने के लिए तैयार हैं.25 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया, वो तीन महीने तक सलाखों के पीछे रहे. इसके बाद उन्हें 2 साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया. इसके बाद 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात की हाईकोर्ट ने अमित शाह को बेल दी. अमित शाह की गिरफ्तारी के बाद भाजपा भड़की हुई थी और उन्होंने यूपीए सरकार पर बदले की कार्रवाई करने का आरोप लगाया था.
2012 तक अमित शाह गुजरात के बाहर ही रहे, 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दे दी. हालांकि, सीबीआई की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई को गुजरात से बाहर शिफ्ट कर दिया और मुंबई भेज दिया.बाद में इस मामले की सुनवाई मुंबई की अदालत में ही हुई. लंबी सुनवाई के बाद साल 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
अब उसी गिरफ्तारी का बदला लिया जा रहा है और एक ऐसे व्यक्ति के साथ जो कि सीबीआई के सभी सवालों का जवाब दे रहे थे, कानूनी प्रक्रिया में पूर्ण सहयोग कर रहे थे, यही नहीं देश के एक सम्मानित नागरिक हैं, गृह मंत्री व वित्त मंत्री के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं उनसे कुत्सित राजनीतिक कारणों से बदले की कारवाई की जा रही है.
न केवल पी चिदंबरम, इंदिरा जय सिंह व आनंद ग्रोवर बल्कि वकीलों के समूह लायर्स कलेक्टिव का पंजीकरण निरस्त किया गया है और इतने पर भी वकील चुप हैं वे वकील जो किसी एक वकील को किसी के द्वारा अपशब्द कहने तक पर देशव्यापी हड़ताल पर उतर आते हैं, सारे देश में वकील एकता के नारे लगाते हैं आज चुप बैठ गए हैं और अगर यही चुप्पी वकीलों की नियति बन जाएगी तो यही कहा जा सकता है कि देश से न्याय की उम्मीद ही खत्म हो जाएगी.
शालिनी कौशिक एडवोकेट
(कौशल)
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