खंडपीठ वेस्ट यू पी में आएगी......




 



 एजाज रहमानी ने कहा है कि -

 अभी से पाँव के छाले न देखो,

 अभी यारों सफर की इब्तदा है. 

वेस्ट यू पी में हाई कोर्ट बेंच की मांग करते करते वकीलों को 4 दशक से ऊपर हो गए हैं किन्तु आंदोलन कभी वर्तमान रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी के पूर्व में दिए गए बयान के समर्थन, कभी पंजाब के राज्यपाल रहे श्री वीरेन्द्र वर्मा जी के समर्थन के बयान से ऊपर की सफलता अर्जित नहीं कर पाया और फिर अब तो प्रचंड बहुमत वाली भाजपा सरकार के केंद्रीय कानून मंत्री श्री किरण रिजूजू ने साफ कर दिया है कि उनके पास वेस्ट यू पी में हाई कोर्ट खंडपीठ के लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं है.

        इस आंदोलन की सफलता के लिए बार एसोसिएशन कैराना के अधिवक्ताओं ने बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी के नेतृत्व में 1989 में कॉंग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद जी का सफल घेराव किया और इसी सफलता के कारण तत्कालीन विधायक मुनव्वर हसन के समर्थकों द्वारा कैराना के अधिवक्ताओं पर हमले किए गए, उनके चेंबर तोड़े गए, वेस्ट यू पी के अधिवक्ताओं द्वारा कई कई महीनों तक हड़ताल की गई, शनिवार की हड़ताल वेस्ट यू पी में हाई कोर्ट बेंच के लिए लगातार जारी है किन्तु परिणाम ढाक के तीन पात. 

       आज न्यू इंडिया का समय चल रहा है, मोदी जी के नेतृत्व में सोशल मीडिया निरंतर तरक्की कर रहा है ऐसे में मोदी जी की मन की बात, ट्विटर, फ़ेसबुक, कू, आदि सोशल मीडिया अकाउंट से प्रेरणा लेकर केंद्रीय संघर्ष समिति को अपने इस आंदोलन की सफलता के लिए निम्न उपायों को अमल में लाना चाहिए -

1- भाजपा के कार्यकर्ताओं की भांति वेस्ट यू पी के अधिवक्ताओं को भी घर घर जाकर जनता में वेस्ट यू पी हाई कोर्ट बेंच के लाभों को लेकर जागरूकता फैलाने के प्रयास करने चाहिए और इसके लिए हर बार एसोसिएशन द्वारा क्षेत्रीय अधिवक्ताओं की समिति गठित की जानी चाहिए.

2- जिस तरह हमारे मोदी जी और योगी जी ने अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट बनाए हैं और उनके माध्यम से आम जनता से जुड़े हैं उसी तरह केंद्रीय संघर्ष समिति को भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट बनाने चाहिए और उनके माध्यम से जनता से जुड़कर उन्हें अपने आंदोलन से जोड़ लेना चाहिए.

3- कोई भी मीटिंग अधिवक्ता भवन में नहीं होनी चाहिए बल्कि जनता के बीच खुले आकाश के नीचे और गाँव गाँव तक पहुंच बना कर होनी चाहिए.

4- आम जनता से भी सुझाव आमंत्रित किए जाने चाहिए और उन्हें अधिवक्ताओं के बीच अपनी बात रखने का अवसर देना चाहिए.

     याद रखिए यह आंदोलन अधिवक्ताओं के व्यावसायिक फायदे के लिए नहीं है बल्कि यह आंदोलन न्याय को पीड़ित के पास तक पहुंचाने के लिए है और इसलिए इसमे जनता की भागीदारी अधिवक्ताओं के साथ जरूरी है और यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि जिस दिन जनता अधिवक्ता जिंदाबाद का नारा बुलंद होगा उस दिन ये आंदोलन अवश्य सफल होगा.

केंद्रीय संघर्ष समिति, मेरठ को यह ध्यान में रखते हुए जनता को जोड़ कर आन्दोलन की सफलता के लिए आगे बढ़ना होगा - 

तू अगर चाहे झुकेगा आसमां भी सामने ,

    दुनिया तेरे आगे झुककर सलाम करेगी .

 जो आज न पहचान सके तेरी काबिलियत ,

      कल उनकी पीढियां तक इस्तेकबाल करेंगी .

     शालिनी कौशिक एडवोकेट

     बार एसोसिएशन

     कैराना (शामली)

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