शिव किशोर गौड़ एडवोकेट - कुशल नेतृत्व - उज्ज्वल भविष्य बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश
पूरे भारत में मार्च 2023 तक, भारत में अधिवक्ताओं/वकीलों की संख्या 1.5 मिलियन (15 लाख) से अधिक होने का अनुमान है, जिसमें लगभग एक लाख अधिवक्ता बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश से सम्बद्ध हैं. एक औसत बुद्धि का व्यक्ति भी अनुमान लगा सकता है कि इतनी विशाल संस्था के सर्वोच्च पद पर आसीन पदाधिकारी पर अधिवक्ताओं के हितों को संरक्षित करने की कितनी महती जिम्मेदारी है. पूरे प्रदेश में एक भी अधिवक्ता के साथ कुछ गलत घटित होने पर जितनी तत्परता के साथ वर्तमान में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन पद पर आसीन श्री शिव किशोर गौड़ जी द्वारा संज्ञान में लेकर कार्यवाही की जा रही है, वह उल्लेखनीय है।
हापुड़ में पुलिस महकमे द्वारा निर्दोष अधिवक्ताओं पर किए गए बर्बरता पूर्ण हमले पर भी श्री शिव किशोर गौड़ जी द्वारा सख्त रूख अपनाकर प्रदेश व्यापी हड़ताल का आह्वान किया गया और पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान को धरातल पर मजबूती प्रदान की। इसका ही परिणाम था कि प्रदेश सरकार को झुककर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन श्री शिव किशोर गौड़ जी को वार्ता के लिए ससम्मान आमंत्रित किया गया और अधिवक्ताओं की सभी मांगों को स्वीकार करना पड़ा। सफल वार्ता के पश्चात दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित व स्थानांतरित किया गया और कुछ दिन पश्चात ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने के लिए एक समिति गठित कर दी गई। यह यदि संभव हुआ तो केवल हमारे संघर्षशील नेतृत्व के कारण।
यही नहीं, 2015 में बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अधिवक्ताओं के वकालत से प्रमाणिक रूप से जुड़े रहने के प्रमाण के लिए सर्टिफिकेट ऑफ प्रेक्टिस की शुरुआत की गई. जिससे अधिवक्ताओं को जो आरंभ से आज तक अपने प्रदेश की बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराकर वक़ालत करते रहते थे, उन्हें भविष्य में आगे प्रेक्टिस करने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ प्रेक्टिस की जरूरत होने लगी. सबसे पहले अधिवक्ताओं को सर्टिफिकेट ऑफ प्रेक्टिस 2018 से प्रदान किए गए, जिनका रि-इश्यू का कार्य सितंबर 2022 से आरम्भ कर दिया गया, जिसमें अधिवक्ताओं द्वारा वक़ालत नामों की आवश्यकता और 500 रुपये की फीस को लेकर सवाल खड़े किए गए, जिसे देखते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा रि-इश्यू का कार्य स्थगित कर अपने हाथों में लिया गया और लगभग साल भर बीतने के बाद भी 1983 से पूर्व के अधिवक्ताओं को वक़ालत नामों की आवश्यकता से छूट देकर फीस 500 रुपये ही रखी गई, इधर अगस्त 2023 में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के चेयरमैन पद पर नियुक्त हुए श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी और उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 500 रुपये फीस के निर्देश और बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सम्भावित आर्थिक नुकसान को तरजीह न देते हुए अधिवक्ताओं की आर्थिक समस्या को तरजीह दी और आते ही सर्टिफिकेट ऑफ प्रेक्टिस के रि-इश्यू की फीस आधी कर दी 250 रुपये.
वर्तमान में चेयरमैन पद पर सर्वाधिक 15 सदस्यों की वोट से चयनित शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी अपनी व्यवहार कुशलता और अधिवक्ताओं के हित में निरन्तर लगे रहने के कारण एक सर्वप्रिय बार काउंसिल सदस्य के रूप में स्थान बनाए हुए हैं. 2017 में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्य के रूप में निर्वाचित श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी अब तक बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में सह अध्यक्ष और सदस्य सचिव रहे हैं. 1990 से अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत शिव किशोर गौड़ एडवोकेट पहली बार बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के सदस्य बने और अपने पहले ही कार्यकाल में शिव किशोर गौड़ एडवोकेट ने शामली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर के अधिवक्ताओं के 60 से ऊपर अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन, 200 से अधिक अधिवक्ताओं को सर्टिफिकेट ऑफ प्रेक्टिस, कई अधिवक्ताओं का अन्य राज्यों से उत्तर प्रदेश में स्थानांतरण कार्य, कई अधिवक्ताओं के डेथ क्लेम का कार्य अपने विशेष प्रतिनिधि द्वारा जानकारी प्राप्त होने पर उनके अपने क्षेत्र में बैठे बैठे ही संपादित कराया है और प्रयाग राज में कार्यरत बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश को 800 किलोमीटर दूर शामली जिले तक सुलभ बना दिया है.
आज आवश्यकता है कि हम सब ऐसे कुशल व अधिवक्ताओं के हितों को समर्पित व्यक्तित्व श्री शिव किशोर गौड़ जी के हाथ मजबूत करें। कुशल नेतृत्व ही हम अधिवक्ताओं के न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य को भी सुदृढ़ करता है।
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
विशेष प्रतिनिधि, शामली
श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट
चेयरमैन,
बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश
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