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मई, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ई रिक्शा, ऑटो, कैब, टैक्सी वाले अब लिखेंगे नाम, मोबाइल नम्बर उत्तर प्रदेश में अपने वाहन पर

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  ( Shalini kaushik law classes)  एक बार फिर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध नजर आई है. उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता सिंह चौहान की सिफारिश को प्राथमिकता देते हुए टैक्सी, ऑटो, ई-रिक्शा और ओला-उबर जैसी कैब सेवाओं को लेकर योगी सरकार ने एक अहम नियम लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के सभी जिलों मे 29 मई 2025 से लागू किया है। अब हर किराये की गाड़ी चला रहे ड्राइवर को अपनी गाड़ी के अंदर स्पष्ट रूप से अपना नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करना आवश्यक होगा। उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह नियम महिला यात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए बहुत जरूरी है। कई बार घटनाओं की जानकारी देने के लिए वाहन चालक की पहचान मुश्किल होती है। इस व्यवस्था से तुरंत पहचान और कार्रवाई संभव होगी।” साथ ही,सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन वाहनों पर यह जानकारी नहीं लिखी होगी, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। शुरुआत में वाहन मालिकों को इस नियम का पालन करने के लिए एक निश्चित समय सीमा दी जाएगी, जिसके बाद चालान और...

एक साल के भीतर भी मांग सकते हैँ तलाक -इलाहाबाद हाई कोर्ट

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( shalini kaushik law classes)  इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए स्पष्ट किया है कि असाधारण मुश्किलों अथवा असाधारण उत्पीड़न का सामना कर रहे पति अथवा पत्नी विवाह के एक साल के भीतर भी तलाक का मुकदमा दाखिल कर सकते हैं।  हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत पति पत्नी विवाह के एक वर्ष के पश्चात ही तलाक की मांग कर सकते हैं. जिसके आधार पर परिवार न्यायालय ने एक दम्पति के आपसी समझौते के आधार पर दाखिल तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। ➡️ केस का विवरण:-   3 सितम्बर 2024 को सम्पन्न इस वैवाहिक मामले में पति पत्नी दोनों के सम्बंध में बहुत ज्यादा खटास आ जाने के कारण दोनों ने आपसी सहमति से विवाह विच्छेद का मुकदमा अंबेडकर नगर के परिवार न्यायालय में दाखिल किया। जिसे विवाह के एक वर्ष के भीतर मुकदमा दाखिल होने के आधार पर, परिवार न्यायालय ने मुकदमे को खारिज कर दिया। ➡️ क़ानून क्या कहता है:- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 14, आम तौर पर अदालत को विवाह के एक वर्ष के भीतर तलाक याचिका पर विचार करने से रोकती है । तलाक लेने के ...

दिल्ली में ई-एफआईआर सिस्टम

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 दिल्ली में ई-एफआईआर सिस्टम का मतलब है कि आप घर बैठे चोरी या डकैती जैसी घटनाओं के लिए ऑनलाइन एफआईआर दर्ज कर सकते हैं। यह दिल्ली पुलिस द्वारा शुरू किया गया एक ऐप है, जो नागरिकों को पुलिस स्टेशन जाने की परेशानी से बचाता है.  ➡️ कैसे काम करता है:- 1️⃣. दिल्ली पुलिस की वेबसाइट या ऐप पर जाएं: आपको ई-एफआईआर दर्ज करने के लिए दिल्ली पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट या ऐप पर जाना होगा.  2️⃣. रजिस्टर करें: अगर आप पहली बार उपयोग कर रहे हैं, तो आपको अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी जैसे विवरणों के साथ रजिस्टर करना होगा.  3️⃣. लॉगिन करें: रजिस्टर करने के बाद, आपको अपने विवरणों से लॉग इन करना होगा.  4️⃣. ई-एफआईआर फॉर्म भरें: ई-एफआईआर फॉर्म में घटना से संबंधित सभी विवरण भरें, जैसे कि घटना का समय, तारीख, स्थान और घटना का विवरण.  5️⃣. फॉर्म सबमिट करें: फॉर्म भरने के बाद, आपको इसे सबमिट करना होगा.  6️⃣. पुलिस वेरिफिकेशन: पुलिस आपकी जानकारी की जांच करेगी और फिर आपको एफआईआर की एक प्रति मिलेगी.  ➡️ ई-एफआईआर सिस्टम के लाभ:- 🌑 सुविधा: - आप घर बैठे बिना पुलिस स्टेशन गए...

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवाह पंजीकरण नियमों में संशोधन के सुझाव

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      इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जाली दस्तावेजों के जरिए शादी कराने वाले गिरोहों और घर से भागकर शादी के बाद मानव तस्करी, यौन शोषण और जबरन श्रम जैसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियम 2017 को संशोधित करने के निर्देश दिए हैं और इसके लिए छह महीने का समय निर्धारित किया है। कोर्ट ने कहा कि - "विवाह की वैधता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए नियम में संशोधन करने की आवश्यकता है।"  कोर्ट ने कहा कि - " सत्यापन योग्य विवाह पंजीकरण तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है। "       यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने शनिदेव व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।  इलाहबाद हाई कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रधान सचिव को 2017 के विवाह पंजीकरण के नियम में संशोधन में कुछ सुझाव भी दिए हैं जो कि निम्नलिखित हैं 🌑  विवाह के लिए धार्मिक रीतिरिवाज, अनुष्ठान का खुलासा अनिवार्य किया जाए।  🌑 विवाह अधिकारियों को आपत्तियां उठाने, संदेह के आधार पर आवेदन अस्वीकार करने और रिकॉर्ड बनाए रखने का अधिकार दिया जाए।  🌑 फर्जी प्रमाण पत्रों ...

स्कैमर्स से बचना है तो ये लेख जरूर पढ़ें

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SMS सबके फोन पर आते हैँ, जिन्हें आप पढ़ते भी हैं और जिनके लिंक पर आप क्लिक भी करते है, किन्तु आज का समय साइबर ठगी का समय है. एक क्लिक आपका अकाउंट सेकंड्स मे खाली कर देता है. जिसे रोकने के लिए कभी गृह मंत्रालय E-ZERO एफ आई आर लेकर आ रहा है तो कभी दूरसंचार विभाग फाइनेंशियल फ़्रॉड रिस्क इण्डिकेटर ( एफ आर आई) लेकर आ रहा है. इसी क्रम में अब ट्राई लेकर आया है (एसपीजीटी-SPGT)  ➡️ बच सकते हैं स्कैम से- एसपीजीटी पर अगर आप ध्यान देंगे तो बच सकते हैं बड़े बड़े स्कैम से, जो कि अब आपके मोबाइल पर आने वाले हर SMS के पीछे लिखे ‘S’, ‘P’, ‘G’ या ‘T’ के रूप में दिखाई देने वाले हैं. हर SMS के पीछे दिखने वाले S, P, G या T कोड्स TRAI द्वारा शुरू की गई एक पहल है। इनका मतलब जानकर बच सकते हैं आप खुद और बचा सकते हैं अपने जानने वालों को स्कैम से. आप ध्यान दीजिये आजकल फोन पर आने वाले  हर SMS पर जिस के पीछे हमे 4 अक्षर देखने को मिल रहे हैं। S, P, G या फिर T के साथ आने वाले इन SMS पर शायद अभी तक आपका ध्यान नहीं गया है, तो आपको ध्यान देने की जरूरत है। वास्तव में ये शब्द मात्र शब्द नहीं हैं ये वे कोडस हैं जिनकी...

वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक या फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर' (एफआरआई)

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 साइबर धोखाधड़ी आज देश में लोगों में घबराहट के स्तर पर उतर आई है ऐसे में भारत की सरकार द्वारा भी लगातार इसे रोकने के और साइबर अपराधियों पर लगाम कसने उपाय किये जा रहे हैं. अब सरकार द्वारा इसके लिए 'फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर' (एफआरआई) टूल लॉन्च किया गया है, जो आपके मोबाइल पर स्पेम के रूप में आने वाले संदिग्ध मोबाइल नंबरों की पहचान करेगा, साथ ही बैंकों, यूपीआई और वित्तीय संस्थानों को अतिरिक्त सुरक्षा जांच में मदद करेगा. यह टूल साइबर धोखाधड़ी को रोकने के लिए डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म के जरिए जोखिम का स्तर बताता है. फोनपे  प्लेटफॉर्म द्वारा पहले ही इसका उपयोग शुरू कर दिया गया हैं, जिससे साइबर सुरक्षा को नई मजबूती मिली है साथ ही इस कदम द्वारा डिजिटल लेनदेन को सुरक्षित बनाया गया है. भारत सरकार द्वारा तेजी से बढ़ती जा रही लगभग डिजिटल होती जा रही भारतीय अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए एक सक्रिय कदम के रूप में, भारत सरकार का दूरसंचार विभाग (DoT) डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफ़ॉर्म (DIP) के तहत एक शक्तिशाली एनालिटिक्स टूल, वित्तीय धोखाधड़ी जोखिम संकेतक (FRI) के रूप में लेकर आया है इस प...

घरेलू हिंसा मामले हाई कोर्ट में रद्द -सुप्रीम कोर्ट

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घरेलू हिंसा मामले हाई कोर्ट में रद्द-सुप्रीम कोर्ट shalini kaushik law classes      सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में घरेलू हिंसा मामलों से जूझ रहे पीड़ितों के लिए फैसला सुनाया हैं कि घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत दर्ज शिकायतों को हाईकोर्ट दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 482 ( अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528) के अंतर्गत रद्द कर सकता है।  दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 482 जो कि अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 528 ( जो कि उच्च न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियों की व्यावृत्ति से संबंधित है)हो गई है, में कहा गया है कि- " इस संहिता की कोई बात उच्च न्यायालय की ऐसे आदेश देने की अन्तर्निहित शक्ति को सीमित या प्रभावित करने वाली न समझी जाएगी जैसे इस संहिता के अधीन किसी आदेश को प्रभावी करने के लिए या किसी न्यायालय की कार्यवाही का दुरुपयोग निवारित करने के लिए या किसी अन्य प्रकार से न्याय के उद्देश्यों की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो. निर्णय देते समय जस्टिस ए.एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने कहा कि इस शक्ति का प्रयोग बहुत सावधान...

NCRP से करिये E ZERO FIR

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 साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा E ZERO FIR की पहल की गई है.नई प्रक्रिया में एनसीआरपी सिस्टम, दिल्ली पुलिस के ई-एफआईआर सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अपराध और अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (सीसीटीएनएस) का एकीकरण शामिल है।     आज हम आपको बताने जा रहे है NCRP सिस्टम के बारे में- ➡️ NCRP- National Cyber Crime Reporting Portal (राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल)--  यह एक पोर्टल है जहाँ लोग साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज कर सकते हैं. इस पोर्टल के माध्यम से, आप किसी भी साइबर अपराध, जैसे कि ऑनलाइन फ्रॉड, सोशल मीडिया अपराध, हैकिंग, आदि की रिपोर्ट कर सकते हैं. NCRP के माध्यम से रिपोर्ट करने पर, आपकी शिकायत को संबंधित पुलिस स्टेशन को भेजा जाएगा और उस पर आगे कार्रवाई की जाएगी.  ➡️  क्या है NCRP-- NCRP एक ऑनलाइन पोर्टल है जो भारत सरकार द्वारा साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए बनाया गया है. पोर्टल का नया संस्करण सभी प्रकार के साइबर अपराध की रिपोर्टिंग की अनुमति देता है। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (...

साइबर ठगी के मामलों में अब दर्ज होगी E ZERO FIR

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 साइबर ठगी के बढ़ते जा रहे मामलों को देखते हुए  केंद्रीय गृह मंत्रालय ने  E-Zero FIR दर्ज कराये जाने का निर्णय लिया है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के माध्यम से जारी बयान में सोशल मीडिया वेबसाइट X पर कहा गया है कि "गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने किसी भी अपराधी को अभूतपूर्व गति से पकड़ने के लिए नई ई-जीरो एफआईआर पहल शुरू की है। दिल्ली के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई यह नई प्रणाली एनसीआरपी या 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वचालित रूप से एफआईआर में बदल देगी, जो शुरू में ₹10 लाख की सीमा से ऊपर होगी। नई प्रणाली, जो साइबर अपराधियों पर तेजी से कार्रवाई करते हुए जांच को आगे बढ़ाएगी, जल्द ही पूरे देश में लागू की जाएगी। मोदी सरकार साइबर-सुरक्षित भारत बनाने के लिए साइबर सुरक्षा ग्रिड को मजबूत कर रही है।"   ➡️ नई व्यवस्था से अपराधियों की धरपकड़ होगी तेज- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र की हाल ही में आयोजित समीक्षा बैठक में साइबर वित्तीय अपराधों के पीड़ितों द्वारा गंवाए गए धन को वाप...

One stop Centre

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वन स्टॉप सेंटर (OSC) हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही जगह पर विभिन्न सहायता सेवाएं प्रदान करने के लिए स्थापित एक एकीकृत केंद्र है। यह केंद्र महिलाओं को तत्काल और गैर-आपातकालीन दोनों प्रकार की सहायता प्रदान करता है, जिसमें चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक परामर्श और आश्रय शामिल हैं.  ➡️ OSC के उद्देश्य:- 1️⃣ हिंसा से प्रभावित महिलाओं और बालिकाओं को तत्काल और गैर-आपातकालीन सहायता प्रदान करना। 2️⃣ पीड़ित महिलाओं को एक ही छत के नीचे चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और परामर्श सहायता प्रदान करना।  3️⃣ हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना। 4️⃣ हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करना। ➡️ OSC में प्रदान की जाने वाली सेवाएं:- 1️⃣ आश्रम (अस्थायी आश्रय):   पीड़ित महिलाओं को तत्काल सुरक्षित आश्रय प्रदान किया जाता है। 2️⃣ पुलिस डेस्क:   पीड़ित महिलाएं पुलिस को अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। 3️⃣ कानूनी सहायता:  पीड़ित महिलाओं को कानूनी परामर्श और सहायता प्रदान की जाती है। 4️⃣ चिकित्सा सहायता:  पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा परामर्श और उ...

सी एम हेल्पलाइन नंबर 1️⃣0️⃣7️⃣6️⃣

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    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता की समस्याओं को जानने के लिए मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 जारी किया है। शिकायतकर्ता, यूपी के किसी भी क्षेत्र से इस नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है। यूपी में पहली बार एक ऐसी व्यवस्था की गई है कि, इस हेल्पलाइन के जरिए एक दिन में 80 हजार शिकायतों को सुना जा सकता है।  उत्तर प्रदेश में आप मुख्यमंत्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर कॉल करके मदद ले सकते हैं. यह हेल्पलाइन नंबर नागरिकों की शिकायतों के लिए है. उत्तर प्रदेश की सीएम हेल्पलाइन नंबर 1076 पर कॉल करने के बाद आप रिप्रेजेंटेटिव से बताई गई किसी भी सर्विस के बारे में जानकारी ले सकते हैं. अगर कोई दस्तावेज बनने में समस्या आ रही है. तो उस बारे में आप यहां शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं.  अगर आपको किसी तरह की शिकायत है तो आप 24X7 टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1076 पर फोन कर सकते हैं और अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इस सुविधा से प्रदेश की जनता को काफी फायदा हो रहा है और लोगों की समस्याओं का निराकरण हो रहा है। प्रस्तुति  शालिनी कौशिक  एडवोकेट   कैराना (शामली )

साइबर फ़्रॉड का नया जरिया बने-KYC और घोस्ट सिम

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   खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के छह जिलों में नौ सिम कार्ड डीलर्स साइबर फ़्रॉड के लिए सीबीआई द्वारा नामजद किये गए हैँ.    प्राप्त जानकारी के अनुसार सिम कार्ड डीलरों द्वारा सिम खरीदने वाले ग्राहक का केवाईसी कराने के दौरान उस पहचान सत्यापन का इस्तेमाल दूसरे सिम की बिक्री में भी कर रहे थे। जिसमें वे पहली बार केवाईसी प्रक्रिया को फेल बताते थे, फिर दोबारा बार यह प्रक्रिया करते थे, जिसमें उसी नाम पते पर दूसरा सिम जिसे घोस्ट सिम कहा जाता है, एक्टिवेट कर दिया जाता था। जिसका ग्राहक को आभास तक नहीं होता है. ➡️ केवाईसी (KYC) का मतलब -     "अपने ग्राहक को जानें" (Know Your Customer) होता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें वित्तीय संस्थान ग्राहकों की पहचान और पता सत्यापित करते हैं. यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि ग्राहक द्वारा दी गई जानकारी सटीक और वास्तविक है.  🌑 केवाईसी का पूरा नाम "Know Your Customer" है, जो वित्तीय संस्थानों और व्यवसायों द्वारा ग्राहकों की पहचान सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रक्रिया है. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में...

गुजारा भत्ता न देने पर सजा

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पुरानी सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता न देने पर सजा दी जा सकती थी अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 144 के तहत गुजारा भत्ता अदा न करने पर सजा का प्रावधान है। ये धारा पति, पत्नी और माता-पिता के भरण-पोषण से संबंधित है। अदालतें, इस धारा के तहत, भरण-पोषण आदेश का उल्लंघन करने पर विभिन्न कानूनी उपायों का सहारा ले सकती हैं, जिनमें सिविल हिरासत, संपत्ति की कुर्की आदि शामिल हैं.  🌑 सिविल हिरासत:- अगर कोई व्यक्ति भरण-पोषण आदेश का पालन नहीं करता है, तो उसे कुछ समय के लिए जेल में रखा जा सकता है.  🌑 संपत्ति की कुर्की:- अदालतें, व्यक्ति की संपत्ति कुर्क कर सकती हैं ताकि भरण-पोषण की बकाया राशि वसूल की जा सके.  🌑 गैर-जमानती वारंट:- अगर भरण-पोषण आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो न्यायालय पति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर सकता है.  🌑 उदाहरण :- एक मामले में, एक व्यक्ति को अपनी पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता नहीं देने के कारण 3210 दिन की जेल की सजा सुनाई गई थी.  🌑 एक अन्य मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति को भरण-पोषण की राशि न देने के कारण लगभग ...

शादी के बाद बेटी पति का सहारा -सुप्रीम कोर्ट

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( shalini kaushik law classes ) विवाहित बेटी द्वारा स्वयं को मृतक माँ की आश्रित दिखाकर मोटर दुर्घटना दावा में मुआवजे की मांग को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया.कोर्ट ने कहा, "एक बार बेटी की शादी हो जाने के बाद, तार्किक धारणा यह है कि अब उसके पास अपने वैवाहिक घर पर अधिकार है और उसके पति या उसके परिवार द्वारा आर्थिक रूप से भी समर्थन किया जाता है, जब तक कि अन्यथा साबित न हो." माननीय उच्चतम न्यायालय ने मंजुरी बेरा और अन्य बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड और अन्य, (2007) 10 SCC 634 पर भरोसा करते हुए कहा-"कि एक विवाहित बेटी को कानूनी प्रतिनिधि माना जा सकता है, लेकिन इस निर्भरता से वह मुआवजे के नुकसान के लिए पात्र नहीं होगी जब तक कि बेटी द्वारा यह साबित नहीं किया जाता है कि वह मृतक पर आर्थिक रूप से निर्भर थी,  जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने उस मामले में यह फैसला सुनाया जहां राजस्थान रोडवेज की बस की टक्कर से एक महिला की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। दुर्घटना का कारण बस की लापरवाही थी, जिससे महिला का दोपहिया वाहन कुचल जाने पर उसकी मौत ...

हज यात्रा पूर्ण अधिकार नहीं - इलाहाबाद हाई कोर्ट

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 एक मामले में दोषसिद्धि से पहले अपीलकर्ता-जाहिद द्वारा अपनी पत्नी के साथ हज यात्रा के लिए आवेदन किया गया. साथ ही हज यात्रा के लिए जाहिद द्वारा शुल्क भी जमा कर दिया गया था। जिसके बाद उन्हें 4 मई, 2025 से 16 जून, 2025 तक निर्धारित हज यात्रा पर जाने के लिए चयनित कर लिया गया था । इस बीच उन्हें बहराइच के एडिशनल सेशन जज द्वारा IPC की धारा 304/34 के तहत 10 साल और IPC की धारा 323 के तहत छह महीने की सजा सुनाई गई। सजा के आदेश को चुनौती देते हुए जाहिद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की, साथ ही, हज के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगने एक एक छोटी जमानत याचिका भी दायर की।  जाहिद की याचिका के समर्थन में एडवोकेट द्वारा सैयद अबू अला बनाम एनसीबी 2024 लाइव लॉ (दिल्ली) 334  दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का सहारा लिया गया , जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 2010 में एन डी पी एस एक्ट के तहत दोषी ठहराए गए 73 वर्षीय व्यक्ति को हज करने के लिए विदेश यात्रा करने की अनुमति दी गई थी क्योंकि हज यात्रा इस्लामी आस्था में बहुत महत्व रखती है। दूसरी ओर, सरकारी वकील द्वारा उनकी अल्पकालिक जमानत का विरोध किया गया. ...

LESA मतलब.......

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  ➡️ "LESA" का अर्थ:-  "लीगल सर्विस असिस्टेंट" (Legal Service Assistant)। यह एक ऐसा व्यक्ति होता है जो कानूनी क्षेत्र में काम करता है और वकीलों या कानूनी फर्मों को प्रशासनिक और कानूनी कार्य करने में मदद करता है।  🌑 कानूनी सहायक (Legal Assistant):- यह एक महत्वपूर्ण भूमिका है जो कानूनी फर्मों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करती है।  🌑 कानूनी सहायक के कार्य:- कानूनी सहायक प्रशासनिक कार्यों जैसे कि फाइलिंग, क्लाइंट संचार और कानूनी शोध को कुशलतापूर्वक संभालते हैं।  🌑 कानूनी सहायक का महत्व:- वे सुनिश्चित करते हैं कि क्लाइंट संचार से लेकर कानूनी शोध तक सब कुछ कुशलतापूर्वक किया जाए।  🌑 कानूनी सहायक अन्य नाम:- कुछ संदर्भों में, उन्हें पैरालीगल (paralegal) भी कहा जाता है, लेकिन वे कानूनी सहायक के रूप में भी कार्य करते हैं। कानूनी सहायक एक ऐसा व्यक्ति होता है जो कानूनी क्षेत्र में काम करता है और वकीलों को उनके प्रशासनिक और कानूनी कार्यों में मदद करता है। 🌑 लीगल असिस्टेंट क्या होता है:- एक कानूनी सहायक वकीलों को कानून फर्मों को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।...

Be alert - अब पाकिस्तान करेगा साइबर अटैक

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(पाकिस्तान करने वाला है साइबर अटैक)  पाकिस्तान हमेशा से भारत के लिए एक सरदर्द रहा है। कभी आतंकवाद की मार तो कभी ड्रोन की मार भारत को गहरे घाव देती आ रही है. आपरेशन सिंदूर से खाई करारी हार का बदला लेने के लिए अब जो खबरे भारतीय खुफिया विभाग को प्राप्त हो रही है उसके अनुसार पाकिस्तान खतरनाक वायरस को नये हथियार के रूप में भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने जा रहा है . भारत द्वारा अपने सभी हमलों में नाकामी झेलने पर अब पाकिस्तान इंटरनेट के जरिए भारतीयों को नुकसान पहुंचाने की नई साजिश रच रहा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान अब भारत पर साइबर अटैक की तैयारी कर रहा है और इसके लिए Dance of the Hillary नाम के खतरनाक वायरस को एक फाइल tasksche.exe में डालकर सोशल मीडिया वेबसाइट पर सर्कुलेट किया जा रहा है. अगर आपके व्हाट्सऐप, फेसबुक, टेलीग्राम या फिर ईमेल के जरिए कोई भी अनजान फाइल आती है तो भूल से, लालच से या अति आत्मविश्वास से फाइल पर क्लिक करने की गलती न करें, क्योंकि आपकी ये छोटी सी लापरवाही, भूल, लालच, अति आत्मविश्वास आपको बहुत ही ज्यादा भारी पड़ सकता है. इस फाइल में मैलवेयर है जो आपकी व्यक्तिगत ज...

डिजिटल अधिकार भी मौलिक अधिकार - सुप्रीम कोर्ट

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     सर्वोच्च न्यायालय ने 30 अप्रैल 2025 को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि डिजिटल एक्सेस जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा है. यह फैसला डिजिटल समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों की डिजिटल सेवाओं तक पहुंच हो.       इस प्रकार भारत में डिजिटल अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकारों के रूप में संरक्षित हैं. अनुच्छेद 19  भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और किसी भी व्यवसाय या व्यापार को करने के अधिकार की रक्षा करता है, जबकि अनुच्छेद 21 नागरिको को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है.  ➡️ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19:- यह अनुच्छेद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और किसी भी व्यवसाय को करने के अधिकार की रक्षा करता है आज के युग में डिजिटल एक्सेस व्यावसायिक गतिविधियों का मुख्य केंद्र बन चुका है जिसका प्रयोग इन्टरनेट आदि के माध्यम से किया जाता है जिससे लोग इंटरनेट का उपयोग करके अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं, जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, और ऑनलाइन व्यवसाय...

अप्राकृतिक यौन संबंध बलात्कार नहीं - इलाहाबाद हाई कोर्ट

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( Shalini Kaushik Law Classes-2.0) ( Shalini Kaushik Law Classes)        एक महत्वपूर्ण निर्णय में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ उसकी सहमति के बिना अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना, भले ही वह 18 वर्ष से अधिक की हो, बल्कि यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 377 के तहत दंडनीय होगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि हालांकि यह IPC की धारा 375 के अनुसार बलात्कार नहीं हो सकता।      पीठ ने अपने आदेश में कहा, "यह स्पष्ट है कि लिंग-योनि संभोग के अलावा शारीरिक संबंध अधिकांश महिलाओं के लिए सेक्स का स्वाभाविक तरीका नहीं है, इसलिए पति द्वारा अपनी पत्नी के साथ भी उसकी सहमति के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है।"        जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की पीठ ने इस प्रकार मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णयों से असहमति जताई, जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाना, भले ही उसकी सहमति के बिना, IPC की धारा 377 के तहत अपराध नहीं माना गया।मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का उक्त दृष्टिकोण इस तर्क से उपजा है कि चूंकि किसी पुरु...

पहलगाम अटैक के साइड इफेक्ट शुरू

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  (Shalini Kaushik Law Classes) पहलगाम हमले के साइड इफेक्ट आने आरम्भ हो गए हैं. जनता के बीच आक्रोश तो स्वाभाविक ही था किंतु अब शुरू हुआ है साइबर ठगी का एक और नया दौर. अब भारतीय सेना के नाम से फर्जी मैसेज आम जनता में भेजे जा रहे हैं. जिसमें भारतीय सेना के शहीदों या घायल सैनिकों की मदद के नाम पर कथित रूप से भारत सरकार के द्वारा बनाए गए एक बैंक खाते में डोनेशन की अपील की जा रही है. अक्षय कुमार को इसका ब्रांड अंबेसडर कहा गया है. जो कि नितांत रूप से फ़र्ज़ी है।  ➡️ मात्र ₹1 दान का फर्जी मैसेज वायरल- आम जनता के व्हाट्सएप पर एक मैसेज अज्ञात नंबर से भेजा जा रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बॉलीवुड अभिनेता और समिति द्वारा नियुक्त अभियान के ब्रांड एंबेसडर अक्षय कुमार के सुझाव पर एक नई पहल की है. इस मैसेज में लिखा जा रहा है कि भारत सरकार ने एक बैंक अकाउंट खोला है, जिसमें हर भारतीय नागरिक को केवल ₹1 प्रतिदिन दान करके भारतीय सेना की मदद करनी है. साथ ही, यह दावा भी किया गया है कि यह बैंक अकाउंट कैबिनेट मीटिंग कर भारत सरकार द्वारा पहलगाम हमले के बाद...

शादी के समय मिले सोने पर किसका हक

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(Shalini Kaushik Law Classes )   केरल हाइकोर्ट ने हाल ही में शादी में दुल्हन को मिलने वाले सोने को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। केरल हाइकोर्ट ने कहा है कि शादी के समय दुल्हन को मिले सोने के आभूषण और नकद महिला की विशेष संपत्ति हैं। उच्च न्यायालय के मुताबिक इन संपत्तियों को 'स्त्रीधन' माना जाएगा। प्रस्तुति  शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली) 

ब्लू टिक का मह्त्व कानून में

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 एसबीआई कार्ड्स एंड पेमेंट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड बनाम रोहित जाधव (2018) में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि व्हाट्सएप संदेशों को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, अगर वे धारा 65बी प्रमाणपत्र के अंतर्गत आते हैं। कोर्ट ने यह भी बताया कि व्हाट्सएप पर "ब्लू टिक" दर्शाता है कि संदेश दूसरे व्यक्ति द्वारा प्राप्त और पढ़ा गया था। मेसर्स करुणा आभूषण प्राइवेट लिमिटेड बनाम श्री अचल केडिया (2020) में, दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि व्हाट्सएप और फेसबुक चैट वैध कानूनी सबूत हैं, जिसमें ब्लू टिक यह दर्शाता है कि संदेश पढ़ा गया था। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी चैट को साबित करने के लिए भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी का अनुपालन करना आवश्यक है। https://hindi.livelaw.in/category/columns/judging-chats-the-legal-maze-of-whatsapp-evidence-in-india-290774 (आभार live law) प्रस्तुति  शालिनी कौशिक  एडवोकेट   कैराना (शामली)