तैयारी संविदा कानून (Law of Contract Specific Relief, Partnership, NI Act सहित)-7️⃣
केवल 15 दिन रह गए हैँ अखिल भारतीय बार परीक्षा 20 ( AIBE-XX ) के जो कि 30 नवंबर 2025 को आयोजित होने जा रही है. परीक्षा के आवेदन आदि की सम्पूर्ण जानकारी हम आपको अपने ब्लॉग ( AIBE-XX पूरी जानकारी एक साथ ) में, परीक्षा के महत्वपूर्ण क़ानूनों की ✒️ सभी क़ानूनों की तैयारी कैसे करें 1️⃣,में, फिर ✒️ तैयारी दूसरे महत्वपूर्ण कानून की 2️⃣, तत्पश्चात ✒️ सिविल क़ानून की तैयारी 3️⃣ और ✒️ भारतीय दंड संहिता IPC/ भारतीय न्याय संहिता BNS" की तैयारी 4️⃣ .उसके बाद परीक्षा में आने वाले चौथे महत्वपूर्ण कानून की तैयारी का तरीका,✒️"तैयारी AIBE XX-भारतीय साक्ष्य अधिनियम / भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)5️⃣- नम्बर 6️⃣ पर नोट्स बनाइये पारिवारिक क़ानून के बाद हम आपके लिए लेकर आये हैँ नंबर 7️⃣ पर तैयारी संविदा कानून (Law of Contract Specific Relief, Partnership, NI Act सहित), जिसे आप ब्लॉग कानूनी ज्ञान पर पढ़ सकते हैं और यू ट्यूब व्लॉग @IndianLawSK28 पर सुन सकते हैं.
✒️ 8 अंक के प्रश्न -
संविदा क़ानून के पेपर में, जिनमें मुख्यतः हमारे यहाँ आते हैँ संविदा विधि से प्रश्न, विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, मध्यस्थता अधिनियम, नेगोशिएबिल इंस्ट्रूमेंट लॉ और इनमें से लगभग 8 अंक के प्रश्न आपसे पूछे जायेंगे और क्योंकि 1 प्रश्न 1 अंक का होता है इसलिए पेपर में इन क़ानूनों से आने वाले हैं 8 प्रश्न.
➡️ यह पेपर क्यों महत्वपूर्ण हैः
यह सभी वाणिज्यिक और व्यावसायिक लेनदेन का आधार है। कोई भी वाणिज्यिक, व्यवसायिक लेनदेन हो, उसमें संविदा भी होती है, मध्यस्थता भी होती है, विशेष अनुतोष होते हैँ, चैक पास भी होते हैँ और बाउंस भी होते हैँ, ऐसे में क़ानून में इन सभी स्थितियों के लिए क्या प्रावधान हैँ, ये सभी इस पेपर में आते हैँ.
➡️ खास ध्यान दें यहाँ-
1️⃣ भारतीय संविदा अधिनियमः
AIBE परीक्षा के लिए भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की कुछ मुख्य धाराएँ हैं जो प्रस्ताव और स्वीकृति (धारा 2), कानूनी संबंध बनाने का इरादा (धारा 2), स्वतंत्र सहमति (धारा 14), और संविदा करने की क्षमता (धारा 11) जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करती हैं। एजेंसी से संबंधित मुख्य धाराओं में धारा 182 (एजेंट और प्रधान की परिभाषा) और धारा 196 (अनुसमर्थन) शामिल हैं।
➡️ भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की मुख्य धाराएँ
✒️ धारा 2: प्रस्ताव, स्वीकृति और प्रतिफल (फल) जैसी संविदा की परिभाषाएँ प्रदान करती है।
✒️ धारा 11: एक संविदा के लिए पक्षकारों की क्षमता को परिभाषित करती है; जैसे कि वे एक वयस्क, स्वस्थ मस्तिष्क वाले और कानून द्वारा निषिद्ध न हों।
✒️ धारा 14: संविदा के लिए स्वतंत्र सहमति की आवश्यकता को स्पष्ट करती है और बताती है कि कब सहमति स्वतंत्र नहीं मानी जाती है, जैसे कि जब यह जोर-जबरदस्ती, धोखाधड़ी, या गलत प्रस्तुतीकरण के कारण हो।
✒️ धारा 182: एक एजेंट और उसके प्रधान (जिसके लिए कार्य किया जाता है) की परिभाषा देती है।
✒️ धारा 196: अनुसमर्थन के प्रावधान को निर्धारित करती है, जिसमें किसी पूर्व प्राधिकार के बिना किए गए कार्य को बाद में प्रधान द्वारा वैध बनाया जा सकता है।
✒️ धारा 23: यह निर्धारित करती है कि किन प्रतिफलों और उद्देश्यों को विधिपूर्ण माना जाता है।
✒️ धारा 45: संयुक्त अधिकारों के न्यागमन के संबंध में प्रावधान प्रदान करती है।
ये धाराएँ संविदा अधिनियम के मूल सिद्धांतों को दर्शाती हैं और कानूनी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
2️⃣ विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम-
AIBE परीक्षा के लिए विनिर्दिष्ट अनुतोष ( स्पेसिफिक रिलीफ )अधिनियम, 1963 की मुख्य धाराओं में शामिल हैं: धारा 5 (विशिष्ट अचल संपत्ति की वसूली), धारा 6 (एक व्यक्ति का कब्जे से बेदखली के विरुद्ध राहत), धारा 19 (अनुबंधों का विशिष्ट निष्पादन), धारा 22 (नुकसान की क्षतिपूर्ति के बदले या उसके साथ निषेधाज्ञा), और धारा 34 (घोषणात्मक डिक्री), जो AIBE परीक्षा में अनुबंध कानून के हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
✒️ धारा 5: विशिष्ट अचल संपत्ति की वसूली: यह धारा उस व्यक्ति को अपनी अचल संपत्ति वापस पाने का अधिकार देती है, जिसके पास उस पर कब्जे का हक है। इसमें सिविल प्रक्रिया संहिता द्वारा निर्धारित तरीके से संपत्ति को वापस प्राप्त करने की बात कही गई है।
✒️ धारा 6: कब्जे से बेदखली के विरुद्ध राहत: यदि किसी व्यक्ति को कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना संपत्ति से बेदखल किया गया है, तो वह इस धारा के तहत मुकदमा दायर कर सकता है।
✒️ धारा 19: अनुबंधों का विशिष्ट निष्पादन: यह धारा उन स्थितियों को संबोधित करती है जहां किसी वादी ने एक लिखित अनुबंध के विशिष्ट निष्पादन की मांग की है, और प्रतिवादी ने विचलन या भिन्नता निर्धारित की है। वादी निर्धारित भिन्नता के अतिरिक्त निष्पादन प्राप्त कर सकता है, या ऐसा करने में विफल रहने पर नुकसानी का दावा कर सकता है।
✒️ धारा 22: व्यादेश के स्थान पर या उसके अतिरिक्त नुकसानी: इस धारा के तहत, वादी व्यादेश के अलावा या उसके बदले नुकसानी की मांग कर सकता है। न्यायालय, यदि उचित समझे, तो ऐसी नुकसानी दिला सकता है। यह उन मामलों में लागू होता है जहां वादी ने वादपत्र में नुकसानी की मांग की है या न्यायालय की अनुमति से संशोधन करता है।
✒️ धारा 34: घोषणात्मक डिक्री: यह धारा वादी के कानूनी चरित्र या किसी भी संपत्ति पर उसके अधिकार पर विवाद को सुलझाने और भविष्य में होने वाले विवादों को रोकने के लिए एक घोषणात्मक डिक्री प्रदान करती है।
3️⃣ मध्यस्थता अधिनियम-
मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की महत्वपूर्ण धाराएँ, जैसे कि धारा 34 (निर्णय को रद्द करना), धारा 29A (समय सीमा), धारा 31 (निर्णय की शर्तें), और धारा 6 (मध्यस्थता को संदर्भित करना) AIBE (All India Bar Examination) के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनके अतिरिक्त, धारा 3(g) (अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता) और धारा 14 (मध्यस्थता की शुरुआत) भी प्रासंगिक हैं।
➡️ मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996
✒️ धारा 34: मध्यस्थता के निर्णय को रद्द करने की शर्तों को बताती है। इसमें उन आधारों का उल्लेख है जिनके तहत एक अदालत मध्यस्थता निर्णय को रद्द कर सकती है।
✒️ धारा 29A: मध्यस्थता के पूरा होने की समय सीमा को निर्धारित करती है। यह बताती है कि दलीलों की समाप्ति के 12 महीने के भीतर निर्णय दिया जाना चाहिए।
✒️ धारा 31: निर्णय की शर्तों को परिभाषित करती है, जिसमें निर्णय की तारीख, हस्ताक्षरित प्रति और ब्याज शामिल हैं।
✒️ धारा 6: मध्यस्थता के लिए विवादों को संदर्भित करने की अदालत की शक्ति से संबंधित है, जिसमें समझौता योग्य आपराधिक मामलों को मध्यस्थता के लिए भेजा जा सकता है।
✒️ धारा 7, 8, 9: मध्यस्थता समझौते और अंतरिम उपायों को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
✒️ धारा 62: सुलह कार्यवाही के प्रारंभ से संबंधित है, जहाँ एक पक्ष को दूसरे पक्ष को लिखित में आमंत्रण भेजना होता है।
➡️ मध्यस्थता अधिनियम, 2023
✒️ धारा 3(g): "अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता" को परिभाषित करती है, जिसमें एक या अधिक पक्ष भारत से बाहर के होते हैं, जो सीमा पार विवादों को सुलझाने के लिए महत्वपूर्ण है।
✒️ धारा 14: मध्यस्थता कार्यवाही की शुरुआत की रूपरेखा प्रदान करती है।
✒️ धारा 15: मध्यस्थता के संचालन के बारे में बताती है, जिसमें मध्यस्थ की निष्पक्षता और प्रक्रिया शामिल है। यह भी बताती है कि मध्यस्थ सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 से बंधे नहीं होते हैं।
✒️ धारा 29: मध्यस्थता की सीमाओं और समय सीमा को परिभाषित करती है।
4️⃣ परक्राम्य लिखत अधिनियमः
एआईबीई (AIBE) के लिए परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की मुख्य धाराएँ धारा 138 और धारा 118 हैं। धारा 138 चेक बाउंस से संबंधित है, जबकि धारा 118 परक्राम्य लिखतों (जैसे कि चेक) के बारे में मान्यताओं से संबंधित है। एआईबीई में सफल होने के लिए, उम्मीदवारों को इन धाराओं के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण कानूनी विषयों जैसे संवैधानिक कानून, सीआरपीसी, सीपीसी और साक्ष्य अधिनियम के बेयर एक्ट्स का अध्ययन करना चाहिए।
➡️ परक्राम्य लिखत अधिनियम (NI Act) की मुख्य धाराएँ
✒️ धारा 138: यह धारा तब लागू होती है जब एक चेक को उसके बाउंस होने (not honored) पर, एक विशिष्ट अपराध के रूप में माना जाता है।
यह धारा चेक के अनादरण के मामले में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के लिए दंड का प्रावधान करती है।
हालांकि, ध्यान दें कि यदि चेक किसी अवैध ऋण (जैसे रिश्वत) के भुगतान के लिए जारी किया गया था, तो इस धारा के तहत अपराध नहीं बनता है, मद्रास हाईकोर्ट के एक फैसले के अनुसार।
✒️ धारा 118: यह धारा परक्राम्य लिखतों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण मान्यताओं को स्थापित करती है जब तक कि अन्यथा साबित न हो जाए, जैसे कि:
प्रत्येक परक्राम्य लिखत किसी न किसी विचार के लिए बनाई गई है (यानी, इसके लिए कुछ मूल्य का आदान-प्रदान किया गया था)।
➡️ तैयारी में खास तौर पर यह प्रक्रिया अपनाएं-
🌑 संविदा अधिनियम में, पहली 75 धाराओं पर ध्यान केंद्रित करें। प्रस्थापना और प्रतिग्रहण से संबंधित उदाहरण और रूलिंग्स पर खास ध्यान दें एक वैध संविदा के आवश्यक तत्व, प्रस्थापना या प्रस्ताव, मान्य प्रतिग्रहण की मुख्य विशेषताएं, प्रतिफल, संविदा का उल्लंघन और उपचार का अध्ययन जरुरी है.
🌑 परक्राम्य लिखत अधिनियम के लिए, चेक के अनादरण पर अध्याय एक उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।संविदाएं जिनका विनिर्दिष्ट प्रवर्तन कराया जा सकता है और जिनका नहीं कराया जा सकता है. निषेधाज्ञा और अनुबंधों का विशिष्ट प्रदर्शन चेक, वचन पत्र, विनिमय पत्र (विशेषकर चेक का अनादरण) जरूर नोट्स के रूप में संग्रहित करें.
🌑 मध्यस्थता और सुलह अधिनियम में ऊपर बताई गई धाराओं पर विशेष ध्यान देते हुए अंडरलाइन कर नोट्स बनायें.
🌑 विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम में कब्जे, अनुबंध और क्षतिपूर्ति पर खास स्टडी कर नोट्स बनायें.
परीक्षा नजदीक है, शेष लॉ जल्दी लेकर आ रहे हैँ, शीघ्रता से सब्सक्राइब कीजिये व्लॉग @IndianLawSK28 को और ब्लॉग http://shalinikaushikadvocate.blogspot.com को, पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें, साथ ही पोस्ट को लेकर अपनी समस्या और अनुभव जरूर बतायें और अगर कुछ और जानकारी चाहिए तो जरूर बतायें.
धन्यवाद 🙏🙏
द्वारा
शालिनी कौशिक
एडवोकेट
कैराना (शामली )

विस्तार से बहुत गूढ जानकारी दी है आपने आभार 🙏🙏
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रतिक्रिया हेतु आभार 🙏🙏
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