द्विविवाह के कारण हुआ वकील का 10 साल का सस्पेंशन इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश स्टेट बार काउंसिल द्वारा वकील पर लगाए गए 10 साल के सस्पेंशन को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उसे सुनवाई का कोई मौका नहीं दिया गया। वकील पर कथित द्विविवाह के लिए नैतिक पतन का आरोप है। जस्टिस शेखर बी सर्राफ और जस्टिस मनजीव शुक्ला की बेंच ने यह टिप्पणी की: " कारण बताओ नोटिस 17 फरवरी, 2025 को 10 मार्च, 2025 को पेश होने के लिए जारी किया गया और विवादित आदेश 23 फरवरी, 2025 को पारित किया गया, जिससे यह साफ है कि विवादित आदेश बिना सुनवाई का कोई मौका दिए एकतरफ़ा पारित किया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है"। याचिकाकर्ता ने यूपी बार काउंसिल के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया, जिसमें उसके प्रैक्टिस करने का लाइसेंस 10 साल के लिए सस्पेंड कर दिया गया, जिससे उसे भारत में किसी भी कोर्ट में पेश होने से रोक दिया गया। उसने दलील दी कि "उसे किसी भी कानून के तहत द्विविवाह का दोषी नहीं ठहराया गया। फिर अगर उसने ऐसा किया भी होता, तो भी यह नैतिक पतन के दायरे में नहीं आता।" दूसरी ओर, प्रतिवादी के वकील ने पी. मोहनसुंदरम बनाम द प्रेसिडेंट ऑफ...