BCI राज्य बार कौंसिल में 30%महिला आरक्षण सुनिश्चित करे-सुप्रीम कोर्ट

 


सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 4 दिसंबर 2025 को संकेत दिया कि वह उम्मीद करता है कि 

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) आगामी राज्य बार काउंसिल चुनावों में महिलाओं के लिए 30% आरक्षण सुनिश्चित करेगी। 

कोर्ट यह टिप्पणियाँ उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान कर रहा था, जिनमें राज्य बार काउंसिलों में महिलाओं की अनिवार्य प्रतिनिधित्व की मांग की गई है। यह मामला याचिकाकर्ता योगमाया की ओर से सिनियर एडवोकेट शोभा गुप्ता द्वारा किए गए मेंशन पर सूचीबद्ध हुआ.

सुनवाई के दौरान BCI की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कुमार ने कहा कि ऐसे आरक्षण को लागू करने के लिए एडवोकेट्स एक्ट में संशोधन की आवश्यकता होगी और कई राज्य बार काउंसिलों में चुनाव प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है, इसलिए तत्काल बदलाव करना कठिन होगा। हालांकि, चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि 

BCI को अपने नियमों की ऐसी व्याख्या करनी होगी जिससे राज्य बार काउंसिलों में कम से कम 30% महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके, और यह व्यवस्था कुछ पदाधिकारियों के पदों तक भी विस्तारित हो।

CJI ने कहा— 

“हम उम्मीद करते हैं कि BCI नियमों की ऐसी व्याख्या करेगा जिससे राज्य बार काउंसिलों में 30% आरक्षण सुनिश्चित हो। पदाधिकारियों के कुछ पदों पर भी यह प्रतिनिधित्व होना चाहिए।” 

जब BCI ने यह आशंका जताई कि शायद पर्याप्त संख्या में महिलाएँ चुनाव लड़ने के लिए आगे न आएँ, तो CJI ने पिछली शाम सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा महिला वकीलों पर किए गए सर्वे का हवाला देते हुए कहा—

 “आप कल के वर्कशॉप में मौजूद नहीं थे। 83% महिला वकील SCBA की सदस्य बनना चाहती हैं।” 

इससे कोर्ट ने स्पष्ट किया कि महिला वकीलों में नेतृत्व और प्रतिनिधित्व की मजबूत इच्छाशक्ति मौजूद है।

गुरु कुमार ने सुधारों की क्रमिक प्रक्रिया पर जस्टिस रूथ बेडर गिन्सबर्ग के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि संस्थागत बदलाव समय के साथ होता है। इस पर CJI ने कहा कि 

कोर्ट की निगरानी एक “कंटीन्यूअस मंडेमस” की तरह काम करेगी ताकि प्रगतिशील कदम आगे बढ़ते रहें। 

CJI ने BCI को निर्देश दिया—

 “आप सोमवार को एक अधिसूचना लेकर आएँ। हम मुद्दों का समाधान जैसे-जैसे आएगा करते रहेंगे।” 

कोर्ट योगमाया एमजी और शेहला चौधरी की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पूरे भारत की सभी राज्य बार काउंसिलों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों का आरक्षण तथा कम से कम एक पदाधिकारी पद को रोटेशन के आधार पर महिलाओं के लिए आरक्षित करने की मांग की गई है। यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के 2 मई 2024 के उस आदेश पर आधारित है, जिसमें SCBA की एक-तिहाई कार्यकारिणी सीटों—जिसमें कम से कम एक पदाधिकारी पद भी शामिल है—को महिलाओं के लिए आरक्षित करने का निर्देश दिया गया था।

स्रोत 

Live. Law. In(4 december2025)

प्रस्तुति

शालिनी कौशिक

एडवोकेट

कैराना (शामली )


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