संपत्ति का अधिकार -५
संपत्ति का अधिकार -५
वैयक्तिक विधियों में प्राप्त संपत्ति का अधिकार -
भारत में विभिन्न धर्मों की वैयक्तिक विधियों द्वारा भी व्यक्ति को संपत्ति का अधिकार प्राप्त होता है ,जो निम्न है -
*मुस्लिम विधि -में -
१-सुन्नी विधि के अंतर्गत तीन प्रकार के उतराधिकारी होते हैं-
क-हिस्सेदार
ख-शेषांश
ग- दूर के नातेदार
परन्तु शिया विधि के अंतर्गत दो प्रकार के उतराधिकारी होते हैं -
१-हिस्सेदार
२-शेषांश सम्बन्धी .
२-सुन्नी विधि के अंतर्गत हिस्सेदार शेषांश सम्बन्धियों का अपवर्जन करते हैं और शेषांश सम्बन्धी दूर के नातेदारों का .
शिया विधि के अंतर्गत हिस्सेदार और शेषांश सम्बन्धी सब मिलकर तीन वर्गों में विभाजित हैं .पहला दूसरे को और दूसरा तीसरे को दाय से अपवर्जित करता है .
३-सुन्नी विधि किसी ज्येष्ठाधिकार को मान्यता नहीं देती परन्तु शिया विधि उसे कुछ सीमा तक मान्यता देती है .जिन संपत्तियों को ज्येष्ठ पुत्र अकेले प्राप्त करने का हक़दार है वे हैं -मृतक के वस्त्र ,अंगूठी ,तलवार और कुरान .
४-सुन्नी विधि प्रतिनिधित्व के सिद्धांत की मान्यता को कुछ सीमित दृष्टान्तों तक परिसीमित कर देती है परन्तु शिया विधि में वह उत्तराधिकार का मुख्य आधार है .
५-सुन्नी विधि में मानव हत्या प्रत्येक अवस्था में मारे गए व्यक्ति की संपत्ति के उत्तराधिकार में अवरोध है ,परन्तु शिया विधि में केवल तब जब साशय ऐसा किया जाये तभी रूकावट होती है .
६- सुन्नी विधि के अंतर्गत वृद्धि[औल]का सिद्धांत ,जिसके बाद यदि हिस्सेदार का कुल योग इकाई से अधिक होता है तो प्रत्येक हिस्सेदारों का अंश कम हो जाता है ,सभी हिस्सेदारों पर समान रूप से लागू होता है ,परन्तु शिया विधि के अंतर्गत वृद्धि [औल]का सिद्धांत केवल पुत्रियों और बहनों के प्रति ही लागू होता है .
*हिन्दू विधि -
वैयक्तिक विधियों में प्राप्त संपत्ति का अधिकार -
भारत में विभिन्न धर्मों की वैयक्तिक विधियों द्वारा भी व्यक्ति को संपत्ति का अधिकार प्राप्त होता है ,जो निम्न है -
*मुस्लिम विधि -में -
१-सुन्नी विधि के अंतर्गत तीन प्रकार के उतराधिकारी होते हैं-
क-हिस्सेदार
ख-शेषांश
ग- दूर के नातेदार
परन्तु शिया विधि के अंतर्गत दो प्रकार के उतराधिकारी होते हैं -
१-हिस्सेदार
२-शेषांश सम्बन्धी .
२-सुन्नी विधि के अंतर्गत हिस्सेदार शेषांश सम्बन्धियों का अपवर्जन करते हैं और शेषांश सम्बन्धी दूर के नातेदारों का .
शिया विधि के अंतर्गत हिस्सेदार और शेषांश सम्बन्धी सब मिलकर तीन वर्गों में विभाजित हैं .पहला दूसरे को और दूसरा तीसरे को दाय से अपवर्जित करता है .
३-सुन्नी विधि किसी ज्येष्ठाधिकार को मान्यता नहीं देती परन्तु शिया विधि उसे कुछ सीमा तक मान्यता देती है .जिन संपत्तियों को ज्येष्ठ पुत्र अकेले प्राप्त करने का हक़दार है वे हैं -मृतक के वस्त्र ,अंगूठी ,तलवार और कुरान .
४-सुन्नी विधि प्रतिनिधित्व के सिद्धांत की मान्यता को कुछ सीमित दृष्टान्तों तक परिसीमित कर देती है परन्तु शिया विधि में वह उत्तराधिकार का मुख्य आधार है .
५-सुन्नी विधि में मानव हत्या प्रत्येक अवस्था में मारे गए व्यक्ति की संपत्ति के उत्तराधिकार में अवरोध है ,परन्तु शिया विधि में केवल तब जब साशय ऐसा किया जाये तभी रूकावट होती है .
६- सुन्नी विधि के अंतर्गत वृद्धि[औल]का सिद्धांत ,जिसके बाद यदि हिस्सेदार का कुल योग इकाई से अधिक होता है तो प्रत्येक हिस्सेदारों का अंश कम हो जाता है ,सभी हिस्सेदारों पर समान रूप से लागू होता है ,परन्तु शिया विधि के अंतर्गत वृद्धि [औल]का सिद्धांत केवल पुत्रियों और बहनों के प्रति ही लागू होता है .
*हिन्दू विधि -
[ए ]-सहदायकी संपत्ति -संयुक्त कुटुंब की समस्त संपत्ति जिस पर अधिकार स्वामित्व की समानता होती है ,सहदायकी संपत्ति है .
१-पैतृक संपत्ति-पिता से पुत्र को ,इस तरह से निरंतर पीढ़ी दर पीढ़ी वंशानुगत रूपेण जो संपत्ति उतराधिकार में चलती है ,पैतृक सम्पदा है .इसे इस प्रकार समझ सकते हैं
१-१-परदादा ,दादा ,पिता से प्राप्त सम्पदा [अप्रतिबंध दाय ]
१-२-मिताक्षरा विधि में एक ही संपत्ति को पैतृक सम्पदा माना गया है पर प्रिवी कौंसिल ने एक निर्णय में मत दिया है कि यदि दो भाई अपने नाना से सम्पदा प्राप्त करें तब सामूहिक सम्पदा है लेकिन इलाहाबाद एवं कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विपरीत मत व्यक्त किया है .
२- संयुक्त रूपेण अर्जित संपत्ति -जब संयुक्त श्रम से संयुक्त परिवार की संपत्ति अर्जित की जाती है तब उसे सहदायकी संपत्ति मान लिया जाता है .
३-संपत्ति जो परिवार की सहदायकी सम्पदा के माध्यम से अर्जित की गयी है ,इसमें ही सम्मिलित है जैसे सहदायकी संपत्ति की आमदनी से कोई अन्य अर्जित सम्पदा .
सहदायकी संपत्ति में स्वामित्व की इकाई ,अंशों की अनिर्धार्नियता ,हक़ की सामूहिकता ,स्त्रियों का अपवर्जन व् उत्तरजीविता से न्यागमन होता है .
[ब ]-पृथक सम्पदा -संपत्ति जो किसी सहदायकी सम्पदा से भिन्न इस प्रकार की सम्पदा है जिस पर न तो सह अस्तित्व रहता है न सह या संयुक्त अस्तित्व ,हो सकता है ये कभी एक हो पर जब टूटकर पृथक हो तब संपत्ति पृथक कही जाएगी .इस संपत्ति में अकेला उसी का स्वत्व रहता है .जब सहदायकी का कोई सदस्य अलग हो
से कोई सम्पदा अर्जित कर ले जिसमे सह्दायिक सम्पदा का या किसी सह्दायिक का संयुक्त सहयोग न हो पृथक संपत्ति कही जाएगी और इसमें अर्जित करने वाले का ही हक़ होगा .
इस प्रकार संपत्ति का अधिकार वैयक्तिक विधियों द्वारा पृथक -पृथक रूप से प्रदान किया गया है और व्यक्ति का जीवन मूलतः इन्हीं पर आधारित है किन्तु जहाँ अधिक महत्व की बात आती है तो संवैधानिक अधिकार का ही महत्व है और यही अधिकार ही इन विधियों से प्राप्त अधिकार को बल प्रदान करता है .
शालिनी कौशिक
बहुत महत्वपूर्ण जानकारी... आभार !!
जवाब देंहटाएंकल 07/07/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
उपयोगी जानकारी, बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएंmeri nani jo ek 65 saal ki mahila hai uske teen bhaiyo ne ye kahke ki court ka kaam hai aana jana padega hum tumko tumhare hisse ka dete rahenge karke sign le liye aur phir paisa dene se mukar gaye bahut pareshani me hai ye log...... 2 saal se jyada ho gaye jila court ka chakkar lagate tahseeldar ghumate rahta hai ...shayad paise khilayye hai inko.. koi tarika bataiye mam jisse inko inka hak mile
जवाब देंहटाएंmeri nani apni paitrik sampatti me se hissa chahti hai bahut takleef me hai un logo ne dhoke se bahla phuslakar ni chahiye hissa karke sign liya tha please help us bataiye ki kaise kanuni ladai kam se kam samay me ladi ja sakti hai
जवाब देंहटाएंmeri nani jo ek 65 saal ki mahila hai uske teen bhaiyo ne ye kahke ki court ka kaam hai aana jana padega hum tumko tumhare hisse ka dete rahenge karke sign le liye aur phir paisa dene se mukar gaye bahut pareshani me hai ye log...... 2 saal se jyada ho gaye jila court ka chakkar lagate tahseeldar ghumate rahta hai ...shayad paise khilayye hai inko.. koi tarika bataiye mam jisse inko inka hak mile
जवाब देंहटाएंmera Bhai mere mummy papa ko Marta pitta hai Meri shaadi 2009 mai hui thi usk baad se ye sab chal rha hai Meri chhoti bhen ko bhi Marta hai Meri shaadi k baad ek do baar mujh par bhi haath uttya usne mere or Meri bhn k husband hi mummy papa ko dekhte hai mere bhai ki shaadi 17 April ko hui hai love marriage ab Meri bhabhi or Bhai do mere mummy papa ko Marte hai or property magte hai police aakar mamla suljha deti hai magar vo aapni adat se baaz nhi aata police wale aakr bolte hai property Teri hi rahe gi .kya aasa sab hone k baad mere bhai ko property milni chahiye plz aap mujhko reply de
जवाब देंहटाएंmera Bhai mere mummy papa ko Marta pitta hai Meri shaadi 2009 mai hui thi usk baad se ye sab chal rha hai Meri chhoti bhen ko bhi Marta hai Meri shaadi k baad ek do baar mujh par bhi haath uttya usne mere or Meri bhn k husband hi mummy papa ko dekhte hai mere bhai ki shaadi 17 April ko hui hai love marriage ab Meri bhabhi or Bhai do mere mummy papa ko Marte hai or property magte hai police aakar mamla suljha deti hai magar vo aapni adat se baaz nhi aata police wale aakr bolte hai property Teri hi rahe gi .kya aasa sab hone k baad mere bhai ko property milni chahiye plz aap mujhko reply de
जवाब देंहटाएंबहुत ही उच्च कोटी का उपयोगी आलेख है।
जवाब देंहटाएंNana ke sampati me kiya natni ka haq hoga
जवाब देंहटाएंNana ke sampati me kiya natni ka haq hoga
जवाब देंहटाएंMate dada g ka dehant hogay h or mere papa g ka bhi mere dada gi ko 2 putr or ak putri thi jo bo sab dehant hogae hen to kiya mere dada g ki putri ki putri uske sampati me hissa mag sakti h
जवाब देंहटाएंmere Dada ki property par mere papa ki Parmesan ke bina mere 2 chacha ne property apne name karwa li he is samey hum kis taraha se apni property me hissa kese le sakty he
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंMere Nana property
Bina mery mammy parmesan
Nana ke bhai me apne naam
Karva liye jab mere Nana gujarne ke samay kuch nahi
Do sal bad vashit nama dekha
Raha or kort koi kagaj nahi mil raha hai jab sab kuch mery mammy kharcha karti thi