वसीयत और मरणोपरांत वसीयत
वसीयत एक ऐसा अभिलेख जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद अपनी संपत्ति की व्यवस्था करता है .भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 3 में वसीयत अर्थात इच्छापत्र की परिभाषा इस प्रकार है - ''वसीयत का अर्थ वसीयतकर्ता का अपनी संपत्ति के सम्बन्ध में अपने अभिप्राय का कानूनी प्रख्यापन है जिसे वह अपनी मृत्यु के पश्चात् लागू किये जाने की इच्छा रखता है .'' वसीयत वह अभिलेख है जिसे आदमी अपने जीवन में कई बार कर सकता है किन्तु वह लागू तभी होती है जब उसे करने वाला आदमी मर जाता है .एक आदमी अपनी संपत्ति की कई बार वसीयत कर सकता है किन्तु जो वसीयत उसके जीवन में सबसे बाद की होती है वही महत्वपूर्ण होती है. वसीयत का पंजीकरण ज़रूरी नहीं है किन्तु वसीयत की प्रमाणिकता को बढ़ाने के लिए इसका रजिस्ट्रेशन करा लिया जाता है और रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा 27 के अनुसार - '' विल एतस्मिन पश्चात् उपबंधित रीति से किसी भी समय रजिस्ट्रीकरण के लिए उपस्थापित या निक्षिप्त की जा सकेगी .'' इच्छापत्र सादे कागज पर लिखा जाता ...