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सितंबर, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोहिनी तोमर एडवोकेट हत्याकांड के कुछ अनसुलझे सवाल

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मोहिनी तोमर एडवोकेट हत्याकांड के कुछ अनसुलझे सवाल 1- हत्यारों ने खुलासे में 3 सितंबर ही अपहरण का दिन बताया, dead body 4 सितंबर को मिली. फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में dead body 2-3 दिन पुरानी कैसे? 2- हत्यारों ने मुकदमे की रंजिश बताई फिर मृतक अधिवक्ता के कपड़े क्यूँ उतारे? 3- हत्यारों ने मृतक अधिवक्ता का चेहरा क्यूँ कुचला? 4- हत्यारे अपहरण कर महिला अधिवक्ता को कहां ले गए? 5- जो प्रॉपर्टी की रंजिश सामने आ रही थी, वह प्रॉपर्टी कहाँ है? ये वे प्रश्न हैं जिनका सुलझाना हत्याकांड के पूरे खुलासे के लिए जरूरी है. द्वारा -  शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली) 

75 वर्षों में भी दोयम दर्जे पर हिन्दी

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       सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक वादी द्वारा हिंदी में प्रस्तुतियाँ देने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता की पत्नी द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ क्रूरता और दहेज मामले को बस्ती जिले से प्रयागराज स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी। सुनवाई आरंभ होने पर याचिकाकर्ता ने हिंदी में अपनी प्रस्तुतियां देना शुरू किया । जब उन्होंने अदालत को इस मुद्दे और उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में बताना समाप्त किया, तो जस्टिस रॉय ने उन्हें अदालत की भाषा के बारे में याद दिलाया। जस्टिस रॉय ने कहा, "इस अदालत में कार्यवाही अंग्रेजी में है। आप व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए हैं, इसलिए हमने आपको बीच में नहीं रोका है ताकि आप जो कुछ भी कहना चाहते हैं वह कह सकें। यहां दो न्यायाधीश बैठे हैं और आपको यह सुनिश्चित किए बिना हिन्दी में इस तरीके से अपनी दलीलें देने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि क्या न्यायालय आपको समझने में सक्षम है या नहीं।&q

धारा 377 आईपीसी अब

 Shalini Kaushik Law Classes - post link  1 जुलाई 2024 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) द्वारा भारतीय दंड संहिता की बाकी धाराओं के साथ धारा 377 को पूरी तरह से बदल दिया गया। जुलाई 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक यौन संबंधों के संबंध में धारा के कुछ हिस्सों को पहली बार असंवैधानिक करार दिया गया था।भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह प्रस्तावित की गई 'भारतीय न्याय संहिता, 2023' में आईपीसी की विवादित धारा 377 को पूरी तरह से हटा दिया गया है. धारा 377 समलैंगिक संबंधों को दंडित करती थी. बीएनएस धारा 377 को बरकरार नहीं रखता है। निरस्त आईपीसी की धारा 377 में दो वयस्कों के बीच गैर-सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध, नाबालिगों के खिलाफ यौन गतिविधियों और पशुता को दंडित किया गया था। गृह मामलों की स्थायी समिति (2022) ने इस प्रावधान को फिर से लागू करने की सिफारिश की है। शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली) 

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को पेंशन....

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     उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को पेंशन     उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग सांस्कृतिक धरोहरों को कविता, साहित्य और कला के माध्यम से आगे बढ़ाने वाले कलाकारों-कवियों के लिए पेंशन योजना शुरू करने जा रहा है. इसमें 60 साल की उम्र पार कर चुके कवियों, कलाकारों और साहित्यकारों को सरकार की तरफ से पेंशन दी जाएगी. इसके लिए विभाग जल्द ही एक गाइडलाइन तैयार कर रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि सरकार कम से कम ₹2000 पेंशन देने का विचार कर रही है. कलाकारों, कवियों, साहित्यकारों के प्रति ये निष्ठा अनुकरणीय है, देश की सेवा में इन सभी का अभूत पूर्व योगदान है. किन्तु एक अधिवक्ता होने के नाते मेरा उत्तर प्रदेश सरकार से एक सवाल है कि आखिर अधिवक्ताओं के प्रति यह निष्ठा कब उजागर होगी, आखिर देश की सेवा में , लोकतंत्र की सेवा में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक अधिवक्ताओं का कुछ योगदान तो माना ही जा सकता है. शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी

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(पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी)  कासगंज न्यायालय की महिला अधिवक्ता मोहिनी तोमर को 3 सितंबर दिन मंगलवार को दोपहर बाद अगवा किया जाता है , मोहिनी तोमर का शव नग्नावस्था में गोरहा नहर में रजपुरा गांव के समीप 4 सितंबर दिन बुधवार को अपहरण के लगभग 30 घण्टे बाद नहर में उतराता हुआ मिलता है . मोहिनी तोमर एडवोकेट कासगंज जिला सत्र न्यायालय में वकील के तौर पर कार्यरत थीं.  शव का चेहरा बिगड़ा हुआ था और क्योंकि शव का चेहरा क्षतिग्रस्त था तो पति बृजेंद्र तोमर ने लाश की शिनाख्त हाथ पर कट का निशान और हाथ में पहने कड़े के आधार पर मोहिनी तोमर के रूप में की. पुलिस की ढीली कार्यवाही के चलते एक अधिवक्ता- महिला अधिवक्ता का दिनदहाड़े अपहरण होता है, 30 घण्टे बाद भी अगर मिलती है तो महिला अधिवक्ता एक लाश के रूप में मिलती है, विकृत चेहरे और निर्वस्त्र, चोटिल शरीर के साथ. हापुड़ कांड के समय पुलिस के दुर्व्यवहार को देखते हुए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कमेटी गठित की गई थी, कहाँ है एक्ट? क्या दूसरों के लिए न्याय दिलाने वाले अधिवक्ता

हाई कोर्ट का निर्णय अधिवक्ता एकता पर कुठाराघात

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(Shalini Kaushik Law Classes post link)   इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि किसी वकील या वकीलों के संगठन द्वारा हड़ताल पर जाना, हड़ताल का आह्वान करना या किसी वकील, न्यायालय के अधिकारी या कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों की मृत्यु के कारण शोक संवेदना के रूप में कार्य से विरत रहना, प्रत्यक्षतः आपराधिक अवमानना ​​का कृत्य माना जाएगा।      जहां तक माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण न्यायालय में रुके हुए न्यायिक कार्यों पर चिंता को देखते हुए वकीलों या वकीलों के संगठन द्वारा हड़ताल पर जाने की बात सामान्य मुद्दों पर देखा जाए तो सही कहीं जाएगी, किन्तु यदि हम अधिवक्ता समुदाय द्वारा शोक जताने के लिए हड़ताल को देखते हैं तो माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को अपने निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने के लिए ही आग्रह करेंगे क्योंकि उच्च न्यायालय इलाहाबाद का यह फैसला देखा जाए तो अधिवक्ता सम्वेदना को आपराधिक अवमानना के दायरे में घसीट रहा है जो कतई गलत है.       माननीय उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि शोक सभा का आयोजन किसी भी कार्य दिवस में साढ़े तीन बजे से किया जा स

साइबर ठगी

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 कोई रिश्तेदार बनकर आवश्यकता बताकर साइबर ठगी कर रहा है, कोई धन दुगना करने का लालच देकर ऑनलाइन ठगी कर रहा है, कोई एप मोबाइल फोन पर भेजकर उसमें फॉर्म भरवा कर लोगों के खाते की नकदी साफ कर रहा है और ये जो हो रहा है सब साइबर ठगी के अंतर्गत आता है. यह सब मुख्यतः तबसे ज्यादा होने लगा है जब से हम ऑनलाइन पेमेंट करने लगे हैं, ऑनलाइन ट्रेडिंग कर रहे हैं. ऑनलाइन ट्रेडिंग में ठगी से बचाव ऐसे करें  :  ट्रेडिंग वाली वेबसाइट रजिस्टर्ड होनी चाहिए। * सेविंग एकाउंट में ही धनराशि ट्रांसफ़र करें । एकाउंट की डिटेल संबंधित बैंक से की जा सकती है। * ट्रेडिंग कंपनी के खातों में ही रुपये डाले, अन्य के खातों में रुपये डालने से बचें। इसके साथ ही, साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 डायल करें। यदि वे इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो जाएं तो तुरंत 1930 पर कॉल करें। तुरंत कॉल करने पर ठगी का रुपया वापस भी दिलाया जाता है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले की साइबर सैल ने तीन माह में 20 से अधिक लोगों को ठगी होने से बचाया है। अब सतर्क रहकर ऑनलाइन ट्रेडिंग करें और यदि फिर भी ठगी के शिकार हो जाते हैं तो हेल्पला