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अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 30 सितंबर से लागू

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       केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अधिवक्ता (संशोधन) अधिनियम, 2023, 30 सितंबर, 2024 को सक्रिय हो जाएगा। यह घोषणा अधिनियम की धारा 1 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के तहत की गई, जो पूरे भारत में कानूनी पेशेवरों के शासन में एक महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत करता है.       कानून और न्याय मंत्रालय के अनुसार इस संशोधन का उद्देश्य 1961 के अधिवक्ता अधिनियम को पुनर्जीवित करना है, जो कानूनी चिकित्सकों की ईमानदारी और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है। आगामी परिवर्तन अधिवक्ताओं के आचरण से लेकर कानूनी समुदाय के भीतर कदाचार की चिरकालिक समस्या तक के मुद्दों से निपटने के लिए अमल में लाए गए हैं।     केंद्र सरकार द्वारा किया गया उल्लेखनीय संशोधन  धारा 45 ए में किया गया है जो उच्च न्यायालयों और सत्र न्यायाधीशों जैसे न्यायपालिका निकायों को दलाली के लिए जाने जाने वाले व्यक्तियों की पहचान और उन्हें सूचीबद्ध करने में सक्षम बनाएगा। कानूनी व्यवसाय में दलाल उन्हें कहते हैं जिन्हें अक्सर शुल्क के लिए, वकीलों के लिए व्यवसाय की मांग करते देखा जाता है, वे दलाल ही अब कड...

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के AIBE 19 को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश

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  बार काउंसिल ऑफ इंडिया AIBE 19 परीक्षा 2024, 24नवंबर, 2024 को आयोजित करने जा रही है। अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 की अधिसूचना 2024 के अनुसार, वे सभी उम्मीदवार जिनके पास नामांकन प्रमाणपत्र नहीं है, और जो 3-वर्षीय या 5-वर्षीय एकीकृत एलएलबी डिग्री पाठ्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 (XIX) 2024 के लिए उपस्थित हो सकते हैं। अखिल भारतीय बार परीक्षा AIBE 19 2024: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एक महत्वपूर्ण अधिसूचना जारी की है। जिसके अनुसार, वे सभी उम्मीदवार जिनके पास नामांकन प्रमाणपत्र नहीं है, और जो 3 वर्षीय या 5 वर्षीय एकीकृत एलएलबी डिग्री कोर्स के अंतिम सेमेस्टर में हैं, वे AIBE 19 (XIX) परीक्षा 2024 दे सकते हैं। AIBE 19 आवेदन प्रक्रिया 2024 वर्तमान में चल रही है और ऐसे छात्रों के लिए पंजीकरण प्रक्रिया 25 सितंबर, 2024 से शुरू होनी है जबकि अन्य छात्रों के लिए, जिनका बार काउंसिल में नामांकन हो चुका है  अखिल भारतीय बार परीक्षा के आवेदन की प्रक्रिया 3 सितंबर से आरम्भ हो चुकी है. AIBE 19 आवेदन 2024 भरने की अंतिम तिथि वही रहेगी। उम्मीदवार 25 अक्टू...

एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट देगा वकीलों को सुरक्षा?

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  Link post - Shalini Kaushik Law Classes      अब एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट अगर लागू हो भी गया तो वकीलों को शायद ही कोई प्रोटेक्शन मिल पाएगा और यह स्थिति उभर रही है तब से जब से अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन के नए नियम आए हैं जिनमे अभ्यर्थी का पुलिस वेरीफिकेशन सम्बन्धित बार काउंसिल द्वारा अनिवार्य बना दिया गया है. एक साल पहले हापुड़ में महिला अधिवक्ता और उनके पिता के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज किए जाने के विरोध में जाम लगा रहे वकीलों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया. इससे पहले महिला अधिवक्ता के साथ बीच सड़क पर सिपाही द्वारा अभद्रता और छेड़छाड़ की गई। जिसके बाद पूरे यू पी में दो सप्ताह से ज्यादा चली वकीलों की हड़ताल की यूपी बार कौंसिल अध्यक्ष श्री शिव किशोर गौड़ एडवोकेट जी ने वापसी की घोषणा की। उनके द्वारा बताया गया कि अधिवक्ताओं की मांगें मान ली गई, दोषी पुलिस कर्मियों के निलंबन और तबादले करने, आंदोलन के दौरान वकीलों पर हुए मुकदमें वापस लेने, चोटिल अधिवक्ताओं को मुआवजा दिलाने, एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट यूपी में लागू करने और प्रदेश के प्रत्येक जिले में वकीलों के लिए शिकायत...

सार्वजनिक खंबे की लाइट बंद करना - कानून

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  (link post - shalini kaushik law classes)  भारतीय विद्युत अधिनियम, 1948 के अंतर्गत जो कोई भी दुर्भावनापूर्ण रूप से सार्वजनिक लैंप बुझाता है उसे कारावास की सजा से दंडित करने का प्रावधान है, जिसका समय 6 महीनों का हो सकता है, या जुर्माने से दंडित किया जा सकता है जिसकी राशि तीन सौ रुपए है, या दोनो से दंडित किया जा सकता है।       और ये कानून उन सभी असामाजिक तत्वों को जान लेना चाहिए जो प्रतिदिन शाम को अंधेरा होते ही श्री राम दरबार सीता चौक कांधला पर स्थित बिजली विभाग द्वारा लगाए गए खम्भों पर लगी हुई लाइट को अपनी इच्छा के अनुसार बंद कर सार्वजनिक आवागमन में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और आसपास के घरों की, महिलाओं की और बच्चों की सुरक्षा को गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहे हैं. शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को AIBE का अधिकार देना गैरजरूरी कदम

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            माननीय उच्चतम न्यायालय ने अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को 24 नवंबर को होने वाली अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी,        न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए रजिस्ट्रेशन से बाहर करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि बीसीआई का निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बोनी फोई लॉ कॉलेज एवं अन्य में संविधान पीठ के निर्णय के विपरीत है, जिसके अनुसार अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष निलय राय और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 577/2024 में सुनवाई के दौरान, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रस्तुत किया कि उन्हें फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट के संबंध में नियम बनाने के लिए समय चाहिए। ...

सड़कों पर रील बनाना स्टंट करना अपराध घोषित करे उत्तर प्रदेश सरकार

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 पुलिस अधिनियम, 1861 की धारा 34 में - सड़क आदि पर कुछ अपराधों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. धारा 34 कहती हैं कि -  कोई व्यक्ति जो किसी नगर की सीमाओं के भीतर किसी सड़क पर या किसी खुले स्थान या गली या मुख्य मार्ग पर, जिस पर राज्य सरकार द्वारा यह धारा विशेष रूप से लागू होगी, निम्नलिखित अपराधों में से कोई अपराध करेगा जिससे निवासियों या यात्रियों को बाधा, असुविधा, कष्ट, जोखिम, खतरा या क्षति पहुंचे, वह मजिस्ट्रेट के समक्ष दोषसिद्धि पर पचास रुपए से अधिक का जुर्माना या आठ दिन से अधिक कठोर श्रम सहित या रहित कारावास से दण्डनीय होगा; और किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए यह वैध होगा कि वह किसी ऐसे व्यक्ति को, जो उसकी दृष्टि में ऐसा कोई अपराध करता है, बिना वारंट के हिरासत में ले,     इसी धारा की उपधारा 7 में शरीर के अभद्र प्रदर्शन को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. आजकल रील बनाने के चलन में सड़कों पर लड़कों द्वारा मोटर साइकिल पर स्टंट कर और ल़डकियों द्वारा बीच सड़क पर नृत्य आदि कर यात्रियों और वाहनों के लिए असुविधाजनक स्थिति पैदा की जा रही है. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार को चा...

न्याय व्यवस्था वकील न्यायालय की जिम्मेदारी - जस्टिस कांत

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https://hindi.livelaw.in/supreme-court/lawyers-strikes-supreme-court-seeks-information-on-abstention-from-work-by-all-district-bar-associations-in-up-269912  मामले में व्यक्त माननीय जस्टिस कांत के निम्न विचार पूरी न्याय व्यवस्था पर लागू होते हैं और हम सम्पूर्ण अधिवक्ता समुदाय की ओर से उनके विचारों की सराहना करते हैं -  *"जस्टिस कांत ने कहा, "यदि वकील न्यायालय, अपने मुवक्किल, समाज, व्यवस्था के अधिकारी के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को समझना शुरू कर दें...तो शायद उनमें से प्रत्येक को इस महत्व और जिम्मेदारी का एहसास होगा। इससे न केवल उनकी अपनी स्थिति बढ़ेगी, बल्कि व्यवस्था को भी सहायता मिलेगी।"*  प्रस्तुति शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

मोहिनी तोमर एडवोकेट हत्याकांड के कुछ अनसुलझे सवाल

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मोहिनी तोमर एडवोकेट हत्याकांड के कुछ अनसुलझे सवाल 1- हत्यारों ने खुलासे में 3 सितंबर ही अपहरण का दिन बताया, dead body 4 सितंबर को मिली. फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट में dead body 2-3 दिन पुरानी कैसे? 2- हत्यारों ने मुकदमे की रंजिश बताई फिर मृतक अधिवक्ता के कपड़े क्यूँ उतारे? 3- हत्यारों ने मृतक अधिवक्ता का चेहरा क्यूँ कुचला? 4- हत्यारे अपहरण कर महिला अधिवक्ता को कहां ले गए? 5- जो प्रॉपर्टी की रंजिश सामने आ रही थी, वह प्रॉपर्टी कहाँ है? ये वे प्रश्न हैं जिनका सुलझाना हत्याकांड के पूरे खुलासे के लिए जरूरी है. द्वारा -  शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली) 

75 वर्षों में भी दोयम दर्जे पर हिन्दी

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       सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक वादी द्वारा हिंदी में प्रस्तुतियाँ देने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि अदालत की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें याचिकाकर्ता की पत्नी द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ क्रूरता और दहेज मामले को बस्ती जिले से प्रयागराज स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई थी। सुनवाई आरंभ होने पर याचिकाकर्ता ने हिंदी में अपनी प्रस्तुतियां देना शुरू किया । जब उन्होंने अदालत को इस मुद्दे और उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में बताना समाप्त किया, तो जस्टिस रॉय ने उन्हें अदालत की भाषा के बारे में याद दिलाया। जस्टिस रॉय ने कहा, "इस अदालत में कार्यवाही अंग्रेजी में है। आप व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए हैं, इसलिए हमने आपको बीच में नहीं रोका है ताकि आप जो कुछ भी कहना चाहते हैं वह कह सकें। यहां दो न्यायाधीश बैठे हैं और आपको यह सुनिश्चित किए बिना हिन्दी में इस तरीके से अपनी दलीलें देने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि क्या न्यायालय आपको समझने में ...

धारा 377 आईपीसी अब

 Shalini Kaushik Law Classes - post link  1 जुलाई 2024 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) द्वारा भारतीय दंड संहिता की बाकी धाराओं के साथ धारा 377 को पूरी तरह से बदल दिया गया। जुलाई 2009 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा समलैंगिक यौन संबंधों के संबंध में धारा के कुछ हिस्सों को पहली बार असंवैधानिक करार दिया गया था।भारतीय दंड संहिता, 1860 की जगह प्रस्तावित की गई 'भारतीय न्याय संहिता, 2023' में आईपीसी की विवादित धारा 377 को पूरी तरह से हटा दिया गया है. धारा 377 समलैंगिक संबंधों को दंडित करती थी. बीएनएस धारा 377 को बरकरार नहीं रखता है। निरस्त आईपीसी की धारा 377 में दो वयस्कों के बीच गैर-सहमति से अप्राकृतिक यौन संबंध, नाबालिगों के खिलाफ यौन गतिविधियों और पशुता को दंडित किया गया था। गृह मामलों की स्थायी समिति (2022) ने इस प्रावधान को फिर से लागू करने की सिफारिश की है। शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली) 

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को पेंशन....

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     उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं को पेंशन     उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा है कि उत्तर प्रदेश संस्कृत विभाग सांस्कृतिक धरोहरों को कविता, साहित्य और कला के माध्यम से आगे बढ़ाने वाले कलाकारों-कवियों के लिए पेंशन योजना शुरू करने जा रहा है. इसमें 60 साल की उम्र पार कर चुके कवियों, कलाकारों और साहित्यकारों को सरकार की तरफ से पेंशन दी जाएगी. इसके लिए विभाग जल्द ही एक गाइडलाइन तैयार कर रहा है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि सरकार कम से कम ₹2000 पेंशन देने का विचार कर रही है. कलाकारों, कवियों, साहित्यकारों के प्रति ये निष्ठा अनुकरणीय है, देश की सेवा में इन सभी का अभूत पूर्व योगदान है. किन्तु एक अधिवक्ता होने के नाते मेरा उत्तर प्रदेश सरकार से एक सवाल है कि आखिर अधिवक्ताओं के प्रति यह निष्ठा कब उजागर होगी, आखिर देश की सेवा में , लोकतंत्र की सेवा में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक अधिवक्ताओं का कुछ योगदान तो माना ही जा सकता है. शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना (शामली)

पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी

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(पुलिस और उत्तर प्रदेश सरकार मोहिनी तोमर एडवोकेट की दोषी)  कासगंज न्यायालय की महिला अधिवक्ता मोहिनी तोमर को 3 सितंबर दिन मंगलवार को दोपहर बाद अगवा किया जाता है , मोहिनी तोमर का शव नग्नावस्था में गोरहा नहर में रजपुरा गांव के समीप 4 सितंबर दिन बुधवार को अपहरण के लगभग 30 घण्टे बाद नहर में उतराता हुआ मिलता है . मोहिनी तोमर एडवोकेट कासगंज जिला सत्र न्यायालय में वकील के तौर पर कार्यरत थीं.  शव का चेहरा बिगड़ा हुआ था और क्योंकि शव का चेहरा क्षतिग्रस्त था तो पति बृजेंद्र तोमर ने लाश की शिनाख्त हाथ पर कट का निशान और हाथ में पहने कड़े के आधार पर मोहिनी तोमर के रूप में की. पुलिस की ढीली कार्यवाही के चलते एक अधिवक्ता- महिला अधिवक्ता का दिनदहाड़े अपहरण होता है, 30 घण्टे बाद भी अगर मिलती है तो महिला अधिवक्ता एक लाश के रूप में मिलती है, विकृत चेहरे और निर्वस्त्र, चोटिल शरीर के साथ. हापुड़ कांड के समय पुलिस के दुर्व्यवहार को देखते हुए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के लिए बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कमेटी गठित की गई थी, कहाँ है एक्ट? क्या दूसरों के लिए न्याय दिलाने वाले ...

हाई कोर्ट का निर्णय अधिवक्ता एकता पर कुठाराघात

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(Shalini Kaushik Law Classes post link)   इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि किसी वकील या वकीलों के संगठन द्वारा हड़ताल पर जाना, हड़ताल का आह्वान करना या किसी वकील, न्यायालय के अधिकारी या कर्मचारी या उनके रिश्तेदारों की मृत्यु के कारण शोक संवेदना के रूप में कार्य से विरत रहना, प्रत्यक्षतः आपराधिक अवमानना ​​का कृत्य माना जाएगा।      जहां तक माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा अधिवक्ताओं की हड़ताल के कारण न्यायालय में रुके हुए न्यायिक कार्यों पर चिंता को देखते हुए वकीलों या वकीलों के संगठन द्वारा हड़ताल पर जाने की बात सामान्य मुद्दों पर देखा जाए तो सही कहीं जाएगी, किन्तु यदि हम अधिवक्ता समुदाय द्वारा शोक जताने के लिए हड़ताल को देखते हैं तो माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को अपने निर्णय पर पुनर्विचार किए जाने के लिए ही आग्रह करेंगे क्योंकि उच्च न्यायालय इलाहाबाद का यह फैसला देखा जाए तो अधिवक्ता सम्वेदना को आपराधिक अवमानना के दायरे में घसीट रहा है जो कतई गलत है.       माननीय उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि शोक सभा का आयोजन किसी भी का...

साइबर ठगी

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 कोई रिश्तेदार बनकर आवश्यकता बताकर साइबर ठगी कर रहा है, कोई धन दुगना करने का लालच देकर ऑनलाइन ठगी कर रहा है, कोई एप मोबाइल फोन पर भेजकर उसमें फॉर्म भरवा कर लोगों के खाते की नकदी साफ कर रहा है और ये जो हो रहा है सब साइबर ठगी के अंतर्गत आता है. यह सब मुख्यतः तबसे ज्यादा होने लगा है जब से हम ऑनलाइन पेमेंट करने लगे हैं, ऑनलाइन ट्रेडिंग कर रहे हैं. ऑनलाइन ट्रेडिंग में ठगी से बचाव ऐसे करें  :  ट्रेडिंग वाली वेबसाइट रजिस्टर्ड होनी चाहिए। * सेविंग एकाउंट में ही धनराशि ट्रांसफ़र करें । एकाउंट की डिटेल संबंधित बैंक से की जा सकती है। * ट्रेडिंग कंपनी के खातों में ही रुपये डाले, अन्य के खातों में रुपये डालने से बचें। इसके साथ ही, साइबर अपराधों की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 डायल करें। यदि वे इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो जाएं तो तुरंत 1930 पर कॉल करें। तुरंत कॉल करने पर ठगी का रुपया वापस भी दिलाया जाता है। उत्तर प्रदेश के शामली जिले की साइबर सैल ने तीन माह में 20 से अधिक लोगों को ठगी होने से बचाया है। अब सतर्क रहकर ऑनलाइन ट्रेडिंग करें और यदि फिर भी ठगी के शिकार हो जाते ...