अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को AIBE का अधिकार देना गैरजरूरी कदम

 


          माननीय उच्चतम न्यायालय ने अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को 24 नवंबर को होने वाली अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी, 

      न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) के लिए रजिस्ट्रेशन से बाहर करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ताओं ने प्रस्तुत किया कि बीसीआई का निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम बोनी फोई लॉ कॉलेज एवं अन्य में संविधान पीठ के निर्णय के विपरीत है, जिसके अनुसार अंतिम वर्ष के विधि छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष निलय राय और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया, डब्ल्यू.पी.(सी) नंबर 577/2024 में सुनवाई के दौरान, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रस्तुत किया कि उन्हें फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट के संबंध में नियम बनाने के लिए समय चाहिए। पीठ ने कहा कि वे नियम बनाने में समय ले सकते हैं, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट का एक वर्ष बर्बाद न हो।

इसके अनुसार, पीठ ने अंतरिम निर्देश पारित किया। पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश सभी फाइनल ईयर के लॉ स्टूडेंट पर लागू होगा, न कि केवल याचिकाकर्ताओं पर।

पीठ ने आदेश में कहा, "हम निर्देश देते हैं कि बीसीआई उन सभी स्टूडेंट के रजिस्ट्रेशन की अनुमति देगा जो बोनी फोई निर्णय के पैराग्राफ 38 के दायरे में आते हैं। AIBE के लिए उपरोक्त निर्देश 24 नवंबर को लागू होंगे।" 

बोनी फोई लॉ कॉलेज के निर्णय के पैराग्राफ 38 में, संविधान पीठ ने टिप्पणी की: "हम एमिक्स क्यूरी के सुझाव को स्वीकार करने के लिए इच्छुक हैं कि जिन स्टूडेंट ने लॉ के फाइनल ईयर के पाठ्यक्रम के अंतिम सेमेस्टर को आगे बढ़ाने के लिए सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं, उन्हें इसका प्रमाण प्रस्तुत करने पर अखिल भारतीय बार परीक्षा देने की अनुमति दी जा सकती है। अखिल भारतीय बार परीक्षा का परिणाम इस बात पर निर्भर करेगा कि व्यक्ति यूनिवर्सिटी/कॉलेज के अध्ययन के पाठ्यक्रम के तहत आवश्यक सभी घटकों को उत्तीर्ण करता है या नहीं। यह अखिल भारतीय बार परीक्षा के परिणामों के निर्दिष्ट अवधि के लिए वैध होने के अधीन होगा। "

    न्यायालय ने उल्लेख किया कि यद्यपि यह निर्णय फरवरी 2023 में दिया गया, लेकिन BCI ने अभी तक नियम नहीं बनाए। 

         अब यदि हम बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन के नियम देखते हैं तो हम पाते हैं कि नियमों के अनुसार रजिस्ट्रेशन विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त होने के बाद ही बार काउंसिल द्वारा किया जाता है और अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) रजिस्ट्रेशन के दो साल के अंदर उत्तीर्ण करने का नियम अभी तक था और अब भी जो नियम बनाए गए हैं उनमें भी विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात्‌ अस्थायी रजिस्ट्रेशन और उसके दो साल में अखिल भारतीय बार परीक्षा उत्तीर्ण करने का नियम रखा गया है जिसके बाद ही स्थायी रजिस्ट्रेशन और स्थायी रजिस्ट्रेशन के बाद सी ओ पी (COP) सर्टिफिकेट के लिए आवेदन का नियम बनाया गया है जो कि एक क्रम में है अब ऐसे में विधि स्नातकों के अंतिम वर्ष के छात्रों को अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) मे बैठने देना या उनका उसे उत्तीर्ण कर उनका साल सुरक्षित करने का संविधान पीठ का निर्णय और माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय में उसका अनुसरण किया जाना किसी भी सोच से उचित कदम प्रतीत नहीं होता है क्योंकि अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) किसी भी विधि स्नातक का अधिवक्ता के रूप में भविष्य प्रतिबंधित नहीं करती थी हाँ अब रजिस्ट्रेशन के नए नियमों में इंटरव्यू की प्रक्रिया सम्मिलित किए जाने के बाद अखिल भारतीय बार परीक्षा (AIBE) का आयोजन अनावश्यक रूप से अधिवक्ताओं पर दबाव बनाने के रूप में लिया जा सकता है.

शालिनी कौशिक एडवोकेट 

कैराना (शामली) 

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