देख के जाना जेवर लेने
आपने अक्सर देखा होगा कि आपके आस-पास के किसी सर्राफ को बाहर प्रदेश से आयी हुई पुलिस पकड़कर ले जा रही है .सर्राफों के बारे में यूँ तो सभी जानते हैं कि ये जबान के बहुत मीठे होते हैं और जब भी बोलते हैं शहद से भरे शब्द ही बोलते हैं किन्तु ये मिठास अपने में अपरध का जहर भी घोले रहती है .ये कम से कम आभूषणों के पीछे पागल बेचारी औरतों को या तो पता ही नहीं होता या वे अपनी लालसा -आभूषणों की लालसा के पीछे अनदेखा कर देती हैं और भले ही बार-बार भी किसी सर्राफ को पुलिस पकड़कर ले गयी हो तब भी सुन्दर आभूषणों के लिए उसकी दुकान पर चढ़ ही जाती हैं .
धारा 411 भारतीय दंड संहिता में चुराई हुई संपत्ति को बेईमानी से प्राप्त करने के सम्बन्ध में है .यूँ तो यह प्रत्येक उस अपराधी के अपराध को लागू होती है जिसने चोरी की गयी संपत्ति को यह जानते हुए कि वह चोरी की है ,बेईमानी से ली है किन्तु विशेष रूप से यह धारा सर्राफों पर इसलिए लागू होती है क्योंकि अधिकांशतः चोरी का सामान चोर सर्राफों पर ही जाकर बेचते हैं क्योंकि चोरी भी मुख्य रूप से सोने-चाँदी के आभूषणों की ही की जाती है -तो धारा 411 के अनुसार -
''जो कोई किसी चुराई हुई संपत्ति को ,यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह चुराई हुई संपत्ति है ,बेईमानी से प्राप्त करेगा ,या रखेगा ,वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी ,या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा .
और दंड प्रक्रिया संहिता की प्रथम अनुसूची के अनुसार धारा 411 का अपराध किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है ,अजमानतीय है ,संज्ञीय है .
और ''संज्ञीय अपराध '' के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 2 [ग] में कहा गया है कि ''संज्ञीय अपराध '' से ऐसा अपराध अभिप्रेत है जिसके लिए और ''संज्ञीय मामला '' से ऐसा मामला अभिप्रेत है जिसमे ,पुलिस अधिकारी प्रथम अनुसूची के या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अनुसार वारंट के बिना गिरफ्तार कर सकता है .
यही नहीं ये सवाल भी उठ सकता है कि दूसरे राज्य की पुलिस कैसे हमारे राज्य के अपराधी को गिरफ्तार कर सकती है तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 48 कहती है -''पुलिस अधिकारी ऐसे किसी व्यक्ति को जिसे गिरफ्तार करने के लिए वह प्राधिकृत है ,वारंट के बिना गिरफ्तार करने के प्रयोजन से भारत के किसी भी स्थान में उस व्यक्ति का पीछा कर सकता है .''
इसलिए अब जब भी किसी सर्राफ को पुलिस के साथ जाते देखें तो अपराध की वास्तविकता को ही मद्देनज़र रखते हुए सर्राफ के यहाँ जाएँ क्यूंकि पुलिस द्वारा मामले का संज्ञान लिए जाने तक यह भी हो सकता है कि सर्राफ आपको ही वह चोरी का जेवर बेच चुका हो और फिर पकडे तो आप जाओगे क्योंकि सर्राफ तो पुलिस के डंडे से घबराकर फ़ौरन आपका नाम ले देगा और ये भी साबित कर देगा कि आपने जानते हुए भी बेईमानी से ऐसी संपत्ति खरीदी है ,अब ये मत कह देना कि वह यह कैसे कह सकता है ? बिलकुल आसान है 100 की चीज़ जब वह आपको 50 -60 में दे रहा है तो कोई आपकी शक्ल-सूरत देखकर तो दे नहीं रहा .
शालिनी कौशिक
[कानूनी ज्ञान ]
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-12-2017) को "मेरी दो पुस्तकों का विमोचन" (चर्चा अंक-2811) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'