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अगस्त, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

@snappygirls02 के सास ससुर के घर और स्त्रीधन के कानूनी अधिकार

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(सपना चौधरी के सास ससुर के घर और स्त्रीधन के कानूनी अधिकार shalini kaushik law classes - link)        आज यू ट्यूब के फॅमिली व्लॉग ऑनलाइन व्यूवर्स की पहली पसंद बने हुए हैं। कई मिलियन Subscribers  के साथ व्यूवर्स की विशेष पसंद बने @TheRott और @snappygirls02 के ओनर सूरज चौधरी थे. सूरज चौधरी की धर्मपत्नी सपना चौधरी की इन व्लॉग को कामयाबी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही। कोरोना काल में दुर्भाग्यवश सूरज चौधरी का कोरोना संक्रमण के कारण आकस्मिक निधन हो गया तब सपना व सूरज की नवजात पुत्री आरू मात्र कुछ माह की थी। पारिवारिक दबाव में सपना को बच्ची के भविष्य को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से सूरज चौधरी के छोटे भाई राजवीर चौधरी से विवाह स्वीकार करना पड़ा। सपना के जीवन में पुनः खुशियां आई। राजवीर व सपना के एक और प्यारी सी बच्ची आरोही हुई। विधाता पर कुछ और ही खेल खेल रहा था। सपना मायके गई हुई थी और इधर राजवीर चौधरी को एक तेज रफ्तार गाड़ी ने कुचल डाला जिसके कारण उसकी भी मृत्य हो गई। अब परिवार में बचे केवल सास-ससुर, सपना, दोनों बच्चियां और सास द्वारा गोद ली गई(अनौपचारिक रूप से) अपने सगे भाई की बेटी

योगी सरकार की नई सोशल मीडिया पॉलिसी

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योगी जी की नई सोशल मीडिया पॉलिसी   उत्तर प्रदेश सरकार ने नई सोशल मीडिया पॉलिसी  को मंजूरी दी है । इस संबंध में नीति लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार लंबे समय से प्रयासरत थी । सरकार ने कहा है कि सोशल मीडिया पोस्ट का कंटेंट अभद्र, अश्लील और राष्ट्र विरोधी नहीं होना चाहिए।     सूचना विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है, "सरकार ने यूपी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों के बारे में ट्वीट/वीडियो/पोस्ट/रील जैसे डिजिटल माध्यमों के माध्यम से सामग्री बनाने और प्रदर्शित करने के लिए एजेंसियों/फर्मों को विज्ञापन देने के लिए सूचीबद्ध करने का फैसला किया है। इससे राज्य के नागरिकों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे।"   लागू की गई नीति के अनुसार, अगर ऐसा पाया जाता है कि कोई भी कन्टेन्ट (मैटर) राष्ट्रविरोधी, समाज विरोधी, या अभद्र या समाज की विभिन्न वर्गों की भावना को ठेस पहुंचाता हो, या गलत तथ्यों पर आधारित हो, सरकार की योजनाओं को गलत मंशा से या गलत ढंग से प्रस्तुत करता हो तो उस स्थिति में सूचना निदेशक की स्वीकृति से भुगतान सम्बन्धी शर्तों को पूरा करने के बावजूद भुगत

मिठाई खरीदें पर ध्यान से

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       देश प्रदेश में इस समय श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के आगमन की धूम है. मिठाई विक्रेताओं के यहां ग्राहकों की भीड़ जुटी हुई है. जहां ग्राहक जल्दबाजी में उत्तर प्रदेश सरकार के इस सम्बन्ध में बनाए गए कानून की जानकारी के अभाव में ज्यादा पैसे चुकाकर कम मिठाई खरीद रहे हैं. तो आप सभी जान लीजिए उत्तर प्रदेश में अब मिठाई के साथ डिब्बे का भी वजन शामिल करने पर दुकानदार को पांच हजार रुपया तक जुर्माना देना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में किसी भी शहर, जिले, कस्बे या गांव में अगर दुकानदार आपको गत्ते के डिब्बे के साथ मिठाई तोलकर देता है तो तत्काल आप इसकी शिकायत करें, ऐसा करने वाले दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।       उत्तर प्रदेश में सामानों की घटतौली की शिकायत को लेकर घटतौली करने वालों के खिलाफ सरकार के निर्देश पर बाट माप विभाग ने कार्रवाई की रणनीति बनाई. बाजार में मिठाई लेते समय काफी दुकानों पर देखा जाता है कि जितनी महंगी मिठाई होती है, उतना ही डिब्बे का मूल्य लगता है. विशेष रूप से त्योहारों के समय तो मिठाई की मांग बढ़ने पर मिठाई के साथ डिब्बे का वजन तौलने की संभावना बढ़ जाती है जैसे डिब्बे क

अधिवक्ता समुदाय का गौरव - श्री मनन कुमार मिश्र

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        बार काउंसिल ऑफ इंडिया के 7 बार से चेयरमैन बने रहने का रिकॉर्ड कायम करने वाले बिहार के गोपालगंज से अधिवक्ता श्री मनन कुमार मिश्र को बिहार से राज्यसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी के रूप में उतारा है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया जाना अधिवक्ता समुदाय के लिए एक बड़े सम्मान के रूप में देखा जा रहा है.  *जन्म        मनन कुमार मिश्रा मूल रूप से बिहार के गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड के तिवारी खरेया गांव के मूल निवासी हैं। मनन कुमार मिश्र के पिता पंडित शिवचंद्र मिश्र गोपालगंज सिविल कोर्ट के बड़े अधिवक्ता थे. उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गोपालगंज जिले में ही हुई है।  *शिक्षा एवं कार्यक्षेत्र       मनन कुमार मिश्रा ने 1980 में पटना लॉ कॉलेज से वकालत की डिग्री हासिल कर गोपालगंज सिविल कोर्ट में वकालत शुरू की। वह अपने बैच के टापर व गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। गोपालगंज में एक साल वकालत करने के बाद उन्होंने 1982 में पटना हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।  पहली बार 1989 में बिहार स्टेट बार काउंसिल के सदस्य बने। इसी बीच 2007 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता

भारत बंद और सुप्रीम कोर्ट

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: 21 अगस्त 2024 को भारत बंद का ऐलान किया गया है। यह बंद सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय के खिलाफ किया गया है, जिसे ऐतिहासिक इंदिरा साहनी केस में लिए गए निर्णय के खिलाफ बता रहे हैं राजनीतिक दल   *भारत बंद की प्रमुख वजह-विरोध सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ?*  सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था,  ''सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए - सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।'' सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी। कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। "     बस एससी - एसटी आरक्षण के वर्षों से चली आ रही परम्परागत स्थिति में छ

मीडिया रिपोर्टिंग कानूनी कार्रवाई में बाधक

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  आपराधिक कानूनी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण है "शिनाख्त या पहचान परेड", पहचान परेड का उपयोग गवाह की ईमानदारी और अज्ञात लोगों को पहचानने की क्षमता का आकलन करने के लिए किया जाता है। पहचान परेड का पुष्टिकरण या मूल मूल्य निर्विवाद है, और पर्याप्त साक्ष्य या मुख्य साक्ष्य के रूप में इसका उपयोग खारिज कर दिया गया है। सबूत के तौर पर, पहचान परीक्षण पूरी तरह से पुष्टि करने वाला और गौण है। शिनाख्त का अर्थ होता है पहचानना। जब कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद पकड़ा जाता है तब यह पक्का करने के लिए कि वही अपराध करने वाला है, पीड़ित व्यक्ति से उसकी पहचान करवाईं जाती है। अपराधी को कई व्यक्तियों के बीच खड़ा कर दिया जाता है और फिर पीड़ित व्यक्ति को बुला कर उनमें से अपराधी को पहचानने के लिए कहा जाता है और पीड़ित व्यक्ति द्वारा अपराधी को पहचान  करने की इस कार्यवाही को ही शिनाख्त परेड कहते हैं।        भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की धारा 9 शिनाख्त परेड के संबंध में प्रावधान करती है. धारा 9 अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में धारा 7 हो गई है जिनमें शिनाख्त की कार्यवाही अभियुक्त की पहचान करने का एक म

पूरे देश में अधिवक्ताओं का भविष्य खतरे में

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 विभिन्न प्रदेशों की बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीकरण पर अत्यधिक शुल्क वसूली पिछले कुछ महीनों से माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अधीन थी, गौरव कुमार बनाम भारत संघ की मुख्य याचिका के साथ एक पूरा याचिकाओं का समूह था. याचिकाओं में अलग अलग बार काउंसिल द्वारा लिए जाने वाले नामांकन शुल्क को अत्याधिक बताया गया था. याचिकाओं की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड की अगुवाई वाली बेंच कर रही थी जिसमें जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा सम्मिलित थे. याचिकाओं के इस समूह में एक ही सवाल उठाया गया  कि क्या नामांकन शुल्क के रूप में अत्यधिक शुल्क वसूलना अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 24(1) का उल्लंघन है? एडवोकेट्स एक्ट की धारा 24 (1) (च) में एडवोकेट एनरोलमेंट के लिए शुल्‍क निर्धारित की गई है जिसके तहत सामान्‍य वर्ग के लिए 750 रुपये और एसटी एससी के लिए 125 रुपये शुल्‍क तय है लेकिन आरोप था कि हर राज्‍य की बार काउंसिल वकीलों से इसके लिए 15 से 45 हजार तक फीस ले रही हैं. इन्हीं सवालों पर गौर करते हुए अधिवक्ताओं के नामांकन शुल्क को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसल

उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं के लिए ख़ुश खबरी

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उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं के लिए ख़ुश खबरी (SHALINI KAUSHIK LAW CLASSES)  माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसरण में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश द्वारा अधिवक्ताओं के रजिस्ट्रेशन का कार्य पुनः आरंभ कर दिया गया है. प्राप्त सूचना के अनुसार अब ST अर्थात अनुसूचित जनजाति के विधि स्नातक का अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन 125/- रुपये में और अन्य जातियों के विधि स्नातक का अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन 750/-रुपये में होगा. ये रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा इसके साथ ही, यह खबर भी सामने आ रही है कि इस तरह के अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन के बाद अधिवक्ताओं को बार काउंसिल से जो मेडिकल अनुदान, न्यासी निधि अनुदान, मृत्यु अनुदान जैसी सुविधाएं प्राप्त होती थी वे सभी सुविधाएं भी बंद हो जाएंगी.अब अधिवक्ताओं को केवल अपनी वक़ालत की कमाई पर ही निर्भर रहना होगा क्योंकि इतनी कम राशि में अधिवक्ता रजिस्ट्रेशन के बाद वकीलों की सर्वोच्च सत्ताधारी संस्था के हाथ भी सीमित राशि से बंधे होने के कारण उनकी सहायता खुले हाथों से नहीं कर पाएंगे.  द्वारा शालिनी कौशिक एडवोकेट कैराना

तिरंगे का कानून के अनुसार सम्मान करें सभी भारतीय

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 उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल भी 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान चलाये जाने के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं । इस दौरान जनता को निजी व सरकारी प्रतिष्ठानों पर झंडा फहराने के लिए प्रेरित किया जाएगा .        आजादी के अमृत महोत्सव के तहत वर्ष 2022 में आरम्भ हर घर तिरंगा अभियान में इस बार भी स्मृति चिह्न के रूप में सुरक्षित रखे गए तिरंगे झंडों का प्रयोग होगा। 11 से 17 अगस्त 2024 तक स्वतंत्रता सप्ताह के रूप में और 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा अभियान मनाये जाने के निर्देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा जारी किए गए हैं. हर घर तिरंगा अभियान की सफलता के लिए जिलों में भाजपा के कार्यालयों के साथ ही डाकघरों से भी तिरंगे झंडों की बिक्री की जा रही है। रविवार को भी हर जगह झंडा बिक्री के लिए पोस्ट आफिस खुले रखने के आदेश किए गए हैं। देश के साथ प्रदेश में भी आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत हर घर तिरंगा अभियान की तैयारियां जोरशोर से चल रही हैं। हर घर तिरंगा अभियान के तहत राष्ट्रीय ध्वज की तेजी से बिक्री की सुविधा के लिए सरकार अपनी तरफ से लगी हुई है। हर घर तिरंगा अभियान के तहत सभी डाकघर स्वतंत

उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा कानून सख्ती से लागू कराना जरूरी

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 देश में उपभोक्ता की स्वास्थ्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 पारित किया गया. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 को 23 अगस्त, 2006 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई, और इसे सामान्य जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है: -  खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 संख्या 34, 2006।       यह अधिनियम खाद्य से संबंधित कानूनों को समेकित करने तथा खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने, उनके विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने, मानव उपभोग के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की स्थापना करने के लिए बनाया गया है। * सील बंद सामान बेचने के नियम -  उपभोक्ताओं के हित में केंद्र सरकार ने कानून पारित कर घटिया खाद्य सामग्री बेचने पर रोक लगाने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। इसके तहत ठेलेवाले हों या दुकानदार, सभी को सील बंद सामान बेचना है।       बिना लाइसेंस के दुकान लगाने पर छह लाख रुपए तक जुर्माना या सात सा